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सोनपुर मेला के मुख्य मंच पर दिखी बिहारी संस्कृति की झलक

गूंजे बिहार कार्यक्रम में बिहार के पारंपरिक संस्कृति और लोकगायन की उत्कृष्ट प्रस्तुति हुई। इस कार्यक्रम का आयोजन हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में किया गया। डॉ. विश्वनाथ शरण सिंह की अगुवाई में कलाकारों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराThu, 5 Dec 2024 10:48 PM
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गूंजे बिहार कार्यक्रम के माध्यम से कलाकारों ने बिखेरी लोक संस्कृति की झलक सोनपुर। विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला में पर्यटन विभाग के मुख्य मंच से गुरुवार की शाम बिहार सरकार के कला,संस्कृति व युवा विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बिहार के पारंपरिक संस्कृति और लोकगायन की उत्कृष्ट प्रस्तुति हुई। बिहार के सुप्रसिद्ध तबला वादक व उस्ताद बिस्मिल्लाह खां पुरस्कार से सम्मानित डॉ.विश्वनाथ शरण सिंह के संयोजन में आयोजित गूंजे बिहार कार्यक्रम में दर्शकों को बिहार की समृद्ध लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली।कार्यक्रम की शुरुआत तबला वादन से हुआ। उसके बाद दर्शकों की याद को ताजा करते हुए आकाशवाणी,पटना के सिगनेचर ट्यून यानी धुन की प्रस्तुति हुई।कार्यक्रम की अगली कड़ी में बिहार की कोकिल कंठ पदम भूषण शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी दो गीत-जगद‌मा घर में दियरा बार आइली हे व जय जय भैरवी असूरण भयावनी की प्रस्तुति हुई। इसके बाद मां जानकी को समर्पित मंगल गीत की प्रस्तुति कलाकारों ने दी। इसके बाद समाज में बाल विवाह पर भोजपुर साहित्य के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की रचना चलनी के चालल दूल्हा के बाद मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम चन्द्र के मिथिला में मानव लीला को दर्शाती गीत चित चोखा आज बन्हैसन हे कि प्रस्तुति हुई।इसी क्रम में सिंदूरदान का गीत उसके बाद विश्व शांति का संदेश बुद्धम शरणम् गच्छामि की प्रस्तुति और अंत में बिहार गीत बाल्मीकि ने रची रामायण से कार्यक्रम का समापन हुआ। -कार्यक्रम में इन कलाकारों ने बिखेरा जलवा कार्यक्रम को सफल बनाने में तबला पर डॉ.विश्वनाथ शरण ढोलक पर अमरनाथ ठाकुर,हारमोनियम पर बृज बिहारी मिश्रा,बैंजो पर रविन्द्र यादव,विशेष ध्वनि पर अनंत कुमार मिश्रा के अलावा गायन में ज्योति कुमारी,पूर्णिमा कुमारी एवं सुनिधि कुमारी ने अपनी प्रस्तुति से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी प्रस्तुति के दौरान कार्यक्रम पर विशेष रूप से प्रकाश डालते हुए संयोजक डॉ.विश्वनाथ शरण सिंह ने दर्शकों को संबोधित करते कहा कि यह कार्यक्रम अपने राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति की झलक है।उन्होंने बताया कि उन्होंने लोकगीतों में मूल्य शिक्षा पर शोध कर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।उन्होंने कहा कि मैने महसूस किया है कि हमारे पौराणिक व पारंपरिक गीत समाज को कुछ न कुछ संदेश देता है।इन्हीं सब तथ्यों को ध्यान में रखकर इस कार्यक्रम को तैयार किया गया है।

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