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फर्जी दस्तावेज के जरिए जमीन खरीद - बिक्री पर जिला प्रशासन की नजर

हा पता एक ही डीड के सहारे शहर सहित गांव के कई लोगों का बनाया गया फर्जी दस्तावेज फोटो नाम से जिला निबंधन कार्यालय न्यूमेरिक 05 निबंधन कार्यालय हैं सारण में 20 अंचल हैं सारण में पेज चार की लीड छपरा, नगर...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराSat, 26 April 2025 11:44 PM
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 फर्जी दस्तावेज के जरिए जमीन खरीद - बिक्री पर जिला प्रशासन की नजर

छपरा, नगर प्रतिनिधि। एक ही डीड के सहारे शहर सहित गांव के कई लोगों का फर्जी दस्तावेज बना कर जमीन खरीद - बिक्री किये जाने पर सारण जिला प्रशासन की विशेष नजर है। जिला प्रशासन ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है और दो दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है। सारण जिले में जमीन के कागजातों की जालसाजी का एक बड़ा रैकेट सक्रिय होने से प्रशासन के कान खड़े हो गये हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब पीड़ित पक्ष रजिस्ट्री कार्यालय में दस्तावेज की जांच करने के लिए आवेदन दिया। आवेदन की जांच में यह पाया गया कि इस संख्या का कोई दस्तावेज रजिस्ट्री कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। आश्चर्य की बात है कि इस दस्तावेज का हू बहू नकल भू माफियाओं के द्वारा किया गया है और जमीन की रजिस्ट्री का भी प्रयास किया गया है । एक पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि उसे 9652/82 का दस्तावेज दिखाकर एक जमीन की रजिस्ट्री के लिए चार लाख रुपये भी ले लिया गया। जब जमीन की सत्यता के लिए उन्होंने जिला निबंधन कार्यालय से संपर्क किया तो पता चला कि जमीन का दस्तावेज फर्जी है। इसके बाद उसने भू माफिया से संपर्क किया तो जान से मारने की धमकी दी। बताया जाता है कि सारण में सक्रिय भूमाफिया किसी केमिकल या पुराने कागज के सहारे फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं जो हू ब हू ओरिजिनल जैसा दिखता है। लेकिन जब उसकी जांच होती है तो वह फर्जी पाया जाता है। इस गोरखधंधे में राजस्व विभाग के भी कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रजिस्टर टू से पेज फाड़ने से लेकर अन्य कागजातों के साथ छेड़छाड़ में भी राजस्व विभाग के कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । कुछ साल पहले छपरा सदर अंचल कार्यालय में प्रतिनियुक्ति एक राजस्व कर्मी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी। उसके बाद उसका तबादला दूसरे अंचल में किया गया था लेकिन इसके बाद भी यह खेल अभी भी जारी है। अभिलेखागार में अनुपलब्ध 9652/ 82 डीड के नाम पर शहर सहित गांव में कई दस्तावेज गलत तरीके से भू माफियाओं ने बना लिया है। डीएम ने एडीएम को जांच रिपोर्ट की जिम्मेदारी सौंपी डीएम को जानकारी प्राप्त हुई कि जिला निबंधन कार्यालय में पूर्व के वर्षों 1960,1961, 1962 आदि के कुछ दस्तावेज कार्यालय में नहीं मिल रहे हैं व मिसिंग है। मिसिंग कुछ दस्तावेजों की रिकॉर्ड संख्या को आधार बनाकर फर्जी तरीके से जमीन की खरीद बिक्री कुछ लोगों द्वारा की जा रही है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने अपर समाहत्र्ता मुकेश कुमार को इस मामले की गहनता से जांच सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। 