आप बीती: मजबूरी ऐसी कि दो वर्ष की बेटी देती थी खाना
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आप बीती: मजबूरी ऐसी कि दो वर्ष की बेटी देती थी खाना
परिजनों ने बढ़ाया हौसला, उनके दम पर जीती कोरोना जंग
फोटो:
सुजाता: सुजाता, 30 वर्ष, पवई, परवलपुर, नालंदा।
नूरसराय। निज प्रतिनिधि
कोरोना कहर ने अब तक लगभग हर घर को किसी न किसी तरह से प्रभावित किया है। पहली लहर से हम दूसरी लहर में आ गए हैं। यह और आक्रामकता के साथ हमारे बीच मौजूद है। लेकिन, इसकी ऐसी मजबूरी कि दो वर्ष की बेटी हो ही मां का ख्याल रखना पड़ा। भोजन तो किसी तरह दादी बना देती थी। लेकिन, संक्रमण के डर से वे पास नहीं आती थी। ऐसे में बच्ची ने पूरी 14 दिनों तक न सिर्फ मां का ख्याल रखा। बल्कि, भोजन पानी भी दी।
परवलपुर प्रखंड के पवई गांव निवासी 30 वर्षीय बैंक कर्मी सुजाता अगस्त 2020 में कोरोना संक्रमित हो गयी थी। आपबीती की कड़वी अनुभवों को शेयर करते हुए उन्होंेने कहा कि नवादा एसबीआई बैंक में कार्यरत हूं। बैंक में काम करने के दौरान संक्रमित हुई। हालांकि मुझे कुछ दिनों से शरीर में काफी थकान व कमजोरी थी। बावजूद ड्युटी कर ही रही थी। मन में कोरोना का डर भी सता रहा था। आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट एक सप्ताह बाद पॉजिटिव आयी। यह सुनते ही दिमाग में सन्नाटा छा गया। मेरे संक्रमित होने के कारण दो दिनों तक बैंक भी बंद रहा। पति भोपाल में केनारा बैंक में प्रबंधक हैं। यह खबर सुन वे भी घबरा गए।
मैके में 60 वर्ष से अधिक उम्र के मम्मी पापा ही थे। साथ में दो वर्ष की मेरी बेटी थी। मम्मी पापा को अपने कमरे तक आने से मना कर दिया था। बुजूर्ग मां खाना तो बना देती थी। पर मेरे कमरे तक खाना मेरी बेटी ही दरवाजे पर लाकर देती थी। इस दौरान मेरे डॉक्टर भैंसुर ने मेरा पूरा ख्याल रखा। पति भी हौसला देते रहे। अस्पताल से मिली दवा खायी। गर्म पानी, नींबू पानी व गिलोय का काढ़ा पी। गिलोय का काढ़ा बहुत ही कड़वा था। पीने का मन नहीं करता था। लोगों के कहने पर रोजाना दो बार काढ़ पीती थी। मैके के आसपास के लोगों को जब मेरे पॉजिटिव होने की भनक लगी। तो, उनका रवैया भी पूरी तरह बदल गया। लोगों ने मम्मी पापा से बात करना भी बंद कर दिया। मेरे मैके के प्रति लोगों का नजरिया ही बदल गया था। दो सितंबर 2020 को पुन: जांच में रिपोर्ट निगेटिव आने पर जान में जान आयी। इसके बाद फिर से ड्यूटी करने लगी। लेकिन, हमें छोटी बेटी की सेवा आज भी विचलित कर देती है। जिस उम्र में उसे सेवा की सबसे अधिक आवश्यकता थी। उसने मेरी सेवा की। कभी कभी पास आने की जीद करती थी। तो मम्मी पापा बहुत प्यार से उसे समझाकर अपने पास ले जाते थे।
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