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करोड़ों का इंडोर स्टेडियम वर्षों से बंद, खिलाड़ी मायूस

जिले में खेल के उत्थान के लिए बने इंडोर स्टेडियम को पांच साल से बंद रखा गया है। खिलाड़ी चाहते हैं कि स्टेडियम का ताला खोला जाए ताकि वे अभ्यास कर सकें। मरम्मत का कार्य समय पर नहीं हुआ और खिलाड़ी निराश...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाSun, 16 Feb 2025 02:02 AM
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करोड़ों का इंडोर स्टेडियम वर्षों से बंद, खिलाड़ी मायूस

जिले में खेल के उत्थान के लिए जारी सरकारी प्रयासों के बीच करोड़ों की लागत से बना इंडोर स्टेडियम करीब पांच वर्षों से बंद है। खिलाड़ियों का कहना है कि स्टेडियम का ताला खुल जाने से उन्हें अभ्यास में सहूलियत होगी। इसके लिए कई बार संबंधित अधिकारी से बात की गई लेकिन किसी ने संजीदगी से पहल नहीं की। जिले की 181 पंचायतों में 201 खेल मैदानों का निर्माण हो रहा है। इन मैदानों में बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, लॉन्ग जंप, हाई जंप, कबड्डी, खो-खो एवं रनिंग ट्रैक की सुविधा होगी। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर में भी खेलो इंडिया योजना से बहुउद्देश्यीय स्पोर्ट्स इंडोर हॉल और फुटबॉल मैदान बनाने की घोषणा हुई है। खेलकूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हो रहा है। इसके बावजूद खिलाड़ियों में मायूसी है।

लहेरियासराय के पोलो मैदान में बैडमिंटन खेल रहे खिलाड़ी रैकेट से इंडोर स्टेडियम की ओर इशारा करते हुए हैं। फिर खिलाड़ी बताते हैं कि करोड़ों की लागत से बना इंडोर स्टेडियम पांच वर्षों से बंद है। इस तरफ किसी की नजर नहीं जा रही है। इसके कारण बैडमिंटन, टेबुल टेनिस और बॉक्सिंग की प्रैक्टिस पर ब्रेक लग गई है। बैंडमिंटन खिलाड़ी विकास शर्मा बताते हैं कि इंडोर स्टेडियम के भीतर तीन कोर्ट थे जिन पर खिलाड़ी जमकर पसीना बहाते थे। शानदार प्रैक्टिस होती थी। करीब पांच वर्ष पूर्व आए आंधी-तूफान में स्टेडियम की छत के नौ एस्बेस्टस हवा में उड़ गए। मामूली नुकसान हुआ था और सिर्फ नौ एस्बेस्टस खरीदकर लगाने की जरूरत थी।

खिलाड़ियों ने जिम्मेदार पदाधिकारियों से अनुरोध भी किया, फिर भी समय पर मरम्मत कार्य नहीं हुआ। तालाबंद इंडोर स्टेडियम का कोर्ट-मैट बारिश में भीगने और चूहों के कुतरने से बर्बाद हो गया। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों को निराश देख पूर्व के अधिकारियों ने विशेष पहल कर मरम्मत के लिए राशि आवंटित करवायी। इसके बाद दोबारा स्टेडियम तैयार हुआ, पर इसमें ताला जड़ा है। खिलाड़ियों के लाख अनुरोध पर भी नहीं खोला जा रहा है। इस स्थिति से रोजाना प्रैक्टिस करने वाले करीब दो सौ खिलाड़ी मायूस हैं।

राष्ट्रीय सम विकास योजना से बना है इंडोर स्टेडियम: पोलो मैदान से सटे और दरभंगा क्लब के पीछे इंडोर स्टेडियम है। इसके परिसर में लगा खस्ताहाल बोर्ड बताता है कि स्टेडियम का निर्माण राष्ट्रीय सम विकास योजना के एक करोड़ 93 लाख की राशि से हुआ है। इसमें से एक करोड़ 60 लाख रुपए में स्टेडियम बना, जबकि 32 लाख 94 हजार की लागत से बैडमिंटन कोर्ट बना। सूत्रों की मानें तो आंधी व बारिश से हुए नुकसान की मरम्मत के लिए करीब 80 लाख की राशि आवंटित की गई। बताया जाता है कि मरम्मत की खानापूरी कर संवेदक ने राशि निकासी कर ली और चाबी सौंपकर स्टेडियम हैंडओवर कर दिया, जबकि इंडोर स्टेडियम की मरम्मत अधूरी है। सूत्र बताते हैं कि स्टेडियम में बैडमिंटन कोर्ट के साथ बॉक्सिंग रिंग एवं टेबुल टेनिस का भी सामान था। पहले वाली अधिकतर सुविधाएं गायब हैं। इसकी जानकारी स्टेडियम का ताला खुलते ही खिलाड़ियों को हो जाएगी। इसी वजह से इंडोर स्टेडियम के मुख्य गेट का ताला बंद है।

