कोरोना में छीन गया रोजगार,तो महानगरों से गांव लौट रहे प्रवासी
डुमरांव। निज प्रतिनिधिते की बात नहीं थी।ऐसे में घर वापस लौटने के आलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। मुंबई की चप्पल फैक्ट्री में करते थे काम बेहतर जीवन की चाहत में ब्रह्मपुर का चंदन मुंबई गया था।मुंबई...
डुमरांव। निज प्रतिनिधि
मुंबई से सकुशल घर लौटे ब्रह्मपुर के चंदन कुमार के चेहरे पर खुशी झलक रही थी।लेकिन उससे अधिक कोरोना काल में रोजगार छीन जाने का दर्द मायूसी बनकर चेहरे पर तैर रही थी। यह सिर्फ एक चंदन की बात नहीं है। बुधवार को महानगरों से घर लौटे हर प्रवासी के चेहरे पर पीडा का भाव दिख रहा था।प्रवासियों का कहना है कि काम बंद होने के बाद वहां खर्च उठा पाना बूते की बात नहीं थी।ऐसे में घर वापस लौटने के आलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था।
मुंबई की चप्पल फैक्ट्री में करते थे काम
बेहतर जीवन की चाहत में ब्रह्मपुर का चंदन मुंबई गया था।मुंबई के एक चप्पल फैक्ट्री में काम मिल गया था।कडी मेहनत से परिवार के लिए दो पैसे जोड रहा था। लेकिन में फैक्ट्री बंद हो गयी और उसका रोजगार छीन गया। चंदन का कहना है कि आज गांव लौट रहे है।.एक दो दिन बाद काम की तालाश करेगें। मेहनत के बदौलत किस्मत बदलने का जुनून लिए नया भोजपुर का विवेक सिंह देहरादून गया था।वहां स्टील फैक्ट्री में.काम मिल गया था।मेहनत के बदौलत वह परिवार के दुखों को दूर करना चाहता है।लेकिन लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद हो गयी और लाचारी में घर लौटना पडा। प्रवासियों ने बताया जो कमाएं थे, वह सब खाने और घर आने में खत्म हो गया।अब यहां काम नहीं मिला,तो भूखमरी जूझना पडेगा।
कोरोना से बिखर गये सपने
ब्रह्मपुर की शारदा देवी तीन साल पहले जब घर से सिकंदराबाद के लिए रवाना हुई थी।तब उसने बच्चों का भविष्य संवारने के साथ परिवार को बेहतर.जीवन देने का सपना देखा था। लेकिन कोरोना के दूसरे लहर के साथ उसके सपने बिखर गये।सिकंदराबाद के जींस फैक्ट्री में काम करने वाली शारदा बच्चों के साथ बुझे मन से गांव लौट आयी। शारदा ने कहा कि वहां भूखों मरने से घर लौट जाने का फैसला लेना पडा। देहरादून के कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले नावानगर के जितेन्द्र सिंह को कंपनी बंद होने के कारण वापस लौटना पड़ा।
गांव में चाहते है रोजगार
कोरोना संक्रमण के बीच काम बंद होने के बाद प्रवासी मजदूर हर दिन अलग-अलग ट्रेनों से यहां पहुंच रहे है।बक्सर आने के बाद पैसेंजर और अन्य ट्रेनों से डुमरांव और रघुनाथपुर पहुंच रहे है। घर लौट रहे प्रवासियों का कहना है कि यहां श्रम का उचित मजदूरी नहीं मिल पाता है।जिसके कारण उन्हें परदेश का रुख करना पडता है।मजदूरों का कहना है कि संकट की घडी में सरकार कुछ व्यवस्था करे। ताकि उनके परिवार को दो जून की रोटी नसीब हो सके। इधर बक्सर स्टेशन पर चाइल्ड लाइन के लोग अठारह वर्ष से कम उम्र के प्रवासियों के बच्चों को मास्क और सेनेटाइजर दे रहे है। चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर हरि सिंह और कोऑर्डिनेटर मुकेश सिंह ने बताया कि विशेषकर नाबालिग बच्चों पर केयर किया जा रहा है।ताकि संक्रमण के दौरान उन्हें कोई परेशानी नहीं हो।
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