आम की फसल पर भी पड़ रही कोरोना की मार
कोरोना के कारण सभी तरह के कारोबार प्रभावित हुए ही हैं। आम की फसल पर भी इसकी काली छाया पर रही...
कोरोना के कारण सभी तरह के कारोबार प्रभावित हुए ही हैं। आम की फसल पर भी इसकी काली छाया पर रही है। मिथिलांचल का प्रसिद्ध आम इस वर्ष दूसरे जिला एवं प्रदेशों में ठीक से नहीं जा पा रहा है। बाजारों में खरीदारों की कमी एवं बाहर से व्यापारियों की कम आवाजाही के कारण तैयार फसल के मूल्य कारोबारी को नहीं मिल पा रहा है। पेड़ से आम तोड़कर बाजारों तक पहुंचाने वाले किसान ओने पौने रेट में आम बेचने को मजबूर हो रहे हैं जिससे इस कारोबार में पूंजी लगाकर आम खरीदे व्यापारियों को घाटा होने की आशंका सताने लगी है। सुशील शाह, रामचंद्र सहनी, दीपक कुमार आदि कारोबारियों ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत कम मूल पर आम बेचना पड़ रहा है।
एक तरफ कोरोना के भय से आम का कारोबार प्रभावित हो ही रहा है तो दूसरी ओर लगातार हो रही बारिश से आम उत्पादक किसानों में बाढ़ का भय पैदा कर दिया है। किसानों ने बताया कि इस वर्ष लगातार कई बार हुई आंधी एवं ओलावृष्टि से आम की फसल पहले से ही कमजोर हो गई थी। सुरेश प्रसाद, मोहन ठाकुर, जगन्नाथ दास आदि कारोबारियों ने बताया कि उन्होंने कई बगीचे खरीद रखे हैं। बाढ़ आते ही जलजमाव के कारण कठिनाई बढ़ जाएगी। बगीचे में बाढ़ का पानी आने से पेड़ों से आम तोड़ना कठिन हो जाएगा। ऐसी स्थिति में नीचे जमीन में लगे आम के वृक्ष के फल को अविलंब तोड़कर बेचने की आवश्यकता है। पर लगातार बारिश आम ठीक से तोड़ने भी नहीं दे रही है। जैसे-तैसे आम तोड़ा भी जा रहा है तो कोरोना के भय से बाहर से थोक व्यापारी ठीक से बगीचे तक नहीं पहुंच रहे हैं।
दरभंगा का दूधिया मालदह, कृष्णभोग, बम्बई आम इस बार पटना, समस्तीपुर सहित यूपी के शहरों में ठीक से नहीं जा पा रहा है। कुछ कारोबारी आम की खरीददारी कर नेपाल ले जा रहे थे। इस बार विवाद के कारण वह रास्ता भी प्रभावित है।
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