जयपुर से मुक्त बाल श्रमिकों के पुनर्वास का हो रहा प्रयास
जयपुर के लहठी-चुड़ी उद्योग में बड़ी संख्या में दरभंगा जिले के बाल श्रमिक काम करते हैं। दलाल इन बच्चों के परिवार को लालच देकर ले जाता है और वहां उनसे 15 घंटे तक काम लेता है। हाल के कुछ महीनों में जयपुर...
जयपुर के लहठी-चुड़ी उद्योग में बड़ी संख्या में दरभंगा जिले के बाल श्रमिक काम करते हैं। दलाल इन बच्चों के परिवार को लालच देकर ले जाता है और वहां उनसे 15 घंटे तक काम लेता है। हाल के कुछ महीनों में जयपुर से 53 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया। विमुक्त बाल श्रमिकों में सदर, जाले, सिंहवाड़ा, हायाघाट, केवटी, घनश्यामपुर, गौड़ाबौराम, मनीगाछी, बिरौल और बहादुरपुर प्रखंड के हैं।
विमुक्त बाल श्रमिकों के स्थायी पुनर्वास प्रक्रिया के तहत सरकार विभिन्न कल्याणकारी एवं सामाजिक सुरक्षा से सबंधित योजनाओं के जोड़ने का काम किया जारहा है। ‘निर्देशसंस्था द्वारा फ्रीडम फंड के सौजन्य से लगातार इस दिशा में सक्रिय है।खासकर लॉक डाउन की अवधि में संकटग्रस्त परिवारों को निरंतर फॉलोअप करते हुए सरकारी मदद दिलाने में मदद किया गया।
जिले के विमुक्त बाल श्रमिकों में वर्तमान में 36 बच्चे विभिन्न विद्यालयों में नामांकित हैं। विमुक्त 53 बाल श्रमिकों में 36 का आधार पंजीयन, 31 का बैंक खाता खुलवाया गया है। इन श्रमिकों से जुड़े एक दर्जन परिवार को पेंशन योजना का लाभ दिलाया गया है। विमुक्त 17 श्रमिकों के परिवार को जीविका समूह से जोड़ा गया है और नौ परिवारों को जॉब कार्ड मुहैया कराया गया है। ऐसे 16 परिवारों को उज्जवला योजना का लाभ दिलाया गया है और 11 परिवारों को चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराया गया है। ‘निर्देश के जिला समन्वयक रंजीव कुमार सिंह कहते हैं कि विमुक्त बाल श्रमिकों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम लगातार जारी है।
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