Hindi Newsबिहार न्यूज़छपराSonpur Mela A Historic Hub for Revolutionary Activities in India s Freedom Struggle

अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने को कुंवर सिंह ने मेले से खरीदे थे घोड़े

सोनपुर मेला स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहाँ बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन किया। 1857 के सिपाही विद्रोह से पहले, उन्होंने किसानों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराWed, 13 Nov 2024 09:33 PM
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छपरा, नगर प्रतिनिधि। अंग्रेजों के कब्जे से भारत माता को मुक्त कराने के लिये चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन में भी सोनपुर मेला क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र रहा है। इतिहास साक्षी है कि 1857 के सिपाही विद्रोह से पूर्व स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह ने यहां अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारियों की बैठक की थी।स्वतंत्रता आंदोलन के महान योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह भी वेश बदलकर अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए लोगों को जागरूक करते थे। युवाओं को अपनी सेना में बहाली के लिए सोनपुर में बाबू वीर कुंवर सिंह गुप्त तरीके से कैंप भी करते थे।1857 की लड़ाई के लिए सोनपुर मेला से ही बाबू वीर कुंवर सिंह ने अरबी घोड़े, हाथी व हथियार आदि का संग्रह किया था और अंग्रेजों को धूल चटाने का काम किया था। अर्थ व व्यापार का ही नहीं क्रांतिकारी गतिविधियों का भी रहा केंद्र हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला पशु, पक्षी और अर्थ व्यापार का ही नहीं आजादी से पूर्व अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र भी था। मेला घूमने के बहाने क्रांतिकारियों का मिलन स्थल भी हरिहर क्षेत्र था।जब अंग्रेजों और जमींदारों का जोर जुल्म किसान-मजदूरों पर बढ़ गया और बेबस किसान त्राहिमाम करने लगे तब व्यवस्था के विरुद्ध आंदोलन की सुगबुगाहट होने लगी।परिणामस्वरूप हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में 17 नवंबर 1929 को ही बिहार राज्य किसान सभा की स्थापना की गई। ब्रिटिश गुलामी जमींदारों का जोर जुल्म , उत्पीड़न व शोषण के खिलाफ स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसानों व मजदूरों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए इस किसान सभा की स्थापना की थी। इस किसान सभा में तत्कालीन समाज में किसानों की दुर्दशा व उनके उत्थान को लेकर कई क्रांतिकारी योजनाएं बनाई गई। इसके महामंत्री बनाए गए थे डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह। स्वामी जी के अथक प्रयास का ही प्रतिफल हुआ कि 11 अप्रैल 1936 को लखनऊ के गंगा मेमोरियल हाल में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना हुई।इस स्थापना सभा में स्वामी जी के अलावा पंडित जवाहरलाल नेहरू, आचार्य नरेंद्र देव, लोक नायक जय प्रकाश नारायण, प्रो. एनजी रंगा, इंदुलाल याज्ञिक, सोहन सिंह जोश, जेड एअहमद, ई. एमएस नांबुदरी पाद आदि ने भाग लिया था। बड़े-बड़े क्रांतिकारियों का स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों का था जुटान इसके बाद इस आंदोलन में 1937 से 1940 तक बिहार में चलाए गए बकाश्त आंदोलन में स्वामी जी के साथ राहुल सांस्कृत्यायन, नागार्जुन, रामवृक्ष बेनीपुरी,पंडित यदुनंदन शर्मा, पंडित कार्यनंद शर्मा, यमुना कार्जी, किशोरी प्रसन्न सिंह, शिव बच्चन सिंह व सबलपुर के शहीद रामवृक्ष ब्रह्मचारी आदि ने भाग लिया था। कहते हैं कि अंग्रेजों के विरुद्ध और देश में चल रही जमींदारी उत्पीड़न को लेकर इस संगठन के माध्यम से विरोध का स्वर और मुखर किया गया था।हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला ऐसे अनेक ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी है। इस मेले में न केवल व्यवसाय व व्यापार हुए बल्कि कभी मुगल तो कभी अंग्रेजों के विरुद्ध चलाए जाने वाले आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। यहां के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि उस काल में देश के बड़े-बड़े क्रांतिकारियों का स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों का यहां जुटान होता था। अगले कार्यक्रम और रणनीति पर चर्चाएं होती थीं।

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