Hindi NewsBihar NewsDarbhanga NewsChallenges Faced by Coaching Institutes in Urban Areas Amid Online Class Competition

ऑनलाइन ने बढ़ाई चुनौती गंदगी व खुले नाले दे रहे दर्द

शहरी क्षेत्रों में दो सौ से अधिक कोचिंग संस्थान कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ऑनलाइन कक्षाओं के कारण छात्रों की संख्या में कमी आई है। स्थानीय कोचिंग संस्थानों को बुनियादी सुविधाओं की कमी, खुले नाले...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाSun, 23 Feb 2025 05:25 PM
share Share
Follow Us on
ऑनलाइन ने बढ़ाई चुनौती गंदगी व खुले नाले दे रहे दर्द

शहरी क्षेत्र में छोटे-बड़े दो सौ से अधिक कोचिंग संस्थान कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। कोचिंग संचालकों की परेशानी है कि बड़े संस्थानों की ऑनलाइन क्लास ने उन्हें काफी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे संस्थान दो से चार हजार रुपये में पूरे साल पढ़ाने का दावा करते हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर अभिभावकों को हर माह फीस देनी होती है। ऐसे में बच्चे ऑनलाइन क्लास ज्वाइन कर लेते हैं। इससे कोचिंग में छात्रों की उपस्थिति प्रभावित हुई है। कोचिंग संचालकों का दर्द है कि संचालन से जुड़े सख्त नियमों व छात्रों की घटती संख्या के कारण उनके अच्छे शिक्षक पलायन कर जाते हैं। इसके अलावा कोचिंग संस्थान के आसापस खुले नाले, जर्जर सड़क, जलजमाव, गंदगी का अंबार व आसपास मंडराते शोहदों ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है। संचालकों का कहना है कि बारिश के दौरान खुले नाले से हादसे का भय बना रहता है। कई बार छात्र-छात्राएं गिरकर चोटिल हो जाते हैं। शोहदों के भय के कारण कई छात्राओं ने कोचिंग आना बंद कर दिया है। पुलिस की नियमित गश्ती नहीं होने से भी ऐसे तत्वों का मनोबल बढ़ जाता है। तमाम चुनौतियों से जूझ रहे कोचिंग की कमाई आधी हो गयी है।

बड़े निजी संस्थान इस स्थिति से उबरने की राह ढूंढ रहे हैं तो किराए के भवन में संचालित कई कोचिंग बोर्ड सहित गायब हो चुके हैं। नाग मंदिर मोहल्ला स्थित एक निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ. अनिकेत कुमार इसकी वजह कोचिंग संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव मानते हैं। डॉ. अनिकेत कहते हैं कि दरभंगा में तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को हाल ही में बीपीएससी, इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि परीक्षाओं में सफलता मिली है लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव से समस्या खड़ी हो रही है। उन्होंने बताया कि नामांकन के बाद छात्र चंद दिनों में जीवनशैली से आजिज हो जाते हैं। छात्र इसकी शिकायत अभिभावक से करते हैं। परिणाम यह होता है कि अभिभावक छात्र का नामांकन रद्द कराकर पटना, दिल्ली या कोटा भेज देते हैं। नामांकन रद्द होने के बाद डिपॉजिट राशि लौटने में अक्षम कई संस्थान बंद हो चुके हैं।

उन्होंने बताया कि एजुकेशनल इंडस्ट्री के लिए यह गंभीर स्थिति है। बंगाली टोला स्थित कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ. अजय किशोर कहते हैं कि मेरे संस्थान के आगे वर्षों से नाला खुला है। टैक्स देने के बावजूद नगर निगम की सुविधाएं अधूरी हैं। नाले का स्लैब गायब है, अतिक्रमण पसरा है। अलसुबह छात्रों व शिक्षकों का सामना कूड़े-कचरे से होता है। सड़क जाम में फंसकर घंटों का समय बर्बाद हो जाता है। स्टूडेंट लाइफ का समय महत्वपूर्ण होता है। वे रोजमर्रा की दिनचर्या में समय की बर्बादी देख पलायन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि साफ-सफाई के साथ यातायात को दुरुस्त करना बेहद जरूरी है। साथ ही छात्रों को चेन-मोबाइल स्नेचिंग जैसी वारदात से भी निजात दिलाने की जरूरत है।

सुविधाएं मिले तो कोटा बन सकता है दरभंगा

दरभंगा शहर व ग्रामीण हिस्सों में एजुकेशन इंडस्ट्री तेजी से पांव पसार चुका है। जानकार इसकी कमाई 1200 से 1300 करोड़ सालाना मानते हैं। बताते हैं कि दरभंगा में कोचिंग में करीब एक लाख विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। वहीं, गली-मोहल्लों में सैकड़ों कोचिंग खुले हैं जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कराई जाती हैं। निजी संस्थान के निदेशक ई. संतोष कुमार बताते हैं कि प्रतिवर्ष निजी संस्थानों में 60-70 हजार नए छात्र नामांकन लेते हैं। इनमें से करीब 20 हजार एक वर्ष के भीतर शहर छोड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र में जगह का अभाव है। ऊपर से अतिक्रमण है। इससे कम स्थान में संचालित संस्थानों में समस्या होती है। अधिकतर संस्थानों के पास वाहन सुविधा नहीं है। प्रतियोगिता की तैयारी करने वाले छात्र बाइक-साइकिल से आते हैं। फुटपाथ पर अतिक्रमण है। इससे वाहन पार्किंग में समस्या होती है। साथ ही चोरी का खतरा भी बढ़ा रहता है। उन्होंने बताया कि छात्रों के रहने लायक लॉज या आवासीय परिसर का अभाव है। अभिभावक बच्चों की बेहतर पढ़ाई के संग सुरक्षा व अन्य सुविधा भी चाहते हैं। इसका अभाव देख अभिभावक बच्चों को बाहर पढ़ने भेज देते हैं।

