आप बीती: बुखार नहीं बावजूद हुए संक्रमित
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आप बीती: बुखार नहीं बावजूद हुए संक्रमित
परिवार का मिला साथ तो बढ़े हौसले
21 दिन तक रहे क्वारंटाइन में
फोटो :
25राजगीर01: मंजीता कुमारी।
राजगीर। निज संवाददाता
स्थानीय मोरा गांव निवासी मंजीता कुमारी नवादा के गोविन्दपुर सीएचसी में एएनएम हैं। वे 18 जुलाई 2020 को पॉजिटिव हो गयी थीं। उन्होंने बताया कि ड्यूटी के दौरान पटना से आयी टीम ने उन लोगों का सैंपल 13 जुलाई को लिया था। इसमें छह नर्सें थीं। 18 जुलाई को रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। इसके बाद सबों को सीएचसी गोविन्दपुर में ही क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया। हालांकि, उन्होंने बताया कि उनको इससे पहले बुखार का कोई अन्य लक्षण नहीं था। शरीर में थोड़ा दर्द रहता था। पॉजिटिव आने के बाद तनिक भी नहीं घबरायी। स्वास्थ्यकर्मियों व डॉक्टरों के साथ ही परिवारवालों का काफी सहयोग मिला। उनके पति उपेन्द्र कुमार ने भी हमेशा हौसला बढ़ाया और कहा डरना नहीं है। सब ठीक हो जायेगा। बच्चों की चिंता मत करना। सात दिन बाद फिर से जांच हुई। इसमें रिपोर्ट निगेटिव आयी। इसके बाद भी वे क्वारंटाइन में रहीं। 14 दिन बाद वे अपने घर मोरा गांव पहुंची। वहां भी एक सप्ताह तक सबों से अलग रहीं। हमेशा यह ख्याल रखा कि उनकी लापरवाही का खामियाजा परिवार को न भुगतना पड़े।
मंजीता कुमारी ने बताया कि क्वारंटाइन के दौरान गर्म पानी का सेवन की। उस समय डॉक्टर द्वारा रोज पूछताछ की जाती थी। इससे भी हौसला बढ़ा रहता था। लगता ही नहीं था कि वे सबों से अलग हैं। उन्होंने कहा कि पॉजिटिव आने के बाद घबराने की कोई जरूरत नहीं है। खान-पान बेहतर रखें और गर्म पानी का सेवन करें तो यह आसानी से खत्म हो जाएगा।
मेरी सुनें: मोबाइल के कारण हुई संक्रमित
फोटो:
आसना परवीन : आसना परवीन, न्यू मीरदाद, बिहारशरीफ।
नूरसराय। निज प्रतिनिधि
चुपके से मोबाइल लेना बेटी को महंगा पड़ा। मोबाइल लेने के क्रम में कोरोना की पहली लहर में पॉजिटिव हो गयी थी। आपबीती के दौरान बिहारशरीफ के न्यू मीरदाद मोहल्ला की रहने वाली 13 वर्षीया छात्रा आसना परवीन ने बताया कि मेरे पिता जी कोरोना पॉजिटिव थे। वे घर के एक अलग कमरे में होम आइसोलेशन में थे। कोरोना के चलते स्कूल बंद था। कहीं दूसरी जगह भी नहीं जाते थे। घर में मन भी नहीं लगता था। पापा के पास एंड्रायड फोन था। वे जिस कमरे में थे वहां कोई नहीं जाता था। पापा के पॉजिटिव होने के दो दिन बाद चुपके से पापा सो जाते थे, तब उनके कमरे में जाकर मोबाइल ले आती थी। मोबाइल में कुछ देर तक गेम खेलते थे। कभी मूवी देखते थे। फिर चुपके से मोबाइल उनके पास रख देते थे। चुपके से पापा का मोबाइल लेना मेरे लिए इतना खतरनाक होगा, सोचा न था। चार दिन बाद मुझे भी बुखार व खांसी होने लगा। जांच कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। पॉजिटिव सुनते ही मेरा मन घबराने लगा। अब तो पापा एक कमरे में तो मैं दूसरे कमरे में आइसोलेट हो गयी। घर के अन्य सदस्य पॉजिटिव होने का कारण पूछने लगे। पर घंटो बाद मुझसे रहा नहीं गया और मोबाइल लेने की बात कही। यह सुनकर परिजनों को गुस्सा तो आया जरूर पर किसी ने इजहार नहीं किया। सभी ने मेरा हौसला बढ़ाया। गिलोय का कड़वा काढ़ा अम्मी लाड़ प्यार से पिलाती रही। पापा हमें हमेशा कहते रहे कि 50 वर्ष में जब हम फिट हैं तो तुम्हें क्या होगा। उनके हौसले ने हमेशा मुझे नयी ताकत दी।
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