यूरिया: जिले में स्टॉक पर्याप्त फिर भी प्रति बैग 45 से 50 रुपए महंगी
यूरिया: जिले में स्टॉक पर्याप्त फिर भी प्रति बैग 45 से 50 रुपए महंगीयूरिया: जिले में स्टॉक पर्याप्त फिर भी प्रति बैग 45 से 50 रुपए महंगीयूरिया: जिले में स्टॉक पर्याप्त फिर भी प्रति बैग 45 से 50 रुपए...
यूरिया: जिले में स्टॉक पर्याप्त फिर भी प्रति बैग 45 से 50 रुपए महंगी गेहूं की सिंचाई शुरू होते ही कालाबाजारियों की कटने लगी चांदी खुदरा कारोबारियों का रोना, महंगा खरीदेंगे तो महंगा बेचना लाचारी फोटो खाद : नूरसराय में फसल में खाद डालते किसान । बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। नालंदा में यूरिया का पर्याप्त स्टॉक है। फिर भी दुकानदार प्रति बैग 45 से 50 रुपए अधिक किसानों से वसूल रहे हैं। निर्धारित कीमत 266.50 रुपए है। लेकिन, 310 से 3150 रुपए बोरा से कम में दुकानदार देने को तैयार नहीं है। गेहूं की सिंचाई शुरू होते ही यूरिया की मांग में इजाफा होने से कालाबाजारी करने वाले चांदी काट रहे हैं। विभाग खाद की कालाबाजारी पर फुल स्टॉप लगाने के लिए दावे चाहे जितना करे। हकीकत यह कि कारोबारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। बेचारे किसान, पहले मौसम की मार से कराह रहे थे। अब महंगी यूरिया खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। जिले में फिलहाल यूरिया का स्टॉक करीब 6098 टन है। गेहूं की बुआई के 20 से 25 दिनों के बाद किसान फसल की सिंचाई करने से पहले यूरिया डालते हैं। इस वजह से अभी सबसे ज्यादा यूरिया की मांग है। मुनाफाखोरों से किसानों को बचाने के लिए उर्वरकों की सरकारी दर तय की गयी है। यूरिया के बैग पर मूल्य भी अंकित है। बावजूद, तय दाम पर किसानों को खाद नहीं मिल रही है। ग्रामीण इलाकों की दुकानों में तो कुछ जगहों पर 335 से 340 रुपए तक प्रति बोरा वसूला जा रहा है। हरनौत में कृत्रिम किल्लत दिखा कालाबाजारी: हद तो यह कि हरनौत बाजार और ग्रामीण इलाकों में कई दुकानदार यूरिया की कृत्रिम किल्लत दिखाकर किसानों से मनमाना कीमत वसूल रहे हैं। वीरमपुर के ओमप्रकाश, जोरारपुर के योगेन्द्र सिंह व अन्य किसान कहते हैं कि खाद लेने जाते हैं तो पहले तो किसान यह कहकर हाथ खड़े कर लेते हैं कि स्टॉक खत्म है। सच्चाई यह भी कि अपने जान-पहचान वालों को रात के अंधेरे में बुलाकर यूरिया दे देते हैं। बंद दरबाजे के पीछे कालाबाजारी का खेल किया जा रहा है। क्यों महंगी बिक रही खाद: कई खुदरा कारोबारियों ने अधिक कीमत पर यूरिया बिकने के लिए हॉलसेलरों को जिम्मेवार ठहराया है। नियम है कि उर्वरक बनाने वाली कंपनी को सेल प्वाइंट (खुदरा दुकान) तक सरकार द्वारा तय कीमत पर खाद पहुंचानी है। लेकिन, ऐसा होता नहीं है। थोक वालों की मनमानी ऐसी कि 266 रुपए प्रति बैग के हिसाब से रसीद काटते हैं। लेकिन, खुदरा दुकानदारों से 280 से 285 रुपए प्रति बैग वसूलते हैं। बेना के रैक प्वाइंट से खुद ही खाद लाने को कहते हैं। ढुलाई पर प्रति बैग 18 से 20 रुपया (दूरी के हिसाब से) भाड़ा खर्च होता है। जबकि, अनलोडिंग पर एक बोरा का तीन रुपया मजदूर लेते हैं। दुकानदार भाड़ा के साथ मुनाफा जोड़कर खाद बेचते हैं। नतीजा, किसानों को महंगी खाद खरीदनी पड़ती है। देखरेख के लिए हर स्तर पर टीमें तैनात: कालाबाजारी पर नकेल के लिए अनुमंडल, प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर टीमें बनी हैं। कर्मियों बावजूद, कालाबाजारी करने वाले अपने मनसूबे में सफल हो रहे हैं। पंचायत स्तर पर कृषि समन्वयक और किसान सलाहकारों को दुकानों से टैग किया गया है। जबकि, प्रखंड में बीएओ तो अनुमंडल में अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को निर्धारित दर उर्वरक बेचवाने की जवाबदेही दी गयी है। परंतु, लाभ-हानि के खेल में सारी रणनीति फेल हो रही है। बॉक्स कार्रवाई : माधोपुर की खाद दुकान का लाइसेंस रद्द बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। खाद की कालाबाजारी के बीच कृषि विभाग कालाबाजारियों पर नकेल कसने में जुटा है। लगातार जांच और छापेमारी अभियान चल रहा है। दो दिन पहले डीएओ राजीव कुमार और अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने चंडी और माधोपुर बाजार की तीन दुकानों में छापेमारी की। इस दौरान निर्धारित दर से अधिक दाम पर यूरिया बेचने के आरोप में माधोपुर के मनीष ट्रेडर्स के लाइसेंस को निलंबित कर दिया था। संचालक को जवाब देने की मोहलत दी गयी थी। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के कारण डीएओ ने शुक्रवार को दुकान का लाइसेंस को रद्द कर दिया है। उनका कहना है कि आगे भी कालाबाजारियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। हर हाल में निर्धारित दर पर यूरिया बेचनी होगी। उन्होंने किसानों से अपील की है कि दुकानदार निर्धारित दर से ज्यादा कीमत मांगते हैं तो नियंत्रण कक्ष के टेलीफोन नंबर 06112-231143 पर कार्यालय अवधि में शिकायत दर्ज करें। जांच में दोषी पाये जाने पर ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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