जिले में आपूर्ति कम, 1350 रुपये की डीएपी खाद 18 सौ में बिक रही
दरभंगा में अनावृष्टि से धान की फसल बर्बाद हो गई है और अब रबी फसल के लिए डीएपी की कमी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बेनीपुर के क्षेत्रों में खाद की कमी से किसान महंगी दर पर डीएपी खरीदने को मजबूर...
दरभंगा/बेनीपुर, हिटी। अनावृष्टि से धान की फैसल चौपट होने से किसानों की पहले ही कमर टूट चुकी है। जैसे-तैसे किसान रबी फसल की तैयारी में जुटे हैं। लेकिन बाजार से डीएपी गायब होने के चलते अब रबी की फसल पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। किसान खाद विक्रेताओं से ऊंची कीमत पर डीएपी खरीदने को विवश हो रहे हैं। बता दें कि रबी फसल के तहत जिले के विभिन्न प्रखंडों के लिए प्रखंडवार लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। इसमें गेहूं, तेलहन, दलहन मक्का सहित अन्य फसलों के लिए कुल एक लाख 13 हजार 652.292 हेक्टेयर में अच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत 89 हजार 280 हेक्टेयर में गेहूं के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मक्का के लिए 10 हजार 952 हेक्टेयर, दलहन के लिए छह हजार 241 हेक्टेयर एवं तेलहन के लिए कुल पांच हजार पांच हेक्टेयर में आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिले को डीएपी की आवश्यकता 6500 मीट्रिक टन है। इसके आलोक में 21 नम्बर तक 2211 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध हो सकी है। 4289 मीट्रिक टन डीएपी कम उपलब्ध कराया जा सका है। खाद की कम आपूर्ति से किसानों को परेशानी हो रही है।
बेनीपुर अनुमंडल क्षेत्र में करीब 66 लाइसेंसी खाद दुकानें हैं। बेनीपुर एवं अलीनगर प्रखंड क्षेत्र में सभी लाइसेंसी दुकानों से किसानों को डीएपी नहीं मिल रहा है। वहीं, खेतों से नमी गायब होने के कारण किसान महंगी दर पर पटवन कर रहे हैं। बेनीपुर, आशापुर, बहेड़ा, धरौड़ा, मझौड़ा, मायापुर, पकड़ी, अलीनगर, बाजितपुर व हरसिंहपुर बाजार में डीएपी की काफी किलल्त है। महंगी दर पर इसे खरीदना सभी के वश की बात नहीं है। नवादा, चौगमा, तरौनी, हाबीभौआड़ व कोठबन्ना के प्रगतिशील कृषक महेंद्र नारायण झा लाला, राघवेंद्र झा मनीबाबू, रामदयाल झा गुणाकर, लक्ष्मण झा सरदार, पूर्व प्रमुख मनोज मिश्रा, मनोज महतो आदि ने आक्रोशित लहजे में कहा कि प्रकृति की मार से धान की फैसल नहीं हुई। प्रशासन और जमाखोरों की मिलीभगत से डीएपी नहीं मिल रहा है। इससे अब किसानों को रबी की फसल से भी हाथ धोना पड़ेगा। किसानों ने बताया कि 90 प्रतिशत किसान रबी की बुनाई डीएपी के अभाव में नहीं कर रहे हैं।
कई अन्य किसानों ने कहा कि अधिकतर खेतों में नमी का अभाव है। जमाखोर उर्वरक विक्रेता 1350 के बदले 1800 से दो हजार रुपए में चोरी-छुपी डीएपी बेच रहे हैं।
इस संबंध में प्रखंड कृषि अधिकारी एसके राम ने बताया कि उर्वरक बिक्री की निगरानी के लिए प्रखंड स्तर पर टीम का गठन किया गया है। इसमें बीडीओ व सीओ सहित छह लोगों को शामिल किया गया है। यह टीम लगातार दुकानों का भ्रमण कर डीएपी की बिक्री पर नजर रख रही है।
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