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सॉफ्टवेयर के फेर में बन्द वेतन से रुका इलाज, लोन चुकता नहीं

बिहार में कांप्रिहेंसिव फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफएमएस) 0.2 लागू होने के बाद कर्मचारियों और शिक्षकों का वेतन भुगतान प्रभावित हुआ है। तकनीकी गड़बड़ी के कारण कई विभागों में वेतन नहीं मिल रहा है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराFri, 17 Jan 2025 09:49 PM
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छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण सहित सभी जिलों में बिहार में कांप्रिहेंसिव फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफएमएस) 0.2 व्यवस्था लागू हो गयी है। इससे पहले सीएफएमएस 0.1 पर राज्य में योजनाओं की वित्तीय मंजूरी के साथ ही इन योजनाओं की प्रक्रिया चल रही थी।लेकिन सीएफएमएस एक और दो के बीच में कई विभागों का मामला फंस गया है। इससे किसी का इलाज रुक गया है तो कोई बैंक से लिए गए लोन का सही समय से नहीं भर पा रहा है। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। जिले में ट्रेजरी के माध्यम से होने वाले वेतन भुगतान को ले अधिकारी और कर्मचारी परेशान हैं। इसका कारण कि उन्हें दिसंबर माह का वेतन 15 दिन बीतने के बाद भी नहीं मिल सका है जबकि वेतन भुगतान माह बीतने के दो से तीन दिन के अंदर में ही कर देना होता है। ट्रेजरी से वेतन भुगतान के लिए सीएफएमएस 0.2 पोर्टल लॉन्च किया गया है। यह पोर्टल तीन जनवरी की दोपहर में लांच कर दिया गया। इसके पहले सीएफएमएस 0.1 से वेतन भुगतान होता था लेकिन जैसे ही सीएफएमएस 0.2 पोर्टल लॉन्च किया गया। उस दिन से एचआरएमएस पोर्टल काम करना बंद कर दिया। हालांकि विभागीय स्तर पर बताया गया था कि सीएफएमएस पोर्टल सात जनवरी से काम करने लगेगा लेकिन 1 7 जनवरी की शाम तक यह पोर्टल काम नहीं कर रहा था जबकि एचआरएमएस पोर्टल पर ही संबंधित संस्थान के मेकर और चेकर ऑनलाइन वेतन बनाते हैं। इसके बाद व्ययन व निकासी पदाधिकारी अप्रूव्ड करते हैं। उसके बाद यह वेतन ट्रेजरी में सीएफएमएस पर प्रदर्शित करता है। इसके बाद वेतन की राशि बैंक में संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों के खाते में भेजी जाती है लेकिन नया सॉफ्टवेयर लॉन्च किए जाने की वजह से एचआरएमएस पोर्टल पर वेतन से संबंधित फॉर्मेट नहीं दिख रहा है। इस वजह से वेतन संबंधित संस्थाओं द्वारा नहीं बनाया जा रहा है। न्यायिक पदाधिकारी से लेकर पुलिस पदाधिकारी तक परेशान हैं। सबसे अधिक परेशानी बीपीएससी से बहाल शिक्षकों को हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर व कर्मचारियों का भी वेतन बाधित है। सभी नियमित शिक्षकों का भी वेतन अटका हुआ है। बताया जाता है कि वेतन भुगतान ट्रेजरी से बिल पास होने पर होता है लेकिन सॉफ्टवेयर में आई तकनीकी खराबी की वजह से इन शिक्षकों का भी वेतन भुगतान नहीं हो सका है। वेतन के अभाव में लोन का किस्त जमा नहीं वेतन भुगतान नहीं होने के कारण कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक परेशान है। कारण कि वे रोज वेतन आने का इंतजार कर रहे हैं। सबसे ज्यादा समस्या उन कर्मियों और शिक्षकों को हो रही है जो वेतन पर ही पूरी तरह से निर्भर है। लेकिन उनका वेतन भुगतान नहीं हो पाया है। कई शिक्षक और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने बैंकों से लोन ले लिया है। लेकिन खाते में राशि नहीं होने की वजह से लोन का किस्त भी वह जमा नहीं कर पा रहे हैं। इससे बैंकों द्वारा शिक्षक और कर्मचारियों को कॉल कर राशि जमा करने को कहा जा रहा है, लेकिन शिक्षक और स्वास्थ्य कर्मचारी बैंक को इस बात का आश्वासन दे रहे हैं कि जल्द ही उनका वेतन भुगतान हो जाएगा। एक बीपीएससी से बहाल शिक्षिका ने कहा कि उनकी पोस्टिंग दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्र में है। स्कूल की ड्यूटी करने के लिए नई गाड़ी खरीदी थी। गाड़ी का किस्त वेतन से भरा जा रहा था लेकिन समय से वेतन नहीं मिलने के कारण अब सिविल खराब होने का भी भय सता रहा है। सिविल खराब होने पर आगे बैंक लोन मिलने में भी परेशानी की बात कही जा रही है ।इस तरह की बात एक शिक्षिका की ही नहीं बल्कि कई अन्य विभाग के कर्मियों ने कही है। कोषागार पदाधिकारी ने वित्त विभाग को भी कराया है अवगत ट्रेजरी से पास करने में हो रही परेशानी के बारे में उच्च अधिकारी को अवगत कराया गया है। कोषागार विभाग के कर्मियों का कहना है कि वे इस उम्मीद पर कार्यालय आते हैं कि आज सॉफ्टवेयर सही से काम करने लगेगा लेकिन आने पर निराशा होती है। केस 1 रूटीन चेकिंग के लिए जाना था चेन्नई शहर के एक स्कूल में कार्यरत शिक्षक पंकज ने कहा कि वह बीपी के मरीज हैं और रुटीन चेकअप के लिए चेन्नई जाना था। उम्मीद थी कि वेतन 10 जनवरी तक मिल जाएगा लेकिन अभी तक नहीं मिलने के कारण चेन्नई जाने का कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुछ दोस्तों से कर्ज लेकर चेन्नई के लिए जल्द ही रवाना होंगे। केस 2 पत्नी का इलाज हो रहा है प्रभावित स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत सुशील कुमार ने कहा कि वेतन के अभाव में उनकी पत्नी का इलाज प्रभावित हो रहा है। इलाज में प्रति माह दस हजार रुपया से अधिक लगता है लेकिन अभी तक वेतन नहीं मिलने के कारण इलाज में भी परेशानी हो रही है। कोषागार में पूछने पर बताया जा रहा है कि सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण वेतन भुगतान में परेशानी हो रही है। कोट वित्त विभाग को अवगत कराया गया है। पत्र भी भेजा गया है जिसमें कहा है कि नई प्रणाली के कारण ट्रेजरी से बिल पास नहीं हो रहा है। काम- काज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कुमार विजय प्रताप जिला कोषागार पदाधिकारी

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