मिथिला क्षेत्र के ग्रामीण युवाओं की पहली पसंद बना है दरभंगा

एयरपोर्ट व अन्य यातायात सुविधाओं में बढ़ोतरी से विशेषज्ञ शहर के चहंुमुखी विकास की संभावना जताते हैं। बताते हैं कि दरभंगा के ग्रामीण क्षेत्र सहित मधुबनी, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, समस्तीपुर आदि जिलों के युवाओं का आकर्षण बढ़ा है। बच्चों के मैट्रिक-इंटरमीडिएट करने के बाद मध्यवर्गीय अभिभावक दरभंगा में पढ़ाई करा रहे हैं। समस्तीपुर के राकेश कुमार बताते हैं कि रेलवे की तैयारी कर रहे हैं। पटना में अधिक खर्च लग रहा था। दरभंगा में रिश्तेदार रहते हैं। पिछले वर्ष उनके यहां आने पर माहौल अच्छा लगा। उसके बाद यहीं रहकर पढ़ रहे हैं। छात्र आशीष कुमार, राखी कुमारी, ज्योति कुमारी, मेघा झा आदि भी ऐसी ही बात बताते हैं। कहते हैं कि दरभंगा में संबंधी के यहां रहकर पढ़ते हैं। पढ़ाई के लिए साधन और शिक्षक बेहतर हैं, लेकिन आवागमन में दिक्कत होती है। छात्र बताते हैं कि भटियारीसराय हनुमान मंदिर से आगे कचरे का ढेर दिनभर पड़ा रहता है। आवारा पशु मंडराते हैं। आने-जाने में दिक्कत होती है। बरसात में यह दुश्वारी और बढ़ जाती है। पानी में कचरा तैरता रहता है। बता दें कि शहर का भटियारीसराय, दिग्घी पश्चिमी, नाग मंदिर, आकाशवाणी रोड, बंगाली टोला, मिर्जापुर आदि जगहों पर सैकड़ों कोचिंग संचालित हो रहे हैं। यहां हजारों छात्र पढ़ाई करते हैं। उन्हें गदंगी, जलजमाव, स्नेचिंग आदि से जूझना पड़ रहा है। बहरहाल यह स्थिति उभर रहे एजुकेशन इंडस्ट्री के सामने बाधक साबित हो रही है। दरभंगा में एक दर्जन से अधिक उत्कृष्ट संस्थान हैं, जहां वैज्ञानिक और अत्याधुनिक माहौल में पढ़ाई का बंदोबस्त है। वहां हजारों छात्र अध्ययन कर रहे हैं। अगर मूलभूत सुविधाएं विकसित हो जाएं तो शहर कोटा बन सकता है।

शिकायत

1. कोचिंग संस्थान के आसपास साफ-सफाई का अभाव रहता है, जबकि कोचिंग संस्थान निगम को टैक्स देने के साथ व्यावसायिक टैक्स भी देते हैं।

2. अधिकतर कोचिंग संस्थानों के पास खुले नाले हैं। साथ ही बरसात में जलजमाव बड़ी समस्या है।

3. गली-मोहल्ले में उचक्के-नशेड़ी मंडराते हैं। नियमित पुलिस गश्त की जरूरत है।

4. छात्रों की काउंसिलिंग एवं मोटिवेशनल सपोर्ट का अभाव है। इस वजह से छात्र बुनियादी सुविधाओं के अभाव में घबराकर पलायन कर जाते हैं।

5. छोटे कोचिंग संस्थानों को बड़े संस्थानों से दिक्कत होती है। इसमें प्रशासनिक स्तर पर सहयोग मिलना चाहिए।

सुझाव

1. स्टूडेंट एरिया व कोचिंग संस्थानों के पास नियमित सफाई होनी चाहिए। साथ ही पार्क, खेल मैदान, इंडोर ग्रांउड को विकसित किया जाए।

2. जिला प्रशासन कोचिंग संस्थानों के लिए स्पष्ट पॉलिसी और नियमावली बनाए। साथ ही प्रशासन को छात्रों से मेलजोल बढ़ाना चाहिए।

3. कोचिंग संस्थानों के आसपास खुले नालों पर स्लैब डालने के साथ जलजमाव की समस्या दूर करने की विशेष पहल हो।

4. जिला प्रशासन को कोचिंग संचालकों के साथ बैठक कर समस्याओं को चिह्नित कर समाधान ढूंढ़ना चाहिए।

5. छात्रों के भोजन की सुविधा के लिए सस्ती दर पर मेस संचालन की व्यवस्था की जाए।

-बोले जिम्मेदार-

शहर में सफाई का काम समुचित तरीके से किया जा रहा है। समय-समय पर इसकी निगरानी भी होती है। कमी पाये जाने पर संबंधित कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए जाते हैं। इसके बावजूद अगर कहीं से शिकायत मिलती है तो वहां का मुआयना कर संबंधित कर्मियों को बेहतर साफ-सफाई का निर्देश दिया जाएगा। इसके अलावा खुले नालों पर स्लैब लगाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।

- रवि अमरनाथ, सिटी मैनेजर, नगर निगम।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें