हिंदी भारत के माथे की बिंदी, मात्र भाषा ही नहीं, हमारा संस्कार भी
विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर सिद्धाश्रम साहित्य न्यास परिषद द्वारा हिंदी की दशा और दिशा पर परिचर्चा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकारों ने भाग लिया और हिंदी की...
युवा की लीड ----------- परिचर्चा दमन के खिलाफ हिंदी सदैव निर्भीक खड़ी मिलती है, यही वजह है कि इसे खड़ी बोली भी कहा गया विश्व हिंदी दिवस पर परिचर्चा व कवि सम्मेलन का आयोजन आमंत्रित कवियों व साहित्यकारों का सम्मान पगड़ी पहना किया फोटो संख्या- 23 कैप्सन - शुक्रवार को कार्यक्रम को संबोधित करते अतिथि। बक्सर, हिन्दुस्तान संवाददाता। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर शुक्रवार को सिद्धाश्रम साहित्य न्यास परिषद की ओर से हिंदी की दशा और दिशा विषय पर परिचर्चा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास पाठक ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार और समालोचक डॉ अरुण मोहन भारवि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन वरीय साहित्यकार शिवबहादुर पांडेय प्रीतम ने किया। सिद्धाश्रम साहित्य परिषद के महासचिव श्रीभगवान पांडेय ने आमंत्रित कवियों एवं साहित्यकारों का सम्मान पगड़ी पहनाकर किया। विषय प्रवर्तन करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि हिंदी भारत के माथे की बिंदी है। आजादी की लड़ाई से लेकर भारतीय संस्कृति की संवाहक के रुप में निरंतर अपना योगदान दे रही है। यही कारण है कि हिंदी विश्व पटल पर स्थापित हो गई है। मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित डॉ अरुण मोहन भारवि ने कहा कि हिंदी मात्र भाषा ही नहीं, हमारा संस्कार भी है। दमन के खिलाफ हिंदी सदैव निर्भीक खड़ी मिलती है। यही वजह है कि इसे खड़ी बोली भी कहा गया। भारवि ने अपनी कविता सुनाकर कवि सम्मेलन का उद्घाटन किया। शानदार रचना सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया कवि वशिष्ठ पांडेय ने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन की शुरुआत की। महेश्वर ओझा महेश और रामेश्वर मिश्र विहान ने अपनी रचनाओं का पाठ करके श्रोताओं में उत्साह पैदा किया। राजारमण पांडेय और नवोदित कवि प्रीतम चौबे, शिक्षाविद डॉ श्रीनिवास चतुर्वेदी ने वर्तमान काल की विसंगतियों पर काव्य पाठ किया। अरुण कुमार ओझा ने माई पर शानदार रचना सुनाकर लोगों को भाव-विभोर कर दिया। शहर के लोकप्रिय गजल गायक नर्वदेश्वर उपाध्याय पंडित ने अरे बेवफा मेरी दिलरुबा तूने मेरे साथ ये क्या किया, मेरे दिल को तुमने कुचल दिया, मेरे गम को और बढ़ा दिया जैसी गजल सुनाई। शायर फारुख शैफी, गीतकार श्रीभगवान पांडेय ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। अंत में संचालक शिवबहादुर पांडेय प्रीतम ने हिंदी पर लिखी कविता सुनाई। अरुण कुमार ओझा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। --------- कार्यशाला: हिन्दी भारत की सांस्कृतिक धरोहर डुमरांव, संवाद सूत्र। स्थानीय सुमित्रा महिला कॉलेज के सभागार में शुक्रवार को विश्व हिन्दी दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में छात्राओं ने बड़े ही उत्साहपूर्वक भाग लिया। उद्घाटन कॉलेज की प्राचार्या डॉ. शोभा सिंह, प्रोफेसर डॉ. सुभाष चंद्रशेखर सहित अन्य ने किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्राचार्या ने कहा कि हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय हिन्दी दिवस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन हिन्दी भाषा की समृद्ध विरासत, उसकी खूबसूरती और वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। हिन्दी न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह विश्व मंच पर भारत की पहचान को भी सशक्त बनाती है। कार्यक्रम को प्रो. शंभूनाथ शिवेंद्र, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, प्रो. सुरेशचंद्र त्रिपाठी व डॉ. मनोज कुमार ने भी संबोधित किया।
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