मां गढ़देवी की प्राण प्रतिष्ठा के लिए कलश यात्रा निकली
फ़ोटो---16 मां गढ़देवी के प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनियापुर के बेरुई शिव मंदिर परिसर से जलभरी करते महिला पुरुष श्रद्धालु द माता रानी की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके पूर्व भव्य कलश यात्रा निकली। इसमें...

बनियापुर, एक प्रतिनिधि। बनियापुर के कराह में गढ़देवी मंदिर का जीर्णोद्धार वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मंगलवार को किया गया। मंदिर जीर्णोद्धार के बाद माता रानी की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके पूर्व भव्य कलश यात्रा निकली। इसमें हजारों स्त्री, पुरुष तथा युवतियां शामिल रहीं। हाथी- घोड़े के साथ साथ निकली कलश यात्रा बेरुई शिवमंदिर स्थित सरोवर से जलभरी कर बाजे गाजे के साथ कलश मंदिर परिसर मे लाया गया। जहां जय माता दी और हरहर महादेव की जयघोष के साथ भक्ति गीतों पर श्रद्धलुओं का जन सैलाब उमड़ा। आयोजन समिति में अध्यक्ष विनोद सिंह, सचिव राजीव रंजन, डब्लू, भोला सिंह, डॉ सतन, बच्चन सिंह, अनुज सिंह, बीडीसी मुरारी सिंह, बीडीसी संतोष राय, बिपुल सिंह, उमेश सिंह, शंभू सिंह, मुखिया प्रतिनिधि मुकेश साह, पैक्स अध्यक्ष मनोज सिंह सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे। जानकारी हो कि गढ़देवी के पिंडिस्वरूप आकृति में माता की सात बहनों और भैरव के स्वरूप की पूजा की जाती है। मंदिर निर्माण के लिए एक दशक से प्रतीक्षा की जा रही थी। स्थानीय लोगों की सहयोग से मंदिर निर्माण किया गया है। कराह और इम्ब्राहिमपुर गांव के सीमा पर प्रकृतिक रूप से गढ़देवी के रूप में चर्चित वैष्णवी माता गढ़देवी की पूजा की जाती है। यह मंदिर आम लोगों के आस्था का केंद्र रहा है। इस मंदिर और परिसर को कला संस्कृति युवा विभाग ने एक दशक पूर्व ही इसके चहारदीवारी का निर्माण कर इसे संरक्षित करने का सार्थक प्रयास किया था। परन्तु डेढ़ दशक बाद भी यहां मंदिर निर्माण व अन्य योजनाएं लंबित थी। गढ़देवी को लेकर कई कई तरह लोक कथाएं भी प्रचलित है। लोगों का मानना है कि भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ तड़कासुर बध और अहिल्या उद्धार के बाद इसी रास्ते जनकपुर गए थे।
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