28 अप्रैल की संध्या तक स्पष्ट जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। जांच के क्रम में जो भी कर्मी-पदाधिकारी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले को लेकर जिलाधिकारी ने जिला अवर निबंधक, सारण को पूर्व के वर्षों के सभी मिसिंग दस्तावेजों की सूची एक महीने के अंदरकि तैयार करने को कहा है। संपूर्ण सूची तैयार कर इसे छपरा नगर निगम एवं सभी अंचलाधिकारियों को उपलब्ध कराने को कहा गया है, ताकि भविष्य में कभी भी संदर्भित दस्तावेजों का संबंधित कार्यालय में उपयोग करने वाले लोगों पर कार्यालय प्रधान द्वारा विशेष निगरानी रखी जा सके तथा एक ही दस्तावेज का कई बार उपयोग करने वालों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई की जा सके केस एक दस्तावेज संख्या 9652/82 को आधार मानते हुए तरैया में परशुराम शर्मा ने वीरेंद्र शर्मा को जमीन बिक्री का फर्जी दस्तावेज भू माफिया ने तैयार कराया। तरैया के ही रहने वाले त्रिभुवन शर्मा ने जमीन के दस्तावेज के बारे में जब रजिस्टर से जानकारी हासिल की तो पता चला कि इस नाम का कोई दस्तावेज रजिस्ट्री विभाग से जारी नहीं हुआ है। इसके बाद त्रिभुवन शर्मा को पता चला कि उनके साथ फर्जीवाड़ा किया गया है। केस 2 दस्तावेज संख्या 9652/82 को आधार मानते हुए शहर के भगवान बाजार में संजय साह व सरिता साह को जमीन बिक्री का फर्जी दस्तावेज एक भू माफिया ने तैयार कराया। जमीन के दस्तावेज के बारे में जब जिला निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार से संपर्क किया गया तो पता चला कि इस नंबर का कोई दस्तावेज जारी नही हुआ है। इसके बाद खरीदार का माथा ठनका और जमीन माफिया के चंगुल में जाने से बचा। साथ लगाएं अभिलेखों से छेड़छाड़ कर बनाया था जाली दस्तावेज रजिस्ट्रार ने अभिलेखागार में किये गये फर्जीवाड़ा का किया था उजागर रजिस्ट्रार के आदेश पर नगर थाना में दर्ज कराया गया था एफआइआर छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण जिले के छपरा रजिस्ट्री कार्यालय में एक बड़े दस्तावेज फर्जीवाड़े का खुलासा करीब चार माह पहले हुआ था। इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ स्वयं रजिस्ट्रार गोपेश चौधरी ने किया था। डीएम को जानकारी दी थी। इसके बाद तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गयी थी। इस समिति ने भी दस्तावेजों में हेराफेरी की पुष्टि की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि यह कृत्य संभवत: दस्तावेज धारकों या लाभार्थियों ने अभिलेखपाल की मिलीभगत से किया है, ताकि जाली दस्तावेज तैयार कर लाभ उठाया जा सके। रजिस्ट्रार ने दिसंबर 2024 में ही इस मामले में अपने ही पूर्व अभिलेखपाल जयप्रकाश रजक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिये आदेश दिया था। जांच में यह बात सामने आयी थी कि अभिलेखों में हेराफेरी कर कई जाली दस्तावेज तैयार किये गये, जिससे न केवल सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ हुई बल्कि भूमि विवाद और संपत्ति हड़पने के मामलों में भी इसका इस्तेमाल किया गया। जानकारी के मुताबिक सारण के दीपक कुमार मिश्रा ने सूचना के अधिकार के तहत रजिस्टर एक की जिल्द संख्या 123, दस्तावेज संख्या 15570, वर्ष 1983 की प्रति की मांग की थी, जब अभिलेखागार में उसकी जांच और सत्त्यापन हुआ तो पाया गया कि पृष्ठ संख्या 141 से 161 तक के बीच छह दस्तावेजों में जालसाजी की गयी है। ये दस्तावेज स्कैन प्रति से मेल नहीं खाते और कृत्रिम रूप से जिल्द में चिपकाये गये प्रतीत होते हैं। जांच में मिले चौंकाने वाले तथ्य वर्ष 1983 के जिल्द-123 में दस्तावेज संख्या 15358, 15359, 15568, 15569, 15570 और 15571 की प्रतिलिपियां मूल प्रति से भिन्न पायी गयी, वे प्रतिलिपियां