बाजारों में पर्व के दौरान सुविधाओं की दिक्कत झेल रहे खरीदार
दिघवारा नगर पंचायत में शौचालय, यूरिनल और यात्री शेड की गंभीर कमी है। महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं। नगर प्रशासन करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद कचरे के निष्पादन के लिए जमीन नहीं जुटा पाया है। बाजार...
दिघवारा में एक भी शौचालय ,यूरिनल व यात्री शेड नहीं सबसे ज्यादा महिला खरीदरों को होती है परेशानी कचरे के निष्पादन के लिए नगर प्रशासन के पास जमीन नहीं फोटो 16- गंगा नदी के किनारे सड़ रहा चलंत शौचालय पेज चार की लीड दिघवारा निज संवाददाता। दिघवारा नगर पंचायत के मुख्य बाजार दिघवारा में पर्व के दौरान सुदूर व आसपास के इलाके से आने वाले खरीदारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक भी शौचालय ,यूरिनल व यात्री शेड नहीं है जिसके चलते हर रोज आम लोगों को परेशानी झेलनी पङती है। यूरिनल व शौचालय नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं होती है । जेम पोर्टल से खरीदे गए यूरिनल कक्ष व चलंत शौचालय आधा दर्जन से अधिक जगहों पर फेंके गए हैं जो कि रखे-रखे खराब हो रहे हैं। उधर नगर प्रशासन द्वारा सफाई के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किया जाता है, लेकिन कचरे के निष्पादन के लिए आज भी नगर प्रशासन के पास जमीन नहीं है । नगर पंचायत के गठन के दो दशक पूरा होने के बाद भी आज तक मुख्य बाजार में वाहनों की पार्किंग के लिए कोई जगह की खोज नहीं हो सकी है जिसके कारण लोग यत्र- तत्र वाहनों की पार्किंग कर देते हैं। इससे जाम लग जाता है। भूमि के अभाव में पूरे नगर क्षेत्र में एक भी रैन बसेरा व विवाह भवन नहीं बन सका है । इसके अलावा लोगों के मनोरंजन व मार्निग वाक के लिए पूरे नगर में एक भी पार्क नहीं है । नगर पंचायत होने के कारण लोगो को कई तरह का टैक्स देना पङता है मगर सुविधाएं शून्य है। गड़खा बाजार में यूरिनल व सार्वजनिक शौचालय का अभाव 13 गड़खा बाजार स्थित गंडकी नदी के पुल के पास बना सार्वजनिक शौचालय गड़खा, एक संवाददाता। काफी प्रसिद्ध गड़खा बाजार में आने वाले खरीदारों को दिक्कत झेलनी पड़ रही है। यह परेशानी पहले से है लेकिन पर्व में बढ़ती भीड़ के बाद समस्याएं बढ़ी है। आज भी यूरिनल, सार्वजनिक शौचालय और अन्य सुविधाओं का अभाव है। बाजार में इस व्यवस्था के अभाव में दुकानदार और ग्राहक काफी परेशान रहते हैं। हालांकि कुछ वर्षों पहले गड़खा अस्पताल परिसर, गड़खा पुल नदी किनारे व कैलाश आश्रम के पास सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया। इन सामुदायिक शौचालयों के बन जाने से विभिन्न कार्यों से गड़खा बाजार आने वाले लोगों को काफी सहूलियत हो गई। तत्कालीन मुखिया देवंती देवी गुप्ता द्वारा कैलाश आश्रम व गड़खा पुल के पास बनवाये गए सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल का लाभ बाजारवासियों और राहगीरों को तो मिल रहा है, लेकिन पंचम वित्त आयोग से तत्कालीन जिप मनोरमा कुमारी द्वारा सात लाख की लागत से गड़खा अस्पताल परिसर में निर्माण कराये गए सामुदायिक शौचालय का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। यहां सामुदायिक शौचालय का निर्माण तो कराया गया, लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद से ही इसमें ताला लगा हुआ है। गड़खा अस्पताल परिसर में सामुदायिक शौचालय का निर्माण हो जाने से बाजार आए लोगों के साथ दुकानदारों को उम्मीद थी कि इसके लिए अब उन्हें इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। हालांकि पूरे बाजार में इसके पहले एक भी सार्वजनिक शौचालय या यूरिनल नहीं था। अस्पताल परिसर में बने शौचालय में अभी भी ताला लगा हुआ है। बाजार के उत्तरी क्षेत्र की बड़ी आबादी के साथ-साथ राहगीर और यहां खरीददारी