बिहार के इस रिटायर IAS पर 50 हजार का जुर्माना, CM नीतीश पर नोटिस की मांग; CAT में चल रहा केस
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य रणवीर सिंह वर्मा और प्रशासनिक सदस्य कुमार राजेश चन्द्र की पीठ ने आईएएस शिव शंकर वर्मा की अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। आवेदक की ओर से न्यायाधिकरण में केस दायर कर मुख्यमंत्री और नीतीश कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगने की गुहार लगाई थी।
पटना स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण(CAT) ने केस में मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाए जाने और उनसे जवाब मांगे जाने के आवेदक के अनुरोध को खारिज कर दिया। साथ ही सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही न्यायाधिकरण ने आवेदक आईएएस अधिकारी को मुख्यमंत्री का नाम और उनके पद को अर्जी से हटाने का आदेश दिया।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य रणवीर सिंह वर्मा और प्रशासनिक सदस्य कुमार राजेश चन्द्र की पीठ ने 1981 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी शिव शंकर वर्मा की अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। आवेदक की ओर से न्यायाधिकरण में केस दायर कर मुख्यमंत्री और नीतीश कुमार को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगने की गुहार लगाई थी।
इस मामले के आवेदक का कहना था कि दोनों इस केस में अनिवार्य प्रतिवादी हैं। न्याय के लिए इनको प्रतिवादी बनाना और जवाब मांगना अति आवश्यक है। इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री का पद एक संवैधानिक पद है। नीतीश कुमार इस संवैधानिक पद पर हैं। उन्हें किसी अधिकारी से दुश्मनी नहीं है। उनका कहना था कि आवेदक के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला निगरानी थाना कांड संख्या 2/2007 दर्ज है। इन्हें सेवा से निलंबित कर दिया गया।
सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव के दिये कारण के आधार पर मुख्य सचिव की सिफारिश को मुख्यमंत्री ने आधिकारिक क्षमता में स्वीकार किया था। न्यायाधिकरण ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में इन सामान्यीकृत प्रस्तुतियों पर नोटिस जारी करना, जो इस न्यायाधिकरण को प्रथमदृष्टया संतुष्ट भी नहीं करती हैं, कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के अलावा और कुछ नहीं है। यह देखना निराशाजनक है कि न्यायाधिकरण के समक्ष शुरू की गई इस तरह की मनमौजी कार्यवाही के कारण समय बर्बाद होता है।