आप बीती: सास, ससुर व पति के बाद मैं भी हुई संक्रमित
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आप बीती: सास, ससुर व पति के बाद मैं भी हुई संक्रमित
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प्रीतिलता सिन्हा: प्रीतिलता सिन्हा, गृहिणी, 29 वर्ष, कचहरी रोड, बिहारशरीफ।
नूरसराय। निज प्रतिनिधि
सास, ससुर व पति तीनों संक्रमित हो गए। वे बीड़ी मजदूर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हो गए। घर में बची अकेली बहु और साथ में दो साल का बच्चा था। चार दिन बाद मैं भी संक्रमित हो गयी। इसके बाद आंखों के सामने अंधेरा छा गया। आपबीती के दौरान प्रीतिलता सिन्हा ने बताया कि आठ अक्टूबर 2020 का दिन मेरे लिए मनहुस साबित हुआ। उन्हें सर्दी, बुखार व खांसी था। आठ को जांच में चारों ने जांच कराया। एंटीजेन टेस्ट में मुझे छोड़ अन्य संक्रमित मिले। यह सुनते ही मैं अवाक हो गयी।
वे एम्बुलेंस से बीड़ी मजदूर अस्पताल चले गए। दो साल के बच्चे की जवाबदेही मुझपर आ गयी। खैर धैर्य व हिम्मत से बच्चे की देख रेख करने के साथ मैं भी दवाई ले रही थी। 12 अक्टूबर को आरटीपीसीआर रिपोर्ट में मैं भी संक्रमित पायी गयी। यह सुनते ही मेरे होश उड़ गए। थोड़ी देर के बाद खुद को समझाया। पॉजिटिव की सूचना सास, ससुर व पति को दी। तीनों लगातार फोन करके हमें हौसला देते रहे।
मेरी 15 वर्षीय भांजी ने बच्चे का पूरा ख्याल रखा। मैं घर में ही आइसोलेट हो गयी। मेरी तबियत दिनों दिन बिगड़ने लगा। तबियत खराब होने के कारण कमजोरी भी आ गयी। एक दिन तो मुंह से आवाज भी नहीं निकल रहा था। किसी तरह मोबाइल से डॉ. मिथलेश प्रसाद से व्हाट्सएप के जरिए तकलीफ के बारे में बताया। दवाई खा रही थी पर कमजोरी बढ़ता ही जा रहा था। रोज भांजी किचेन में बच्चे की देखभाल करते हुए खाना बना कर देती थी। अक्सर गर्म नींबू पानी समय समय पर काढ़ा भी देती थी। छोटे बच्चे की रोने की आवाज सुनकर मेरा दिल घबराता था। वे तीन सप्ताह कैसे बीती। यह सोचकर आज भी मन घबराता है। लेकिन, हम हिम्मत से हर समस्या से बाहर निकल सकते हैं। इसका कोई विकल्प भी नहीं है। इसलिए खुद को हमेशा मजबूत बनाए रखें।
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