करने आए लोगों को आज भी इस सामुदायिक शौचालय के बंद होने से उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है। मजबूरन बाजारवासी और आम लोग गंदे स्थान व मलबे के ढेर का उपयोग यूरिनल के तौर पर करते हैं। यहां पार्किंग और स्टैंड की समस्या भी गंभीर है। बाजार की मुख्य सड़कें ही यहां की पार्किंग जोन बन गयी हैं। बाजार के सभी बस स्टैंड मुख्य मार्गों पर ही स्थित हैं। स्टैंड के मुख्य मार्गों पर होने के कारण वाहनों का अत्यधिक दबाव रहता है। गड़खा बाजार में जाम की समस्या सबसे गंभीर है। परसा बाजार में नागरिक सुविधाएं बदहाल व नारकीय फोटो 15 परसा हाई स्कूल चौक पर नगर पंचायत परसा द्वारा लगाए गए टॉयलेट व यूरिनल की स्थिति परसा,एक संवाददाता। नगर पंचायत परसा बाजार को फाइलों में भले ही विकसित व सौंदर्य बनाया जा रहा है लेकिन धरातल पर नागरिक सुविधाओं के नाम पर कहानी कुछ और ही है। मुख्य बाजार पर नागरिक सुविधाओं का घोर अभाव है। बस स्टैंड,यात्री शेड में लाखों रुपये खर्च करके शौचालय-यूरिनल लगाए गए हैं, मगर शौचालयों की कोई टंकी नहीं तो यूरिनल का कोई निकास भी नहीं। बाजार के स्वराज आश्रम,थाना रोड,हाई स्कूल चौक,पोझी चौक के अलावा मुख्य चौक स्थित दारोगा राय पुस्तकालय समीप टॉयलेट-यूरिनल की स्थिति नारकीय है। हाट-बाजार या अन्य कार्यों से बाजार आने वाले आम लोग भी विपरीत परिस्थिति में उधर जाना नहीं सोचते। स्थानीय दुकानदारों में अखिलेश पंडित,अरुण कुमार,मुन्ना सिंह, आमोद शर्मा, उमेश सिंह, दिनेश कुमार, विकास कुमार सहित कई ने शिकायत करते हुए कहा कि शौचालयों व यूरिनल की स्थिति नारकीय बनी रहती है। साफ-सफाई नियमित नहीं होने के कारण कबाड़ की स्थिति बन गई है व सभी जगह शौचालय पूरी तरह से गंदा पड़ा है। बाजार आने वाले लोगों में सबसे अधिक समस्या शौचालय को लेकर है। ऐसी स्थिति सबसे अधिक महिलाओं के साथ है। नागरिक सुविधाओं की बात करें तो पीने के लिए एक भी स्थान पर चापाकल व हैंडपंप की व्यवस्था का कोई प्रबंध नगर पंचायत या पीएचईडी विभाग ने नहीं किया। स्थानीय दुकानदार सहित अन्य लोग अपने घरों से पानी लेकर आते हैं तो कई पानी की बोतलें खरीद अपनी प्यास बुझाते हैं। मढ़ौरा में यात्रीशेड, शौचालय, पार्किंग,पेयजल की व्यवस्था नगण्य फोटो 14 मढ़ौरा के धेनुकी चौक स्टैंड के पास बस की प्रतीक्षा में खड़े यात्री मढ़ौरा, एक संवाददाता। मढ़ौरा को नगर पंचायत बने करीब 20 साल से अधिक हो गए लेकिन आज तक यहां यात्रियों के बैठने के लिए यात्रीशेड, शौचालय, यूरिनल, गाड़ियों की पार्किंग के लिए पार्किंग जोन के साथ-साथ समुचित पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। इस कारण से मढ़ौरा शहर में आने वाले यात्री व अन्य लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मेन रोड पर अवस्थित अघोषित टैक्सी स्टैंड, धेनुकी चौक पर अवस्थित बस स्टैंड के पास महिला, पुरुष, बच्चे यात्री अपनी गाड़ियों की प्रतीक्षा में काफी देर तक खड़े रहते हैं। इस दौरान उन्हें जब यूरिनल व शौचालय की आवश्यकता महसूस होती है तो वे काफी बेचैन हो जाते हैं और आस-पास के घर वाले से आग्रह कर उनके यूरिनल व शौचालय का उपयोग करते हैं। इतना ही नहीं यहां करीब 7 करोड रुपए की लागत से नल जल योजना चलाई गई लेकिन हकीकत में यहां के अधिकतर वार्डों में नल से जल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। मढ़ौरा शहर में सबसे बड़ी समस्या गाड़ियों के पार्किंग की है। यहां एक भी घोषित पार्किंग जोन नहीं है जिस कारण गाड़ियों से आने वाले लोग अपनी गाड़ियों को रोड किनारे खड़ी कर जरूरी कार्य करते हैं। मढ़ौरा नगर में स्थापना के इतने साल बाद भी पार्किंग जोन, घोषित बस स्टैंड, यूरिनल, शौचालय,पेयजल आदि का घोर अभाव है।
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