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मिथिला के गांवों में जानकारी का खजाना, बने दस्तावेज

दरभंगा में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मिथिला के गांवों के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता पर चर्चा हुई। प्रमुख साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि गांवों में जानकारी का खजाना है। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. ओम...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाFri, 15 Nov 2024 01:03 AM
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दरभंगा। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। खासकर मिथिला तो गांवों का ही क्षेत्र है जहां धरती से सीता उत्पन्न हुई हैं। देवाधिदेव महादेव महाकावि विद्यापति की चाकरी करने उनके यहां उगना बनकर बहुत दिनों तक रहे थे। उस मिथिला के छोटे-छोटे गांवों मे जानकारियों का खजाना भरा है। आवश्यकता है उसके दस्तावेजीकरण की। यह इस संगोष्ठी के माध्यम से किया जा रहा है। ये बातें गुरुवार को मिथिला विभूति पर्व समारोह के दूसरे दिन ‘मिथिलाक गाम विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में संयोजक व प्रख्यात साहित्यकार मणिकांत झा ने कही। विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन दरभंगा के प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम प्रकाश ने किया। सुधा डेयरी, दरभंगा के प्रबंधक सुभाष कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। विष्णु के झा अध्यक्षता कर रहे थे। इस संगोष्ठी में लगभग 40 आलेख प्राप्त हुए थे जिन्हें संकलित कर पुस्तकाकार किया गया और मौके पर ही अतिथियों ने इसका लोकार्पण भी किया। डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि गांव में रहने वाले लोग शहर की सभी सुख-सुविधाओं को प्राप्त करते हैं, पर अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को आज भी अक्षुण्ण बनाए हुए हैं। आवश्यकता है गांवों में चल रही रीति-रिवाजों को संजोकर रखने की। मुख्य अतिथि सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि गांवों में सीखने के लिए बहुत कुछ है। विशिष्ट अतिथि प्रो. अयोध्या नाथ झा ने मिथिला के विभिन्न गांवों से आलेख आने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. महेंद्र राम ने अपने गांव के गुणों का बखान किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि विद्यापति सेवा संस्थान मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए कृतसंकल्पित है। संस्थान के अध्यक्ष तथा पूर्व कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने कहा कि इस संगोष्ठी कि यह सफलता है कि पुस्तक के माध्यम से हम विभिन्न गांवों की विशिष्टता को समझ सकेंगे। संगोष्ठी में डॉ. सती रमण झा, शंभू नाथ मिश्रा आसी, कामेश्वर कुमार ओझा, रितु प्रज्ञा, गोपाल कुमार झा, प्रभाकर कुमार झा, डॉ. सत्येंद्र कुमार झा, मोहन मुरारी झा, सुमित श्री झा, डॉ. अजय कुमार, डॉ. प्रतिभा स्मृति, साहेब ठाकुर, प्रतिभा किरण, मुन्नी मिश्र, आनंद शंकर, इंदु कुमारी, बागेश्वरी कुमारी, डॉ. पूनम कुमारी झा, रामचंद्र राय, नीलम झा, स्वर्णिम किरण प्रेरणा आदि थे।

धन्यवाद ज्ञापन हरि किशोर चौधरी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ पं. गंधर्व कुमार झा के वेद ध्वनि व डॉ. ममता ठाकुर के गाए भगवती वंदना से और समापन जानकी ठाकुर के गए नचारी से हुआ।

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