बिना दंड व अनुशासन के छात्र बेहतर शिष्य नहीं बन सकते: डॉ इंद्रदेवेश्वरानंद
मारुति मानस मंदिर में आयोजित श्री मदभागवत कथा के छठे दिन महामंडलेश्वर स्वामी डॉ इंद्रदेवेश्वरानंद जी महाराज को चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने छात्रों के लिए दंड और अनुशासन के महत्व...
फोटो -मारुति मानस मंदिर में कथावाचक महामंडलेश्वर को चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित करते जितेंद्र सिंह व अन्य छपरा, एक संवाददाता। बिना गुरुजनों के दंड दिए व अनुशासन के छात्र कभी बेहतर शिष्य नहीं बन सकते । शहर के मारुति मानस मंदिर के प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय श्री मदभागवत सप्ताहिक कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा वाचक श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी डॉ इंद्रदेवेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने यह बातें कथा के क्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि जैसे लोहे को बिना तपाए औजार नहीं बनाया जा सकता व सोने को बिना भट्टी पर चढ़ाए गहने नहीं बनाये जा सकते । ठीक उसी प्रकार छात्रों को बिना दंड और अनुशासन के बेहतर शिष्य नहीं बनाया जा सकता । महामंडलेश्वर ने राज्य और केन्द्र सरकार से इस बात पर एक बार विचार करने का अनुरोध किया।महामंडलेशवर स्वामी डॉ इंद्रदेशवरानंद ने जैसे कथा प्रांरभ की उसी क्षण से भक्त भावविभोर हो गए । श्रीमद्भागवत कथा के बाद मांझी के पूर्व प्रत्याशी जितेन्द्र कुमार सिंह ने कथावाचक महामंडलेशवर स्वामी डॉ इंद्रदेशवरानंद जी महाराज को चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया । वहीं महामंडलेश्वर ने मौके पर उपस्थित भाजपा के वरीय नेता शैलेन्द्र सेंगर, आनंद शंकर, हरेन्द्र सिंह, पूर्व जिला पार्षद रूपेश सिंह, उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि राहुल कुमार सिंह, सुशील कुमार सिंह सहित कई अतिथि को सम्मानित किया । इसके बाद सभी अतिथियों ने महाराज जी को अंगवस्त्र से सम्मानित किया ।
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