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अक्षय पुण्य की कामना से मनायी गयी अक्षय नवमी

कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन दरभंगा में लोगों ने अक्षय पुण्य की कामना से अक्षय नवमी मनाई। मंदिरों में पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे सामूहिक भोजन किया गया। इस दिन ब्राह्मण भोजन कराने की परंपरा का...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाMon, 11 Nov 2024 01:14 AM
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दरभंगा/मनीगाछी, हिटी। कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि को लोगों ने अक्षय पुण्य की कामना को लेकर अक्षय नवमी मनायी। लोगों ने सुबह में मंदिरों और घरों में पूजा-पाठ की। दोपहर में आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर विधि-विधान से पूजा के बाद सामूहिक रूप से भोजन किया। कार्तिक मास की अक्षय नवमी को आंवले के पेड़ के नीचे भजन करने का मिथिला क्षेत्र में विशेष महत्व है। अक्षय पुण्य की कामना से कई लोगों ने आंवले के पेड़ के नीचे श्रद्धापूर्वक ब्राह्मण भोजन भी कराया। 12 मासों में सबसे उत्तम माने जाने वाले कार्तिक मास की महिमा शास्त्रों में भी वर्णित है। इसी माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दान एवं ब्राह्मण भोजन से प्राप्त होने वाले अक्षय पुण्य की महिमा नारद पुराण में वर्णित है। इसी पुण्य मास में दीपावली, प्रतिहार षष्ठी, भ्रातृद्वितीया, गोपाष्टमी, गोवर्धन पूजा एवं अक्षय नवमी सहित अन्य महत्वपूर्ण सनातन धर्मावलंबियों की पुण्य तिथियों का समायोजन है। इन तिथियों में अक्षय नवमी का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार इस तिथि को श्रद्धापूर्वक भगवती दुर्गा देवी की पूजा का विधान भी बताया गया है। इसके साथ ही लोगों द्वारा दान एवं ब्राह्मण भोजन का विशेष प्रचलन परंपरा से चला आ रहा है। हमारे प्राचीन मनीषियों द्वारा इस माह में प्रतिदिन धात्री वृक्ष के नीचे उनकी छाया में शालिग्राम पूजन का महत्व अनंत पुण्यदायक बताया गया है। वैसे तो धात्री वृक्ष के नीचे कार्तिक मास की किसी भी तिथि में ब्राह्मण भोजन का महत्त्व कहा गया है, लेकिन उन सबों में इस तिथि को सर्वोत्कृष्ट माना गया है। प्राचीन परंपरा के अनुसार इस माह में लोग प्रतिदिन दीप जलाकर इस वृक्ष को देवतुल्य मानकर पूजा करते हैं। नवमी तिथि को ब्राह्मण भोजन से पुण्य अर्जन करने की मान्यता है। ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष की छाया जहां एक ओर मानव जीवन के लिए स्वास्थ्यकर है वहीं इसके फलों के गुण की महिमा अनंत है। कहा भी गया है- धात्री फलं सदा पथ्यम।

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