सीता से सीखें कर्तव्यनिष्ठा का गुण : प्रो. देवनारायण
दरभंगा में सीता की कर्तव्यनिष्ठा पर व्याख्यान आयोजित किया गया। प्रो. डॉ. देवानारायण झा ने कहा कि सीता धार्मिक और सामाजिक आदर्शों की प्रतीक हैं। उन्होंने मिथिला की संस्कृति और सीता के महत्व को उजागर...

दरभंगा। सीता की कर्तव्यनिष्ठा जगत विख्यात है। हम सभी सीता की तरह ही कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनें। सीएम कॉलेज में मैथिली एवं संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. देवनारायण झा ने उक्त बातें कही। भारतीय वाङ्मय में सीता विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि मिथिला के लोग आत्मचिंतक होते रहे हैं। लोग मुक्ति को ही अपना परम लक्ष्य बनाते रहे हैं। सीतातत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि सीता पुरुषार्थ चतुष्टय की देवी हैं। धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष सभी इनके माध्यम से प्राप्त करना संभव है।
सीता आचार, विचार, विद्या और त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। इनके अनुकरण से सब कुछ प्राप्त करना संभव है। प्रो. झा ने ऋग्वेद, अथर्ववेद, वेदांत, सांख्य दर्शन, पतंजलि योग दर्शन, सीतोपनिषद, भागवत आदि से उदाहरण देते हुए मिथिला शब्द के निर्माण और उससे मैथिली शब्द की निष्पत्ति को बताया। वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड में सीता के प्रकट का कथानक उपस्थित करते हुए कहा कि पवित्र भूमि मिथिला सीता की उत्पत्ति से और अधिक पावन हो गई। सीता अर्थ की अधिष्ठात्री देवी हैं। कृषि, पशुपालन और वाणिज्य सभी की देवी के रूप में इन्हें हम स्मरण करते हैं। यह स्वयं प्रकृति हैं। प्रधानाचार्य डॉ. मुश्ताक अहमद ने स्वागत करते हुए कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि उस क्षेत्र में जन्मे हैं जो मां सीता की जन्मस्थली है। आवश्यकता है कि हम जिस किसी भी चरित्र का सम्मान करें, उनके अनुरूप अपने चरित्र को भी विकसित करें। सीता की धरती पर उनका संदेश मानव जीवन खासकर आधी आबादी के लिए रहा है। सीता का मात्र गुण गायन नहीं करें, बल्कि उनके आदर्श व धार्मिक संदेश के साथ मानव मूल्य की रक्षा आदि को भी अपनायें। संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. संजीत कुमार झा सरस ने कहा कि सीता ने मिथिला को अकाल सरीखी समस्या से उबरा। सीता मिथिला की परिचय हैं। यह मुक्तिदायनी शक्ति भी हैं। मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. रागिनी रंजन ने कहा कि हम सीता को स्मरण कर अपने जीवन को धन्य कर सकते हैं। जानकी नवमी की पूर्व संध्या पर आयोजित यह कार्यक्रम काफी उपादेय है। उपस्थित छात्र-छात्रा इससे अवश्य ही लाभान्वित होंगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमलेन्दु शेखर पाठक तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुरेंद्र भारद्वाज ने किया। अंत में पहलगाम में मृत लोगों को मौन श्रद्धांजलि दी गई।
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