नवजात को बिना जांच के ही शिशु रोग विभाग से एमसीएच लौटाया
दरभंगा के डीएमसीएच में शिशु चिकित्सकों की कमी के कारण नवजातों के इलाज में कठिनाई हो रही है। मातृ-शिशु अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के चेकअप के लिए परिजनों को शिशु रोग विभाग तक जाना पड़ता है। हाल...
दरभंगा। डीएमसीएच में ड्यूटी पर यदा-कदा शिशु चिकित्सकों के पहुंचने से एक ही छत के नीचे जच्चा-बच्चा के इलाज को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को धक्का पहुंच रहा है। नवनिर्मित सौ बेड के मातृ-शिशु अस्पताल में गर्भवती और प्रसूताओं का तो पूर्ण इलाज हो रहा है, लेकिन ड्यूटी पर अधिकतर शिशु चिकित्सकों के मौजूद नहीं रहने से परिजनों को नवजात के चेकअप के लिए पूर्व की तरह ही वहां से काफी दूर स्थित शिशु रोग विभाग तक जाना पड़ रहा है। मौसम गर्मी का हो या बरसात और कड़ाके की ठंड का, मां की कोख से निकलते ही नवजात को मौसम की मार झेलने के लिए शिशु रोग विभाग भेज दिया जाता है। इक्के-दुक्के शिशु चिकित्सक कभी-कभार टहलते हुए वहां पहुंच जाते हैं। सोमवार को तो चिकित्सकों ने हद कर दी। केवटी प्रखंड की धौनकी चंदा देवी ने मातृ-शिशु अस्पताल में नवजात को जन्म दिया। चेकअप के लिए परिजन शिशु चिकित्सक को काफी देर तक ढूंढते रहे। नहीं मिले तो वे नर्स को अपनी समस्या बताने लगे। उन्हें नवजात को लेकर शिशु रोग विभाग जाने को कहा गया।
वहां तक जाने के लिए प्रतिमाह 40 हजार की राशि खर्च कर अस्पताल प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई गई एंबुलेंस से वे नवजात को लेकर शिशु विभाग पहुंचे। पांच रुपए देकर निबंधन कराया। जब डॉक्टर के पास पहुंचे तो नवजात को देखे बिना ही परिजनों को मातृ-शिशु अस्पताल लौटा दिया। यह कहते हुए कि वहां तो डॉक्टर की ड्यूटी लगती है। वहीं नवजात का चेकअप होगा। यह सुनकर निराश होकर परिजन नवजात को लेकर वापस मातृ-शिशु अस्पताल पहुंचे। मामला चर्चित होने पर दौड़े-दौड़ एक शिशु चिकित्सक वहां पहुंचे। तब जाकर नवजात का चेकअप हो सका।
बता दें कि मातृ-शिशु अस्पताल में शिशु चिकित्सकों की ड्यूटी रोस्टर जारी की गई है। वहां अलग-अलग शिफ्ट में डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। बावजूद इसके नवजात को लेकर शिशु रोग विभाग तक परिजनों की दौड़ जारी है। डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर न ही अस्पताल प्रशासन गंभीर दिख रहा है और न हो शिशु रोग विभाग प्रशासन।
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