बढ़ा आवारा कुत्तों व बंदरों का आतंक, जख्मी हो रहे लोग
डुमरांव में आवारा कुत्तों और बंदरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे हर दिन लगभग 40 मरीज काटने के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं। नगर परिषद के पास इन जानवरों का कोई आंकड़ा नहीं है और नियंत्रण...

परेशानी हर दिन 40 से अधिक मरीजों को दी जाती हैं एंटी रेबीज की सुई कुत्ते व बंदरों का आंकड़ा नहीं, नियंत्रण के लिए कोई पहल नही डुमरांव, संवाद सूत्र। नगर परिषद क्षेत्र के मुख्य सड़कों व गली-मोहल्लों में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। तो वहीं हर घरों के छतों पर बंदरों के झुंड दिखाई देता है। कुत्तों के झुंड जगह-जगह सड़कों पर बैठकर आवागमन बाधित करते है। इन दोनों जानवरों की संख्या में इजाफा होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है। हर दिन कुत्तों व बंदरों के काटने से करीब 40 जख्मी मरीज अनुमंडल अस्पताल में पहुंच रहे, जिन्हें अनुमंडल अस्पताल द्वारा एंटी रेबीज सुई दिया जाता है। कुत्ते व बंदरों के संख्या बढ़ने से शहरवासियों की परेशानी बढ़ गई है। नगर परिषद प्रशासन के पास इन दोनों जानवरों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है और ना हीं संख्या नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए है। शहर के मुख्य सड़कों के अलावा कॉलोनियों में भी दिन-रात कुत्तों का जमावड़ा लगा रहता है। रात में अकेले घर से निकलना खतरे से खाली नहीं है। शहर के समाजसेवी प्रदीप शरण, पवन कुमार, ओमप्रकाश वर्मा व मोहन गुप्ता ने बताया कि बुजुर्ग, महिला व बच्चे आसानी से इन जानवरों का शिकार बनते है। क्योंकि हमला होने की दशा में यह जल्दी भाग नहीं पाते। इन दिनों इनकी झुंड की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है। नहीं तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते है। चौक-चौराहों पर कुत्तों का झुंड रहता है, जो बाइक सवार व पैदल राहगीर के पीछे दौड़ते है। इनकी वजह से कई बार लोग दुर्घटना का शिकार भी होते है। जानकार बताते है कि नप प्रशासन कई बार बंदर पकड़ो अभियान चलाया था। बावजूद कुछ दिन राहत रही लेकिन फिर से इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो गई। अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. गिरीश कुमार सिंह ने बताया कि प्रतिदिन करीब 40 मरीज कुत्ते व बंदर के हमले से जख्मी होकर अस्पताल पहुंचते है। जिन्हें एंटी रेबीज सुई का डोज दिया जाता है। हर माह इन पीड़ितों की संख्या 950 से 1000 तक पहुंच जाती है।
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