मात्र तीन चिकित्सकों के कंधों पर है एफएमटी विभाग का बोझ
दरभंगा मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में शिक्षकों की गंभीर कमी के कारण एनएमसी कार्रवाई कर सकती है। प्राचार्य डॉ. अलका झा ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर अतिरिक्त चिकित्सकों की पोस्टिंग की...
दरभंगा। दरभंगा मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग (एफएमटी) में शिक्षकों की घोर कमी की वजह से एमडी की सीट पर एनएमसी की कार्रवाई हो सकती है। विभाग का निरीक्षण करने एनएमसी की टीम किसी भी दिन डीएमसी पहुंच सकती है। विभाग में शिक्षकों की कमी को लेकर एनएससी की ओर से लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। एनएमसी की टीम के जल्द आने की संभावना को देखते हुए दरभंगा मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अलका झा ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर एफएमटी विभाग में बॉन्ड पोस्टिंग के अंतर्गत कम से कम तीन एमडी उत्तीर्ण चिकित्सकों अथवा चार चिकित्सा पदाधिकारियों की पोस्टिंग करने का आग्रह किया है। पत्र में उन्होंने कहा है कि विभाग में चिकित्सकों की घोर कमी है। एफएमटी विभाग में 27 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। फिलहाल वहां केवल तीन चिकित्सक ही कार्यरत हैं। इनमें से प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत डॉ. पीके दास सितंबर में रिटायर हो जाएंगे। ट्यूटर के पद पर कार्यरत चिकित्सक का टेन्योर अप्रैल में समाप्त होने वाला है। चिकित्सकों के पदों पर तैनाती नहीं होने से सितंबर के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात डॉ. वीएन झा ही विभाग में एकमात्र चिकित्सक रह जाएंगे। एफएमटी विभाग में काम के अत्यधिक बोझ से कार्यरत चिकित्सकों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। छात्रों के पठन- पाठन के अलावा पोस्टमार्टम का काम इन्हीं के जिम्मे है। इसके अलावा उन्हें नियमित रूप से गवाही देने न्यायालय भी जाना पड़ता है। इसके अलावा मेडिकल बोर्ड, मेडिको लीगल, परीक्षा आदि का बोझ भी फिलहाल तीन चिकित्सकों जे कंधों पर है। पोस्टमार्टम के लिए पूरे जिले से शवों को एफएमटी विभाग भेजा जाता है। पिछले वर्ष एफएमटी विभाग में 800 से ज्यादा पोस्टमार्टम हुए। विभाग में फिलहाल प्रोफेसर का एक पद रिक्त है। एसोसिएट प्रोफेसर के सभी पांच पद रिक्त पड़े हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के आठ पदों में से सात रिक्त हैं। ट्यूटर के 12 पदों में से 11 रिक्त हैं। हर वर्ष दरभंगा मेडिकल कॉलेज की यूजी में 120 सीटों पर दाखिला लिया जाता है। कई बैच की पढ़ाई का बोझ भी फिलहाल तीन शिक्षक ही उठा रहे हैं।
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