नौ मई 2023 को निर्गत की गयी थी, जिससे स्पष्ट होता है कि हाल ही में जिल्दों के साथ छेड़छाड़ की गयी है। वर्ष 1934 के दस्तावेज 3483 व 3484 भी संदिग्ध पाये गये। इनकी मूल प्रति जिल्द संख्या 46 और 43 में है लेकिन जारी प्रतिलिपियां भिन्न है। इसी तसा वर्ष 1966 के दस्तावेज संख्या 3992 व 3993 की मूल प्रति जिल्द संख्या 32 में है लेकिन इन्हें जिल्द संख्या 36 में चिपकाया गया मिला। रजिस्ट्रार गोपेश चौधरी ने जिलाधिकारी अमन समीर के आदेश घर छह दिसंबर 2024 को आइपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत प्राथमिकी दर्ज करती आरोप में अभिलेखपाल जयप्रकाश रजक व जालसाज लाभार्थियों को नामजद किया गया था। डीएसपी राज किशोर सिंह ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह बात सामने आयी है कि जमीन के दस्तावेजों में फेरबदल की गयी है, ओरिजिनल जमीन मालिक का नाम और मृत आदमी का नाम लिखकर चिपका दिया गया है, जो कि नकली है। अभी पहचान की जा रही है। इनसेट अभिलेखों की सुरक्षा और रखरखाव के लिए पहल तेज विभिन्न कार्यालयों से संबंधित जिल्दों का सत्यापन कर इनकी सूची बनाई गई दस्तावेजों का तेजी से हो रहा डिजिटाइजेशन छपरा, नगर प्रतिनिधि। छपरा निबंधन कार्यालय में मौजूद अभिलेखों की सुरक्षा और रखरखाव के लिए संवेदनशीलता और दृढ़ कदम उठाए गए हैं। जिला अवर निबंधक ने बताया कि यहां संधारित विभिन्न कार्यालयों से संबंधित जिल्दों का सत्यापन कर इनकी सूची बनाई गई है व बचे हुए जिल्दों का सत्यापन किया जा रहा है। यहां पर रखे सीवान व गोपालगंज से संबंधित जिल्द संबंधित कार्यालयों को भेज दिया गया है और जो जिल्द भेजने को शेष हैं उनकी सूची बनाकर भेजने के लिये आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। सभी अभिलेख सुरक्षित रहें , किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो व अभिलेखों की सत्यापित प्रति आसानी से उपलब्ध हो जाए, इसको ध्यान में रखते हुए इसका डिजिटाइजेशन कराया जा रहा है। सभी अवर निबंधन कार्यालयों में वर्ष 1990 से अभी तक और छपरा अभिलेखागार के 1968 तक के लगभग सभी जिल्द का डिजिटाइजेशन कराया जा चुका है। पूर्व में फर्जी दस्तावेज की सूचना या शिकायत मिलने इसकी जांच वर्तमान पदाधिकारी द्वारा की गई है। साथ ही अभिलेखों की नियमित जांच भी की गई है । गलती या जालसाजी या छेड़छाड़ के मामले पकड़े जाने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर दोषियों पर प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। दिसंबर 2024 में वर्ष 1983,1964,1934 के कुछ दस्तावेज जिनके साथ पूर्व में ही छेड़छाड़ की गई थी जिसमें दोषी व्यक्तियों व तत्कालीन अभिलेखपाल के विरुद्ध निबंधन कार्यालय द्वारा नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। अभिलेखों की सुरक्षा एक सतत कार्य है,अत: इसकी लगातार जांच और निगरानी की जा रही है। कार्यालय स्तर पर अत्यंत सावधानी और सजगता बरती जा रही है। भविष्य में भी अगर कोई मामला जांच के दौरान पाया जाता है तो उस पर कारवाई व प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी । अगर किसी गिरोह या गलत व्यक्ति द्वारा किसी प्रकार का गलत दस्तावेज बनाया जाता है तो उसका सत्यापन कार्यालय व अभिलेखागार से करा के पक्षकार द्वारा इसकी सत्यता की जांच की जा सकती है। पक्षकार संदेह की स्थिति में किसी दस्तावेज का सत्यापन कार्यालय अभिलेखागार से अवश्य करा लें जिससे गलत अभिलेख बनाने वालों पर कार्यालय और प्रशासन द्वारा कारवाई कर लगाम लगाया जा सके ।

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