बढ़ती ठंड से जीवन की रफ्तार पर लगी ब्रेक, ठिठुरते रहे लोग
पेज चार की लीड, ठंड पैकेज नीताल जैसा ठंडा रहा सारण, घरों में दुबके रहे लोग दिन और रात के तापमान में अंतर कम होने से ठंड का कहर बढ़ा अचानक मौसम के बदले मिजाज ने आमजन की परेशानी बढ़ी छपरा, नगर...
शिमला -नैनीताल जैसा ठंडा रहा सारण, घरों में दुबके रहे लोग दिन और रात के तापमान में अंतर कम होने से ठंड का कहर बढ़ा अचानक मौसम के बदले मिजाज ने आमजन की परेशानी बढ़ी छपरा, नगर प्रतिनिधि। बदलते मौसम के बीच कोहरे ने दस्तक दे दी है। कोहरे की चादर से पूरा जिला ढका रहा। ठंड के कारण मानों जीवन की रफ्तार पर एकाएक ब्रेक लग गया है। लोगों को सूर्य का दर्शन भी नहीं हो सका। नेशनल हाइवे , स्टेट हाइवे सहित जिले से होकर गुजरने वाली सभी सड़कों पर गहरे कोहरे के कारण गाड़ियां रेंगती नजर आई। मिनटों के सफर को घंटों में तय किया ।ब र्फीली हवाओं के प्रभाव से रविवार को हाड़ कंपाने वाली सर्दी से लोग परेशान रहे। सारण में दिन शिमला और नैनीताल जैसा ठंडा रहा। अधिकतम तापमान 16 डिग्री तो रात का न्यूनतम पारा छह डिग्री सेल्यिस दर्ज किया गया। दिन और रात के तापमान में अंतर कम होने से ठंड का कहर बढ़ गया। तापमान इस मौसम के न्यूनतम दर्जे का अनुभव कराता रहा।अचानक मौसम के बदले मिजाज ने आमजन की परेशानी बढ़ा दी है। सुबह से ही चल रही हल्की सर्द हवा ने लोगों की रफ्तार कम कर दी। कड़ाके की ठंड के कारण किसानों को भी खासी परेशानी हुई।पशुओं के चारे की व्यवस्था में उन्हें मुश्किलों का सामाना करना पड़ता है। बुजुर्ग-बच्चे व मजदूर परेशान ठंड से सबसे अधिक परेशानी बूढ़े व बच्चों को उठानी पड़ रही है। ठंड के कारण दैनिक मजदूरों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है और उनके समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। ठंड से स्कूल जाने वाले बच्चों की परेशानी भी बढ़ी है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी बच्चे कम दिख रहे हैं। घने कोहरे के कारण दृश्यता कम रविवार की सुबह घने कोहरे के कारण दृश्यता बेहद कम हो गई थी तथा लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। यही नहीं हाईवे व सड़कों पर वाहन हैड लाइट जलाने के बाद भी रेंग रहे थे। उस पर ठंड की मार से जीना मुहाल हो रहा था। सुबह नौ बजे के बाद कोहरा छंटा तथा हल्की धूप निकलना शुरू हुई लेकिन कोहरे ठंड व शीतलहर के चलते धूप बेअसर साबित हो रही थी। शाम में फिर से शीत लहर ने तेजी पकड़ना शुरू कर दिया था। उधर पारा अभी भी उतरता चढ़ता रहा है। अभी जिले का सर्दीला रहेगा मौसम मौसम विभाग के अनुसार सोमवार को भी सर्दीली हवाओं चलेंगी। मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो-तीन दिनों तक मौसम में नमी बनी रहेगी।ऐसे में फिलहाल ठंड से राहत मिलने के आसार कम ही हैं।मैदानी राज्यों में शीतलहर की संभावना जताई है। पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी और उत्तर-पूर्व से आने वाली हवा की वजह से फिर ठंड बढ़ गयी है। दलित बस्ती लाइव हुजूर सब कुछ भगवान के सहारे कट रहा फोटो 6 शहर के छपरा जंक्शन स्थित दलित बस्ती में खुले आसमान के नीचे आग तापता एक दलित परिवार छपरा, नगर प्रतिनिधि। जाड़े की रात कितनी कष्टदायक होती है। अगर आप को इसका हाल जानना हो तो रात को शहर की सड़कों व दलित बस्ती में निकल जाइए। खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरते लोगों को देख कर आप सिहर उठेंगे। रविवार को छपरा जंक्शन के समीप स्थित दलित बस्ती के लोगों से जब बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि हुजूर सब कुछ भगवान के सहारे कट रहा है। प्रशासन के स्तर पर कुछ मदद नहीं मिल रही है। अपनी मां कलपती देवी व बच्चों के साथ आग ताप रहे राकेश कुमार राम ने कहा कि यह जाड़ा दलित बस्ती के लोगों पर भारी पड़ रही है। सबसे अधिक परेशानी रोजी-रोटी को लेकर है। काम नहीं मिलने के कारण घर पर ही रहना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि वह बिजली मिस्त्री हैं लेकिन ठंड के कारण कम पर नहीं जा रहे हैं। सरकारी व्यवस्था से मिलने वाली मदद के बारे में पूछे जाने पर दलित बस्ती के लोगों ने कहा कि अब तक कोई पहल नहीं की गई है। वहीं पास में खड़े राजेश कुमार रावत ने कहा कि दलित बस्ती के लोगों को कोई पूछने वाला नहीं है। सिर्फ चुनाव के समय दलित बस्ती में लोग आते हैं वोट लेते हैं और उसके बाद भूल जाते हैं। कुछ लोगों ने बताया कि उनकी रात फुटपाथ पर कटती है। सर्द हवा जब शरीर में लगती है, तो लोग सिकुड़ कर पैर और सीना एक कर लेते हैं। इनके लिए राहत की कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं शहर के की एक अन्य दलित बस्ती साढा ढाला रेलवे ओवर ब्रिज के पास के लोगों ने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि शहर में रात होते ही फुटपाथ ही गरीबों का बिस्तर बन जाता है। शहर के समाहरणालय, छपरा कचहरी स्टेशन के पास गरीब सड़कों पर सो रहे हैं। मनोरमा नट ने कहा कि सड़क के किनारे प्लास्टिक लगा कर रहे लोगों की जिदगी सर्दी में सिकुड़ सी गई है। लेकिन, कोई सहारा देने वाला नहीं है।दलित बस्तियों में रहनेवाले लोग ठंड और कुहासे से ठिठुर से गये हैं। रिक्शा, ठेला तथा गांव में घूम कर कबाड़ी खरीदनेवाले दलित बस्ती के लोगों की हालत बदहाल है।अंगीठी-अलाव के सामने बैठ कर दिन-रात गुजार रहें रामगोपाल का कहना था कि सरकार ठंड के लिए कब योजना बनायेगी और कब उन्हें सहारा मिलेगा, इसकी आस में वे बैठे हैं। सुनीता कुंवर ने कहा कि रात में स्वत: ही ठंड से दांत कटकटाने लगता है। दलित ठेलाचालक रइन का कहना है कि ठंड के कारण उनका जीना मुश्किल हो गया है। गरम कपड़ों की बजाय आग के सामने बैठ कर रात गुजार रहे हैं और दिन भर लकड़ी और पत्तियां चुन कर लाते हैं और उसे शाम से ही जलाते हैं। पास में खडे सोनू अंसारी कहता है कि ठंड में सुबह-सुबह कबाड़ी खरीदने जाना पड़ता है और कुहासे से परेशानी है। कबाड़ी बेच कर ही अपना व परिवार का पेट पालते हैं।
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