शास्त्रीय कला आइटम नहीं बल्कि आर्ट फॉर्म है : आदित्या
सारण के सर्वोदय हाई स्कूल की नृत्य शिक्षिका आदित्या ने सोनपुर मेला में शास्त्रीय संगीत और नृत्य की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कथक की प्रस्तुति दी, जिसमें राधा-कृष्ण के प्रसंग और विभिन्न लयकारी का...
छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण के मस्तीचक स्थित सर्वोदय हाई स्कूल की नृत्य शिक्षिका आदित्या ने सोनपुर मेला परिसर स्थित सांस्कृतिक पंडाल में कार्यक्रम प्रस्तुत करने के पहले कहा कि शास्त्रीय संगीत और नृत्य हजारों वर्ष की प्राचीन परंपरा है । यह कला आइटम नही बल्कि आर्ट फॉर्म है जिसे साधना और तपस्या से हासिल किया जाता है । भाग दौड़ के जीवन में सबकुछ तेज हो गया है। लिहाजा सुर की जगह फास्ट फूड की तरह नुकसान करने वाला शोर चारों ओर व्याप्त है । जीवन में अगर सुकून और ठहराव चाहिए तो शास्त्रीय संगीत सुनना होगा जो हमारे मन मस्तिष्क को आनंद देने के साथ साथ एकाग्रता प्रदान करता है । नृत्यांगना आदित्या श्रीवास्तव ने कथक में परण जोड़ी आमद पर राधा कृष्ण के छेड़ छाड़ का प्रसंग, दो दर्जे की लायात्मक तिहाई पर सर्प की चाल, क़ाली परण के माध्यम से रक्तबीज वध के प्रसंग को प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया । वही बंदिश की ठुमरी "गगरीया काहे फोड़ी बहिया मरोड़ी पर अभिनय के माध्यम से राधा व कृष्ण के रास को दर्शाया । विभिन्न लयकारी व बोल पढ़न्त के अंदाज ने दर्शकों को खासा प्रभावित किया। बोल- टुकड़ा, तिहाई व परणों पर भाव अभिनय के सामंजस्य को देख दर्शकों ने खूब तालियां बजाई । तबले पर गुरु बक्शी विकास ने व गायन व हारमोनियम पर हरिशंकर वर्मा ने संगत से रंग बिखेरा।
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