Hindi Newsबिहार न्यूज़बक्सरWent to decorate life leaving home now stay home neither of ghats

जिंदगी सजाने गए थे घर छोड़कर, अब घर के रहे न घाट के

वाली ट्रेन से शुक्रवार की दोपहर में डब्बे से उतरे डुमरांव के शोभा प्रसाद ने। उनका कहना था कि पिछले साल तो उनका पैदल चलकर घर आना पड़ा था लेकिन, इस साल वे ट्रेन से रिजर्वेशन कराकर घर लौटे। वहां एक...

Newswrap हिन्दुस्तान, बक्सरSun, 11 April 2021 11:00 AM
share Share

बक्सर। नीरज कुमार पाठक

भैया, हम तो दोबारा मुंबई इसलिए गए कि कंपनी से बुलावा आ रहा है। चलो अपने सपने को फिर से जी लेंगे। जिंदगी हमारी सज जाएगी। परिवार में खुशियों के पल आ जाएंगे। लेकिन , ऐसा नहीं हो सका। फिर कोरोना की मार ने कंपनी को बंद कर दिया। हमें घर आने के सिवा कोई दूसरा चारा तो था नहीं। अब क्या करेंगे, यही सोचकर परेशान हैं- जी हां , यह पीड़ा बताई मुंबई से आनेवाली ट्रेन से शुक्रवार की दोपहर में डब्बे से उतरे डुमरांव के शोभा प्रसाद ने। उनका कहना था कि पिछले साल तो उनका पैदल चलकर घर आना पड़ा था लेकिन, इस साल वे ट्रेन से रिजर्वेशन कराकर घर लौटे।

वहां एक कंपनी में नाइट गार्ड का काम करते थे। वहां से आने के बाद जब लॉक डाउन खत्म हुआ तो कंपनी से फोन बार- बार आया ता पत्नी से सलाह कर यह उसको घर पर ही छोड़कर अकेले ही फिर मुंबई चला गया। लेकिन , अब पुन: कोरोना की मार से कलेजा ही फट गया है। यहां से जाने के लिए कर्ज लेकर गया था अब कर्ज के रुपए कैसे भरेगा। यह भी सोच रहा है। उसी की तरह से नावानगर का सनोज भी घर आया। उसके साथ तीन- चार और युवक थे। सभी ने रेलवे स्टेशन पर बातचीत में अपने रोजी- रोटी का दर्द बयां कर दिया। उनका कहना था कि यहां आना तो उनकी मजबरी है। गए थे कि अपनी रोजी- रोटी की गाड़ी फिर से चलने लगेगी। लेकिन, वहां जाने पर पहले से कम वेतन पर कंपनी में काम मिला। अब जब फिर कोरोना का लहर तेज हो गया तो घर जाने के लिए कह दिया गया। यहां आने पर क्वारंटाइन होने का मलाल , इन युवकों को नहीं है। उनका कहना हैकि कुछ भी हो गा तो उनके घर के लोग जान तो जाएंगे। बीमारी की हालत में भी अपनी मिट्टी पर रहेंगे तो। इसलिए, घर आना तो जरूरी था। भले ही अब आने पर लग रहा है कि न घर के रहे हम न घाट के।

इसी बीच दोपहर में 3 बजे के आसपास शनिवार को ही दिल्ली से मगध एक्स्प्रेस बक्सर स्टेशन पर पहुंची। इस ट्रेन से भी रमेश जायसवाल, काजू जायसवाल, मोनू , पिंटू कुमार, शगुप्ता अली समेत करीब दो दर्जन लोग उतरे। ट्रेन में अधिक भीड़ तो नही थी लेकिन उतरने के बाद ही प्रशासन की ओर से इनको भी टेस्ट प्रक्रिया से गुजरने को कहा गया। इनलोगों ने भी टेस्ट करवाने को लाइन बना ली। बातचीत में दिल्ली से आनेवाले भी कहने लगे- क्रूा करें हम कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है।

बाहर जाने पर कोरोना ही बए़ जा रहा है और यहां आने पर अपने घर में वैस् काम ही नहीं मिल पाते जिसके हम जानकार हैं। शुकव्रार को तीन ट्रेनें मुंबई और दिल्ली से आईं। सभी से आनेवाले प्रवासियों की जांच कराई गई तभी उनको घर जाने की इजाजत भी मिली। लेकिन , उनके पीले पडे़ चेहरे रोजी- राटी छीनने के दर्द की बयां करने क लिए काफी थे। उनका बस यही कहना था कि पापा सही कहते थे - अपने घर में ही है रोटी बेटे मत जा तू परदेस अगर हम मान गए होते तो दोबारा यह दिन नहीं देखना पड़ता।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें