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कम वेतन और काम ज्यादा से बढ़ रहा एमआर का दर्द

जिले में 500 से अधिक मेडिकल रिप्रजेंटेटिव काम कर रहे हैं। इनकी समस्याओं में अत्यधिक टारगेट, लंबे काम के घंटे और यात्रा के दौरान सुरक्षा का खतरा शामिल है। उन्हें उचित वेतन नहीं मिलता और मानसिक दबाव का...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाWed, 19 Feb 2025 01:49 AM
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कम वेतन और काम ज्यादा से बढ़ रहा एमआर का दर्द

जिले में 500 से अधिक मेडिकल रिप्रजेंटेटिव (दवा कंपनियों के प्रतिनिधि) काम करते हैं। इनका काम डॉक्टरों को अपनी कंपनी की दवाइयों की विशेषता बतानी है। इस काम के लिए उन्हें सुबह से शाम तक लगा रहना होता है। इनका दर्द यह है कि कंपनियां इनको अत्यधिक टारगेट देती हैं। कई बार टारगेट इतना होता है कि तनाव बढ़ जाता है। वेतन भी उस हिसाब से नहीं दिया जाता है। इस कारण भी वे परेशान रहते हैं। मेडिकल रिप्रजेंटेटिव को पूरे जिले या जिले के बाहर प्रतिदिन 50 किलोमीटर या उससे अधिक की की यात्रा करनी पड़ती है। इस कारण हादसे का खतरा भी बना रहता है। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिलती है, जबकि इनका काम आम लोगों से जुड़ा हुआ है।

मेंडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम स्वास्थ्य क्षेत्र में कंपनियों के उत्पादों और दवाओं को डॉक्टरों, अस्पतालों और चिकित्सा संस्थाओं तक पहुंचाना और दवाओं की प्रतिक्रिया के संबंध में बताना होता है। अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए यह काम किसी भी दवा कंपनी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह डॉक्टरों को नई दवाइयां और उपचार के विकल्पों के बारे में जानकारी देता है। हालांकि, इस पेशे से जुड़ी कई समस्याएं भी हैं जिनकी वजह से एमआर के काम में रुकावटें और चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। एमआर को अक्सर अत्यधिक काम का दबाव महसूस होता है। उन्हें हर महीने अपने बिक्री लक्ष्य को पूरा करने का टारगेट दिया जाता है। इस कारण वे अपने स्वास्थ्य की देखभाल के साथ पेशेवरों के साथ अच्छे रिश्ते नहीं बना पाते।

टारगेट पूरा करने के लिए मानसिक दबाब का करना पड़ता है सामना

एमआर को कभी-कभी लक्ष्य इतना बढ़ा दिया जाता है, जिससे उन्हें मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है। बिहार-झारखंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स यूनियन, दरभंगा के जिलाध्यक्ष मनोज सिंह ने बताया कि जिलेभर में हम लोगों की संख्या 500 के करीब है। कई दवा बिक्री प्रतिनिधियों को उनकी मेहनत के हिसाब से उचित वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। इसके अलावा उनकी कार्य अवधि भी बहुत लंबी होती है। उन्हें सुबह से लेकर देर शाम तक डॉक्टरों से मुलाकात करनी होती है। दिनभर के भागदौड़ के बाद भी काम के दबाव को लेकर परेशान रहते हैं। इसके बावजूद उनकी सैलरी इतनी नहीं होती कि वे इस काम को स्थिर और संतोषजनक करियर के रूप में देख सकें।

कई किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है रोज

एमआर को अपनी दिनचर्या में कई किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ती है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य संस्थाएं और डॉक्टर दूर होते हैं। यह यात्रा अक्सर जोखिमपूर्ण होती है, क्योंकि उन्हें असुरक्षित मार्गों से गुजरना पड़ता है। कई बार दवा कंपनी के प्रतिनिधि दुर्घटना के शिकार होकर अपने प्राण गंवा चुके हैं। उनके पास कोई स्वास्थ्य बीमा या सुरक्षा सुविधा नहीं होती। इसके अलावा, यात्रा के दौरान उत्पन्न होने वाली थकान और तनाव उनकी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। उन्होंने बताया कि कभी-कभी कंपनियों की ओर से एमआर को आवश्यक और जरूरी जानकारी नहीं दी जाती, जिससे वे डॉक्टरों को सही जानकारी नहीं दे पाते। साथ ही समय-समय पर दवाओं की जानकारी व प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं होने से भी समस्या उत्पन होती है। यदि एमआर को अपने उत्पादों के बारे में पूरी जानकारी न हो, तो यह उनके काम को प्रभावित करता है। इसके अलावा जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगाकर निजी जिंदगी में भी कंपनी हस्तक्षेप कर रही है। इससे एमआर को प्रताड़ित होना पड़ता है।

मनोज सिंह ने बताया कि एमआर के कार्यस्थल पर अक्सर असमानताएं पाई जाती हैं। उनके काम के मूल्यांकन में भेदभाव और पक्षपात की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। खासकर महिलाओं या अन्य उत्पीड़ित वर्गों के एमआर के साथ। यह कार्यस्थल की मानसिकता और माहौल को नकारात्मक बना देता है। सेल्स टारगेट को लेकर कंपनी की ओर से इन्हें प्रताड़ित किया जाता है। ये कई बार आवाज उठा चुके हैं, पर इस पर कोई ध्यान नहीं देता।

कार्यस्थल पर भेदभाव खत्म करने की जरूरत

बिहार-झारखंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव यूनियन, दरभंगा के अध्यक्ष मनोज सिंह ने संघ की कुछ प्रमुख मांगों को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एमआर की समस्याओं को सुलझाने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। कंपनियों को एमआर को उचित वेतन और बेहतर कार्य-जीवन संतुलन प्रदान करने की दिशा में काम करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें अपनी सुरक्षा और यात्रा के दौरान बेहतर सुविधाएं भी मुहैया करानी चाहिए। कार्यस्थल पर भेदभाव को समाप्त करने के लिए संवेदनशीलता और समान अवसर प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही एमआर को अपने उत्पादों के बारे में पूरी और अद्यतन जानकारी मिलनी चाहिए ताकि वे डॉक्टरों को सही और विश्वासपूर्ण तरीके से जानकारी दे सकें। उन्होंने कहा कि किसी भी एमआर को जब तक उचित वेतन और उचित सुविधाएं नहीं दी जाएंगी तब तक वे अपने काम को अच्छे से नहीं कर सकते हैं।

-बोले जिम्मेदार-

मेडिकल प्रतिनिधि को अगर सरकार की ओर निर्धारित समय से ज्यादा काम करने का दबाब डाला जाता है तो वो इसकी शिकायत कर सकते हैं। उसके निदान को लेकर विभागीय प्रक्रिया जो भी होगी, वह की जाएगी। प्रतिनिधि लिखित शिकायत करें। हालांकि अब तक एक भी शिकायत मेडिकल प्रतिनिधियों की ओर से अपने कार्यों की समयावधि को लेकर नहीं की गई है।

- दिनेश कुमार , श्रम अधीक्षक

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