हड़ताल: गवाही भी नहीं हुई बेल बांड भी नहीं हुआ दाखिल
छपरा सिविल कोर्ट के कर्मचारियों ने गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की, जिससे न्यायिक कार्य बाधित हुआ। हड़ताल के कारण जमानत आवेदनों की सुनवाई नहीं हुई और मुवक्किलों को परेशानियों का सामना करना...
छपरा, नगर प्रतिनिधि। छपरा सिविल कोर्ट के कर्मचारियों के गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से कामकाज पर असर पड़ा है। गवाही भी नहीं हुई और बेल बांड भी दाखिल नहीं हो सका। कोर्ट में अपने मुकदमों की पैरवी के लिए आए लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। दरअसल जिन तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों ने हड़ताल की है, उन्हीं के जिम्मे अदालत के ज्यादातर काम जैसे फाइल इधर से उधर पहुंचाना, यहां तक कि दफ्तर का दरवाजा बंद करने और खोलने का काम भी होता है। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण छपरा कोर्ट के करीब सभी इजलास के दरवाजा का ताला तक नहीं खुला। इस कारण मुकदमों की सुनवाई नहीं हुई। हालांकि न्यायिक पदाधिकारी आए लेकिन अपने चेंबर में ही बैठे रहे। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण कोर्ट का कामकाज पूरी तरह से बाधित हुआ। कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से अदालतों में न्यायिक कार्य ठप रहा। न्यायालयों में अत्यावश्यक न्यायिक कार्य जैसे जमानत आवेदनों की सुनवाई से लेकर रिमांड व रिहाई की प्रक्रिया पूरी तरह से बाधित रही। जिले के विभिन्न स्थानों से हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की कोर्ट में रिमांड भी नहीं हुई और सुरक्षा कर्मियों को उन्हें वापस थाना ले जाना पड़ा। सबसे अधिक परेशान दिखे मुवक्किल कोर्ट में हड़ताल से सबसे अधिक परेशानी मुवक्किलों को हुई। जिला मुख्यालय के अलावा दूर दराज व ग्रामीण क्षेत्र से आए मुवक्किल पूरे दिन परेशान दिखे। मकेर से आई एक बुजुर्ग महिला देवंती कुंवर ने बताया कि पिछले पांच साल से उनका बेटा छपरा जेल में बंद है। आज जमानत पर सुनवाई होनी थी, लेकिन हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हुई। सुबह पूजा पाठ कर घर से निकली थी कि बेटे की जमानत हो जाएगी लेकिन कोर्ट आने पर पता चला कि हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं होगी। अब समझ में नहीं आ रहा है कि किससे गुहार लगाएं कि कोर्ट कार्य सामान्य हो ताकि उनके बेटे को जल्द से जल्द जमानत मिल सके। इस तरह की बात पानापुर से आए बुजुर्ग कौशलेश कुमार ने भी कही ।उन्होंने कहा कि उनका भतीजा एक मामले में जेल में है। केस डायरी नहीं आने के कारण जमानत पर सुनवाई नहीं हो रही थी। किसी तरह थाना से केस डायरी भेजवाई है और जमानत पर सुनवाई का दिन गुरुवार तय था लेकिन कोर्ट कार्य नहीं होने के कारण जमानत पर सुनवाई नहीं हो सकी। थक- हारकर वह अब घर लौटने को विवश हैं। कई अन्य लोगों ने भी हड़ताल के कारण न्यायिक कार्य नहीं होने से परेशान दिखे उनका कहना था कि हड़ताल से निपटने के लिए सरकार को पहले से वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है ताकि लोगों की परेशानी को काम किया जा सके। कोर्ट नहीं होने से वकील भी घर लौटने को हुए विवश छपरा कोर्ट में कर्मचारियों की हड़ताल का असर अधिवक्ताओं पर भी देखने को मिला। छपरा कोर्ट में करीब 22 सौ वकील हैं और कोर्ट कार्य नहीं होने से गुरुवार को बिना कार्य किए हैं घर लौटने को विवश हैं। छपरा कोर्ट के एक अधिवक्ता गौरव कुमार ने कहा कि उनके क्लाइंट का आज जमानत पर सुनवाई होना था लेकिन सनी नहीं होने के कारण वे घर लौटने को विवश है। एक अन्य अधिवक्ता संजीव कुमार ने कहा कि हड़ताल से कोर्ट कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सरकार को सकारात्मक कदम उठाते हुए हड़ताल को समाप्त करने की जरूरत है ।