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सारण का सिंचाई प्रबन्धन मॉडल तैयार ,होगा आधुनिक

के राजदूत रियुवेन अजार के साथ बैठक पेज चार की बॉटम छपरा। सारण का सिंचाई प्रबन्धन मॉडल तैयार हो चुका है। यह आधुनिक तकनीक से लैस होगा। बिहार के सारण प्रमंडल के लिए ₹4000 करोड़ की सिंचाई और ₹2000 करो

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराSat, 22 Feb 2025 09:22 PM
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सारण का सिंचाई प्रबन्धन मॉडल तैयार ,होगा आधुनिक

छपरा। सारण का सिंचाई प्रबन्धन मॉडल तैयार हो चुका है। यह आधुनिक तकनीक से लैस होगा। बिहार के सारण प्रमंडल के लिए ₹4000 करोड़ की सिंचाई और ₹2000 करोड़ के बाढ़ प्रबंधन योजना समेत कुल 6 हजार करोड़ की योजना तैयार की जा चुकी है। इस पहल के तहत सारण जिला भारत का पहला बाढ़ और सिंचाई प्रबंधन मॉडल बनेगा। जल संसाधन संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं सांसद राजीव प्रताप रुडी ने भारत में इज़रायल के राजदूत रियुवेन अजार से एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य जल संसाधन प्रबंधन और पुनर्चक्रण के क्षेत्र में इज़रायल की उन्नत तकनीकों का अध्ययन करना था, जिससे भारत में जल संरक्षण और प्रबंधन से संबंधित संभावनाओं का आकलन किया जा सके। बैठक के दौरान, इज़रायल में जल पुनर्चक्रण, ड्रिप सिंचाई, ओस से सिंचाई व शुष्क क्षेत्रों में जल उपयोग की नवीनतम प्रौद्योगिकियों पर चर्चा हुई। इज़रायल जल पुनर्चक्रण में वैश्विक अग्रणी है और वहां लगभग 90% अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली जल सुरक्षा बढ़ाने और कृषि उत्पादकता सुधारने में सहायक सिद्ध हुई है। इस दौरान रुडी ने उन्हें बताया कि बैठक के दौरान इज़रायली राजदूत ने बिहार, विशेष रूप से छपरा आने की इच्छा व्यक्त की। जल संसाधन संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष राजीव प्रताप रुडी ने प्रधानमंत्री किसान सिंचाई योजना, पेयजल, स्वच्छता और कृषि सिंचाई से जुड़ी विभिन्न योजनाओं पर चर्चा की। रुडी ने बताया कि जल संसाधन समिति इन आधुनिक तकनीकों और जल प्रबंधन मॉडल का अध्ययन कर उनकी उपयोगिता का मूल्यांकन करेगी। इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना होगा कि इन तकनीकों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में किस प्रकार लागू किया जा सकता है। समिति इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को प्रस्तुत करेगी, ताकि भविष्य में नीति निर्माण में इसका उपयोग किया जा सके। इज़रायली राजदूत ने इस दिशा में सहयोग जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और दोनों देशों के बीच तकनीकी जानकारी साझा करने पर सहमति बनी। समिति द्वारा किए जा रहे इस अध्ययन से भारत में जल संरक्षण की दिशा में नई संभावनाओं को बल मिलेगा।

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