दरभंगा क्लब के बैडमिंटन कोर्ट को ललचाई नजरों से देखते खिलाड़ी: बैडमिंटन कोर्ट दरभंगा क्लब में भी मौजूद है। वहां खेल के शौकीन पदाधिकारी, चिकित्सक एवं क्लब के अन्य मेंबर खेलते हैं। बैडमिंटन रैकेट लेकर क्लब में जाते लोगों को देख खिलाड़ियों की मायूसी बढ़ जाती है। खिलाड़ी सौरभ कुमार बताते हैं कि क्लब में सामान्य खिलाड़ियों की इंट्री नहीं है इसलिए हम लोगों को बाहर खेलना पड़ता है। यहां दिक्कत ही दिक्कत है। पोलो मैदान का ग्राउंड एक समान नहीं है। गिरने का खतरा बना रहता है। साथ ही हवा की वजह से कॉर्क इधर-उधर हो जाता है। वहीं, दरभंगा क्लब के मेंबर और पूर्व खिलाड़ी अमित मिश्रा बताते हैं कि बैडमिंटन की प्रैक्टिस के लिए इंडोर कोर्ट का होना बेहद जरूरी है। खुले में लोग शौकिया तो खेल सकते हैं, पर मैच की प्रैक्टिस तो कोर्ट पर ही संभव है। जिला प्रशासन को अविलंब इंडोर स्टेडियम का ताला खोलना चाहिए।

विद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता की है जरूरत

दरभंगा क्लब में दर्जनों प्रशासनिक पदाधिकारी और चिकित्सक बैडमिंटन की नियमित प्रैक्टिस करते हैं। इनमें से अधिकतर पूर्व खिलाड़ी रह चुके हैं। जिला परिवहन पदाधिकारी श्रीप्रकाश बताते हैं कि खेल को बढ़ावा विद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता के आयोजन से मिलेगा। साथ ही अंतर विद्यालय स्तर पर वर्ष में तीन-चार प्रतियोगिता होनी चाहिए। इससे बच्चों की दबी हुई प्रतिभा बाहर आएगी और जिले को नया खिलाड़ी भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि जिले में खेल शिक्षक और बेहतर कोच की कमी है। इस वजह से नए बेहतर खिलाड़ी के उभरने की रफ्तार धीमी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर सफल होने के लिए खिलाड़ी में एकाग्रता होनी चाहिए। ऐसा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि ढंग के कोच नहीं हैं। नेशनल लेवल का मैच खेलते ही मोटिवेशन के अभाव में खिलाड़ी का अहम जग जाता है। इससे खिलाड़ियों की प्रतिभा प्रभावित होने लगती है। उन्होंने बताया कि नए खिलाड़ियों के सामने आने से प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा। इससे पुराने खिलाड़ियों पर बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ेगा और जिले को मेडल मिलेगा। ऐसी ही बात श्रम उप निदेशक आशीष आनंद, डॉ.ज्योति प्रकाश कर्ण, डॉ. रितुराज सिंह, डॉ. कुंदन कुमार, नीरज कुमार सिंह, डॉ. रिजवान हैदर,प्रवाल तुलस्यान आदि भी बताते हैं। इनका कहना है कि खेल को बढ़ावा मिलने से पूरे समाज का भला होता है। अच्छा खिलाड़ी खेल के साथ अन्य जिम्मेवारियों का निर्वहन बेहतर तरीके से करता है। खेल मैदान, इंडोर कोर्ट आदि बनने खिलाड़ियों को अभ्यास का साधन उपलब्ध हो जाएगा। यह सुविधा लंबे अरसे तक बरकरार रहे, इसके लिए कमेटी की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके सदस्य जिले के खेल मैदान एवं वहां की सुविधाओं का मेंटेनेंस नियमित कराएं।

बोले जिम्मेदार

इंडोर स्टेडियम का भवन तूफान में क्षतिग्रस्त हो गया था। अब इंडोर स्टेडियम के भवन की मरम्मत पूर्ण की जा चुकी है। भवन में बिजली सहित अन्य सुविधाओं को विकसित करने का काम कराया जा रहा है। उम्मीद है कि एक से दो हफ्ते के बाद इंडोर स्टेडियम में खिलाड़ी पूर्ववत अभ्यास करने लगेंगे।

-परिमल कुमार, जिला खेल पदाधिकारी

- प्रस्तुति : राजकुमार गणेशन

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