गोदना-सेमरिया मेले का रिविलगंज में उद्घाटन आज
बॉटम छपरा, नगर प्रतिनिधि। पवित्र सरयू नदी के तट पर लगने वाले ऐतिहासिक गोदना सेमरिया मेले को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। नगर पंचायत की चैयरमैन अमिता यादव व मेला समिति के अध्यक्ष सह सदर एसडीओ लक्ष्मण...
छपरा, नगर प्रतिनिधि। पवित्र सरयू नदी के तट पर लगने वाले ऐतिहासिक गोदना सेमरिया मेले को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। नगर पंचायत की चैयरमैन अमिता यादव व मेला समिति के अध्यक्ष सह सदर एसडीओ लक्ष्मण तिवारी बुधवार को मेला क्षेत्र में ही कैम्प करते रहे। गुरुवार को शाम में श्री नाथ बाबा के मन्दिर परिसर के समीप रेलवे के मैदान में बने विशाल पंडाल में मेला का विधिवत उद्घाटन होगा। पूरे मेला क्षेत्र में करीब 42 घाट हैं और सभी घाटों की अपनी-अपनी महता है। मेलार्थी सभी घाटों पर जाते हैं लेकिन नाथ बाबा व अन्य एक-दो घाटों को छोड़ कहीं लाइटिंग,टेंट व मेडिकल कैंप की व्यवस्था नहीं दिखती। नगर पंचायत प्रशासन का कहना है कि कि सीमित संसाधन के बावजूद मेला बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक इस बार नगर पंचायत प्रशासन और मुख्य पार्षद, वार्ड पार्षदों में तालमेल का अभाव है। तालमेल के अभाव के कारण मेले की तैयारी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मेला से जुड़े लोगों का कहना है कि इस बार मेला की तैयारी को लेकर पिछले दिनों हुई बैठक में कोरम पूरा किया गया। बैठक के दौरान सदर एसडीओ के दिए गए दिशा निर्देश का भी अभी तक पालन नहीं किया गया है। इस बार मेला में आने वाले श्रद्धालुओं की परेशानी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कई महत्वपूर्ण घाटों पर समुचित रूप से प्रकाश की भी व्यवस्था नहीं होने की बात कहीं जा रही है। मेले का इतिहास शोधकर्ताओं ने गोदना सेमरिया मेले के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर गौ माता को दान करने की परंपरा थी। बाद में गौ-दान का अपभ्रंश होकर इसका गोदना नाम पड़ गया। साथ ही श्रृंगी ऋषि मुनि का आश्रम होने के कारण श्रृंगी से सेमरिया का नाम पड़ गया, जिसे आज गोदना-सेमरिया के नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीराम ने किया था अहिल्या का उद्धार सामाजिक कार्यकर्ता सोनू यादव ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, अपने अनुज लक्ष्मण और कुलगुरु विश्वामित्र जी के साथ अयोध्या से धनुष यज्ञ में शामिल होने के लिए जनकपुर जा रहे थे. जनकपुर जाने के दौरान उन्होंने बक्सर के जंगल में तारकासुर का वध किया। इसके बाद सरयू नदी पार कर जैसे ही वो तट पर आए तो भगवान श्रीराम का पैर अचानक उस शिलापट्ट से स्पर्श हुआ तभी वो पत्थर से नारी का रूप लेकर खड़ी हो गई।वह दिन कोई और नहीं बल्कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन था, जिस दिन अहिल्या का उद्धार हुआ था। स्टेशन पर विशेष ध्यान कुछ साल पहले हुए अमृतसर हादसा से सबक लेते हुए सदर एसडीओ ने रिविलगंज स्टेशन पर पुलिस प्रशासन को विशेष नजर रखने को कहा है। रेलवे ट्रैक से लोगों को हटाने के लिए पुलिस को विशेष सावधानी बरतने की निर्देश दिया गया है। पदाधिकारियों को भीड़ को नियंत्रित करने की जिम्मेवारी दी गई है। इसके अलावा पुलिसकर्मियों को रेलवे ट्रैक का भी निरीक्षण करने का निर्देश जारी किया गया है ।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।