कालाजार उन्मूलन को जिले के तीन गांव में दवाओं का हुआ छिड़काव
बक्सर में कालाजार उन्मूलन के लिए प्रयास जारी हैं। सदर प्रखंड के छोटका नुआंव, पड़री और साहोपाड़ा में एसपी का छिड़काव किया गया है। यह अभियान तीन सालों में मिले कालाजार के मरीजों के आधार पर शुरू किया गया...

पेज तीन के लिए ----------- अलर्ट सदर के छोटका नुआंव, पड़री व साहोपाड़ा में चल रहा है अभियान पिछले तीन सालों में मिले मरीजों के आधार पर कराया गया था सर्वे बक्सर, हमारे संवाददाता। कालाजार उन्मूलन को लेकर जिले में लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में सदर प्रखंड के तीन गांवों (यथा छोटका नुआंव, पड़री और साहोपाड़ा) सिथेटिक पाराथाइराइड (एसपी) का छिड़काव हुआ। स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि यहां के लोगों को कालाजार के प्रभाव से बचाया जा सके। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि छिड़काव उन्हीं गांवों में चलाया जा रहा है। जिन गांवों में कालाजार के मरीजों की पुष्टि हुई हो। ताकि, भविष्य में इन गांवों के लोगों को कालाजार के प्रभाव से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि इन गांवों में तीन सालों में मिले कालाजार के मिले मरीजों के आधार पर प्रभावित गांवों में सर्वे कराया गया था। जिसमें यह सामने आया था कि 2021 से 2023 तक ही कालाजार के मरीज मिले हैं। जिनमें 2021 में छोटका नुआंव में एक, 2022 में पड़री में एक और 2023 में पड़री में एक और साहोपाड़ा में एक मरीज मिले थे। डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार को जड़ से मिटाने के लिए लोगों की सहभागिता अति आवश्यक है। लोगों को इस बीमारी के लक्षणों की पहचान से लेकर इलाज की जानकारी होनी चाहिए। इस बीमारी की खास बात है कि इससे पूरी तरह से ठीक हो चुके मरीज दोबारा से इसकी चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में मरीज के शरीर पर त्वचा संबंधी लीश्मेनियेसिस रोग होने की संभावना रहती है। इसे त्वचा का कालाजार (पीकेडीएल) भी कहा जाता है। पीकेडीएल का इलाज पूर्ण रूप से किया जा सकता है। इसके लिए लगातार 12 सप्ताह तक दवा का सेवन करना पड़ता है। साथ ही, इलाज के बाद मरीज को 4000 रुपये का आर्थिक अनुदान भी सरकार द्वारा दिया जाता है। इसलिए पीकेडीएल से बचने के लिए मरीजों को कालाजार के इलाज के दौरान दवाओं का कोर्स पूरा करने की सलाह दी जाती है।
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