जितना भजन और भक्ति का महत्व, उतना ही तीर्थयात्राओं का
27 दिसंबर को लाल बाबा सरकार के 18 वें निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में भव्य भंडारे के साथ श्रीराम कथा का समापन होगा। कथा के छठे दिन भक्तों ने भक्ति और भजन का महत्व समझा। जगतगुरु रामानुजाचार्य ने कहा कि...
प्रवचन 27 दिसंबर को भंडारे के साथ कथा का समापन किया जायेगा लाल बाबा सरकार के 18 वें निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में कथा फोटो संख्या-20, कैप्सन-सती घाट पर प्रवचन करते पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय। बक्सर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। शहर के सती घाट स्थित लाल बाबा आश्रम में श्रीराम कथा के छठें दिन सोमवार को भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। जगतगुरु रामानुजाचार्य गोविन्दाचार्य आचार्य गुप्तेश्वर महाराज ने भक्ति और भजन के महत्व को समझाया। कहा कि जो लोग कहते है कि भजन में मन नहीं लगता, वे यह न भूलें कि नरक में नहीं जाना है, हमें बैकुंठ जाना है। उन्होंने कहा कि “भजन और तीर्थ जवानी में कर लो, बुढ़ापा तो तय है।” कहा कि जीवन में भजन और भक्ति का जितना महत्व है, उतना ही तीर्थयात्राओं का भी है। जब तक शरीर स्वस्थ है, तब तक भजन और तीर्थ करना चाहिए, क्योंकि वृद्धावस्था में यह संभव नहीं हो पाता। श्रीराम की कथा केवल सुनने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में उतारने के लिए है। कथा का आयोजन लाल बाबा सरकार के 18 वें निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में हो रहा है। 18 दिसंबर से शुरू यह कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से संध्या 5 बजे तक हो रही है। जबकि 27 दिसंबर को भव्य-भंडारे के साथ कथा का समापन होगा। छठें दिन की कथा में रामभक्तों का उत्साह पूरे चरम पर रहा। उपस्थित भक्त भजन की धुन में मग्न होकर प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप की छवि में डूब गए। वहीं लाल बाबा आश्रम के महंत सुरेंद्र जी महाराज के सान्निध्य में कथा का आयोजन किया जा रहा है।
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