सबसे अधिक परेशानी बुजुर्ग अधिवक्ताओं को हुई। बुजुर्ग अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट आने के बाद ठंड के मौसम में बिना काम किया घर लौटने पर परेशानी होती है। ताईद भी दिखे मायूस अधिवक्ताओं के साथ काम करने वाले छपरा कोर्ट के ताइद भी गुरुवार को मायूस दिखे। ताईदों का कहना था कि उनके घर परिवार की गाड़ी कोर्ट से ही चलती है लेकिन हड़ताल के कारण उनकी जीविका प्रभावित हो रही है। यदि हड़ताल लंबा खींचता है तो उनका आर्थिक परेशानी भी उठानी पड़ेगी। एक ताईद शंभू कुमार ने बताया कि कोर्ट से प्रतिदिन 500 से 1000 रुपया आमदनी हो जाती है लेकिन गुरुवार को एक रुपया की भी आमदनी नहीं हुई। इनसेट , बेहतर लगाएं यह आज का आंदोलन है वेतन विसंगति दूर करने को कोर्ट कर्मियों का प्रदर्शन फोटो 1: कोर्ट कैंपस में अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते सिविल कोर्ट न्यायिक कर्मचारी संघ के सदस्य छपरा, एक संवाददाता। व्यवहार न्यायालय के कर्मियों ने वेतन विसंगति दूर करने व शत प्रतिशत अनुकंपा लागू करने समेत चार सूत्री मांगों को लेकर कोर्ट कैंपस में गुरुवार को बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया। कर्मियों ने बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर कोर्ट कैंपस व मुख्य द्वार पर बैनर तले प्रर्दशन किया। सभी कर्मी अपनी मांगों से संबंधित तख्ती लेकर मांगें पूरी करने की मांग कर रहे थे। जिलाध्यक्ष हीरानाथ ठाकुर ने कहा कि जबतक सरकार वेतन विसंगति को दूर करने , शत प्रतिशत अनुकम्पा लागू करने,सभी वर्गों में सामयिक पदोन्नति लागू करने, विशेष न्यायिक कैडर को लागू करने की मांग पूरा नहीं करती तब तक कर्मी हड़ताल पर अडिग रहेंगे। जिला सचिव श्रवण कुमार ने कहा कि वर्ष 2013 से शत प्रतिशत अनुकम्पा को बिना किसी कारण अनुकम्पा को घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया। राज्य संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने कहा कि यह हड़ताल मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी । विरोध प्रदर्शन करने वालो में रजनी कुमारी , स्वीटी कुमारी , अमृता कुमारी , गजाला , विकास रंजन , सोनू कुमार , दीपक कुमार , अमित सैनी , चमन सैनी , विभूति त्रिवेदी , राजीव सिंह, डब्लू सिंह, अशोक कुमार सिन्हा , रामनरेश त्रिपाठी , अंजनी कुमार सिन्हा, राजेश कुमार तिवारी के अलावा सेवा निवृत्त कर्मियों ने भी हड़ताल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया । इधर जिला विधिक संघ के अधिवक्ताओं ने भी कर्मियों की मांग को जायज ठहराया व कहा कि इस हड़ताल में उनका भी पूर्ण समर्थन है । उधर बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर अनिश्चितकालीन कलम बंद हड़ताल के कारण व्यवहार न्यायालय छपरा में कार्य ठप रहा। अधिवक्ता प्रकाश रंजन नीकू, मनजीत शुक्ला, मणिकांत तिवारी ,पवन श्रीवास्तव ,डॉ पंकज ,अविनाश शंकर, मीना सिंह ,अभिषेक रंजन आदि ने भी मुख्य न्यायाधीश पटना से सरकार व कर्मचारी संघ के बीच समझौता कराकर हड़ताल को अविलम्ब समाप्त कराने का आग्रह किया है।
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