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सारण के स्कूल में अब भी फर्श व बोरे बिछाकर पढ़ रहे विद्यार्थी

स्कूल में बेंच की कमी, उच्च वर्ग के छात्र बेंच पर बैठ करते हैं पढाईठकर पढ़ते पांचवे वर्ग की छात्रगण युवा लीड, नोट: इसी के साथ मढौरा भी लगा लें तरैया, एक संवाददाता।सारण जिले के तरैया प्रखंड...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराTue, 29 April 2025 10:23 PM
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सारण के स्कूल में अब भी फर्श व बोरे बिछाकर पढ़ रहे विद्यार्थी

स्कूल में बेंच की कमी, उच्च वर्ग के छात्र बेंच पर बैठ करते हैं पढाई तरैया के पचभिंडा मिडिल स्कूल का मामला तरैया, एक संवाददाता।सारण जिले के तरैया प्रखंड स्थितपचभिंडा मिडिल स्कूल की स्थिति अभी भी नहीं सुधरी है। स्कूल में पांचवी क्लास तक के बच्चे फर्श पर या फिर बोर बिछा कर पढाई करते हैं। आधुनिक युग में जहां स्मार्ट क्लास की बात हो रही है, वहीं इस सरकारी स्कूल में आज भी छात्र-छात्राएं मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। विद्यालय में वर्ग एक से लेकर वर्ग पांच तक के बच्चे संसाधनों की कमी झेलने को विवश हैं। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत को उजागर करती है।इन कक्षाओं में किसी भी छात्र के लिए बेंच या डेस्क की सुविधा नहीं है। केवल गुरुजी के लिए एक-एक कुर्सी अवश्य लगी होती है। इन क्लासों में यह सुविधा केवल शिक्षकों तक सीमित है। जब छोटे बच्चे अपने सीनियर्स, यानी कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को बेंच पर बैठकर पढ़ते हुए देखते हैं, तो उनके मन में भी निराशा और असमानता की भावना घर कर जाती है। इससे उनकी मनोवैज्ञानिक स्थिति पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। जरूरत के हिसाब से शिक्षक भी विद्यालय में उपलब्ध नहीं विद्यालय की बदइंतजामी यहीं तक सीमित नहीं है। कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए जरूरर के शिक्षक भी विद्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और संस्कृत जैसे मुख्य विषयों के शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं। इन विषयों की पढ़ाई या तो अन्य विषयों के शिक्षक जैसे-तैसे करा रहे हैं या फिर छात्रों को ट्यूशन व कोचिंग की ओर रुख करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए यह एक अतिरिक्त बोझ बन जाता है। अतिरिक्त वर्ग कक्ष की आवश्यकता वर्तमान में विद्यालय में कुल 310 छात्र नामांकित हैं। इतने छात्र की संख्या के बावजूद विद्यालय में कक्षाओं की भारी कमी है। विद्यालय में कम से कम चार अतिरिक्त कक्षों की आवश्यकता है ताकि सभी छात्रों को उचित ढंग से बैठाकर पढ़ाया जा सके। इसके साथ ही छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है, जो कि बालिकाओं की शिक्षा में बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है। स्वच्छ भारत मिशन और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों के बावजूद यह स्थिति चिंताजनक है। इतना ही नहीं, पचभिंडा मिडिल स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए कोई खेल मैदान भी उपलब्ध नहीं है। खेल शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका अभाव बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास में अवरोध उत्पन्न करता है। बच्चे छोटी-छोटी जगहों में खेलते हैं जिससे कभी-कभी उन्हें चोट भी लग जाती है। छात्र संजीत और छात्रा रागिनी का कहना है कि गुरुजी से समस्या बताते हैं पर वे विवशता बताते हैं। डिमांड के बाद भी नही मिले बेंच विद्यालय के एचएम (प्रधानाध्यापक) योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि कई बार बीआरसी कार्यालय में लिखित रूप से बेंच की मांग की गई है, लेकिन इसके बावजूद अब तक बेंच की आपूर्ति नहीं हो सकी है। ऐसी स्थिति में बच्चों को फर्श पर बैठाकर ही पढ़ाना मजबूरी बन चुकी है। शिक्षक स्वयं भी इस बात से चिंतित हैं कि लगातार शिकायत के बावजूद कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल रहा है। कोर्ट बेंच आपूर्ति करने वाली एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि आखिर अब तक विद्यालय को बेंच क्यों नहीं प्रदान किया गया। यदि किसी प्रकार की अनियमितता या गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित एजेंसी या अधिकारियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। देव कुमार सिंह प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, तरैया

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