केवटी के छतवन एपीएचसी में संसाधनों का घोर अभाव
केवटी | संवाद सूत्र लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने को लेकर 10...
केवटी | संवाद सूत्र
लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने को लेकर 10 वर्ष पूर्व छतवन बाजार में बने अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की सेवा के लिए संसाधन का अभाव आज भी खटक रहा है। 27 अप्रैल 2012 को छतवन पंचायत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड करके अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के रूप में उस समय के बिहार के स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने उद्घाटन किया था। विडम्बना यह है कि लगभग 10 साल बाद भी स्वास्थ्य केंद्र को आज तक न कोई स्थायी डॉक्टर नहीं मिला। चिकित्सक के नाम पर जो दो डॉक्टर हैं वे संविदा पर और प्रति नियुति हैं। इसमें एक अक्सर अस्पताल से नदारद रहते हैं। जानकारी के दौरान पता चला कि उनकी पोस्टिंग कभी केवटी के सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र पर तो कभी ट्रेनिंग या अन्य विभागीय कार्य में वयस्त रहते हैं। एक आयुष चिकित्सक और एक महिला एमबीबीएस हैं। चौबीस घंटे, सात दिन सेवा के अनुरूप आरटीआई के उत्तर में सेवा देने के लिए कम से कम चार नर्स एएनएम होनी ही चाहिए, लेकिन वर्तमान में केवल दो प्रतिनियुक्ति नर्स हैं इसमें एक बराबर दूसरे काम को लेकर स्वास्थय केंद्र से बाहर रहतीं है। स्वास्थय केन्द्र में ममता के अभाव में प्रसव से संबंधित कार्य और शिशु की देखभाल नहीं हो पा रही है। ड्रेसर का पद रिक्त रहने से मरीज की मरहम-पट्टी नहीं हो पा रही है। अस्पताल में और न कोई अन्य कर्मचारी है जो स्वाथ्य केंद्र को ओपीडी के समय डॉक्टर की सहायता कर सकें। केंद्र में रक्त एवं अन्य जांच करने के लिए उपकरण है, लेकिन सीबीसी को छोड़ कर किसी और प्रकार के परीक्षण के लिए रसायन नहीं है। वर्तमान में बीबीसी भी सर्विसिंग के अभाव में काम नहीं कर रहा है। यहां तक कि उपकरण को रखने की उचित वयवस्था नहीं है। उपकरण मरीज के बेड पर रखा हुआ है। स्वास्थ्य केंद्र में जेनरेटर के अभाव में बिजली नहीं रहने पर सभी काम बाधित रहता है। रात में बिजली चली जाए और कोई महिला प्रसव के लिए केंद्र में आ जाए तो अभाव में टॉर्च आदि से किसी तरह जोखिम भरा काम किया जाता है। छतवन गांव के मो. जफीरूल हसन का कहना है कि अस्पताल में चिकित्सक, नर्स, कंपाउंडर का अभाव है। रक्त जांच करने के लिए उपकरण है, लेकिन उसको रखने की व्यवस्था नहीं है। मरीजों वालो बेड पर रखा हुआ हैं। एलएफटी/ केएफटी की जांच हो सकती है लेकिन केवल सीबीसी जांच के अलावा अन्य कोई जांच के लिए रसायन नहीं है। स्वास्थ्य केंद्र में बीपीएम जांच करने वाला उपकरण नहीं है, जो था टूटा हुआ है। स्थानीय राजू राम कहते हैं कि स्वास्थ्य केंद्र में ना दवा ठीक से मिलती है, न डॉक्टर समय पर आते हैं। नर्स और ममता के अभाव में महिला को प्रसव में परेशानी हो रही है।अंगूरी देवी ने कहा कि मैं जब डिलीवरी के लिए अस्पताल में गई तो मुझसे कहा गया कि दवा बाहर से लानी होगी। मैंने पूछा कि सरकारी अस्पताल में दवा तो फ्री मिलती है तो मुझसे बोला गया कि जरूरत के मुताबिक कुछ दवा बाहर से लानी होगी।शाहनाज ने बताया कि बच्चे को लेकर जब इलाज कराने जाते हैं तो डॉक्टर नहीं मिलते और मिलते भी हैं तो दवाई नहीं मिलती। गरीब लोग बाहर से दवा के लिए कहां से पैसे लाएं। वहीं, मो. जूही ने कहा कि अस्पताल में अगर हाथ कट जाए तो मरहम पट्टी करने तक की व्यवस्था नहीं है न जेनरेटर हैं। इस संबंध में ड्यूटी पर तैनात प्रतिनियुक्त आयुष चिकित्सक डॉ. विनोद कुमार सिंह का कहना है कि जो स्टाफ हैं वे ड्यूटी करते हैं। जो संसाधन है उसी में काम तत्काल लिया जा रहा है। आपूर्ति दवा को जरूरत के मुताबिक दिया जाता है। इमरजेन्सी की स्थिति अनुपलब्ध दवा बाहर से मरीजों को लेना पड़ता है। इस संबंध में पूछे जाने पर चिकित्सा प्रभारी डॉ. एनके लाल ने कहा कि चिकित्सक के अभाव की स्थिति में दो चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति हैं। इनमें एक आयुष और दूसरी महिला एमबीबीएस हैं। दो एएनएम प्रतिनियुक्त है। स्टाफ और संसाधनों का अभाव है। उसके बारे में विभाग को लिखा गया है। ड्यूटी में कोताही की शिकायत आने पर चिकित्सक व कर्मी नपेंगे। स्वास्थय केंद्र परिसर को अतिक्रमण करने वालों केखिलाफ कार्रवाई होगी।
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