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देखभाल नहीं : स्कूल कैम्पसों में दम तोड़ रहा जल जीवन हरियाली अभियान

के अभाव में सूख कर नष्ट हो रहे सरकारी व निजी स्कूलों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर स्कूल में कम से कम पांच पौधे लगाए गए थे 03 हजार विद्यालय है जिले में 15 हजार से अधिक लगाए गए थे पौधे पेज 6 की...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराSat, 22 May 2021 08:00 PM
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छपरा। हिंदुस्तान प्रतिनिधि

जिले के स्कूलों में जल जीवन हरियाली योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। पर्यावरण संरक्षण व जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जिले के सभी सरकारी व गैर-सरकारी स्कूलों में हाल में ही लगाए गए पौधे सूखने के कगार पर हंै। कैम्पसों में योजना के अंतर्गत पौधरोपण किया गया था। स्कूलों में लगाए पौधे उचित देखभाल के अभाव में सूख कर नष्ट हो रहे हैं। पिछले साल भी कोरोना के कारण लॉक डाउन में पौधों का हाल गड़बड़ हो गया था। इस बार भी लम्बे समय से बन्द विद्यालयों के कैम्पस में लगाये गए पौधे सूखने के कगार पर हंै। कोरोना संक्रमण के दौरान बन्द पड़े विद्यालयों में लगाए गए पौधों की देखभाल व सिंचाई नहीं हो पा रही है। इससे पचास फीसदी पौधे नष्ट होने के कगार पर आ गए हैं। सरकारी व निजी स्कूलों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर स्कूल में कम से कम पांच पौधे लगाए गए हैं।

प्रत्येक महीने के पहले मंगलवार को ‘जल जीवन हरियाली दिवस का आयोजन

जिले के सरकारी स्कूलों में प्रत्येक महीने के पहले मंगलवार को ‘जल जीवन हरियाली दिवसका आयोजन किया जाएगा। कोरोना महामारी को लेकर बन्द विद्यालय खुलने के साथ ही आयोजन की तैयारी शुरू कर दी जाएगी। निजी विद्यालयों से भी यह कार्यक्रम आयोजित करने का विभाग ने अनुरोध किया है। सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्य कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इसमें सभी छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। जिले में हर प्रखंड के दो सरकारी विद्यालयों के बच्चों को मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना, मुख्यमंत्री छात्र-छात्रा परिभ्रमण योजना के अंतर्गत जिले में स्थित जलाशय, तालाब, आहर, पाइन, पोखर, चौर, नदी आदि का परिभ्रमण कराया जाएगा जिससे छात्र-छात्राओं को काफी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हो सकेंगी। कार्यक्रम में शिक्षक व स्थानीय प्रतिनिधि बच्चों को उस जल संरचना की महत्ता की जानकारी देंगे। कार्यक्रम की रिपोर्ट विभाग को भेजने के लिए प्रारूप भी उपलब्ध कराया गया है। इसे अनिवार्य रूप से कार्यक्रम के दूसरे दिन बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् को भेजना होगा। इसकी मॉनिटरिंग और कार्यान्वयन के लिए बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् को नोडल एजेंसी बनाया गया है।

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