नियम ताक पर, शहर में बिना रोकटोक बिक रहे पटाखे
नियम ताक पर, शहर में बिना रोकटोक बिक रहे पटाखे नियम ताक पर, शहर में बिना रोकटोक बिक रहे पटाखे
नियम ताक पर, शहर में बिना रोकटोक बिक रहे पटाखे 31 को मिला अस्थायी लाइसेंस, खुली हैं हर चौक पर दुकानें छोटी सी चिंगारी से मच सकती है भारी तबाही, जिम्मेवार मौन फोटो पटाखा: - बिहारशरीफ में सड़क के किनारे सजी पटाखे की दुकान। बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान टीम। शहर में नियमों को ताक पर रखकर पटाखे बेचे जा रहे हैं। दुकानों में आग से बचाव के तय मानक का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जा रहा है। ऐसे में छोटी चिंगारी से भारी तबाही मच जाए तो गलत नहीं होगा। सदर अनुमंडल प्रशासन द्वारा अबतक महज 31 दुकानदार को अस्थायी लाइसेंस दिया गया है। विडंबना यह कि चौक-चौराहों के साथ ही गली-मोहल्लों में अनगिनत पटाखे की दुकानें सज गयी हैं। हद तो यह कि कई जगहों पर छोटे-छोटे बच्चे पटाखे बेच रहे हैं। बावजूद, कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है। शहर के पुलपर इलाके में ज्यादातर हॉलसेल की दुकानें हैं। यहां सालोंभर पटाखे बेचे जाते हैं। इन दुकानों में कमोवेश सुरक्षा मानवों का थोड़ा-बहुत ख्याल रखा जाता है। लेकिन, नियमतों के अनुसार घनी आबादी के बीच हॉसलेल की दुकानें नहीं होनी चाहिए। दीपावली आते ही शहर के हर चौक पर एक नहीं कई पटाखे की दुकानें सज गयी हैं। इन दुकानों के पास आपात स्थिति में आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जाहिर है, अगर आग लग जाए तो जान-माल की क्षति होने से रोकना मुश्किल प्रशासन के साथ ही अग्निशमन विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी। संकरी गलियों में भी पटाखे की दुकानें : हद तो यह कि शहर की संकरी गलियों में एक नहीं कई पटाखे की दुकानें खुली हैं। आग लगने की स्थिति में इन दुकानों तक अग्निशमन दल चाहकर भी नहीं पहुंच सकता। नियमों के अनुसार संकरी गलियों में पटाखे की दुकानें नहीं खोली जा सकती। बावजूद, इसका ख्याल नहीं रखना हादसे को आमंत्रण दे रहा है। प्रशासन भी नियमों को पालन कराने में फेल होता दिख रहा है। लाइसेंस के लिए 500 रुपये का चलान: पटाखा बेचने के लिए अस्थायी लाइसेंस लेने के लिए आवेदन स्वीकृत होने के बाद आवेदक को 500 रुपये का चलान जमा करना होता है। शर्तों का पालन करने और चालान जमा करने के बाद लाइसेंस जारी किया जाता है। अस्थायी लाइसेंस की वैद्यता 15 दिनों की होती है। पटाखा दुकान चलाने या बेचने वाले को आग से बचाव के नियमों का पालन करना होता है। दुकान में पर्याप्त पानी व बालू रखने का आदेश दिया गया है। लेकिन, इसका पालन चंद दुकानदार ही कर पा रहे हैं। वह भी आधा-अधूरा। पुरानी घटनाओं से सबक नहीं: डेढ़ दशक पहले शहर के शेरपुर मोहल्ला के पटाखा गोदाम में बिस्फोट हुआ था। घटना में सलीम ढोलकिया की जान चली गयी थी। उस वक्त अधिकारियों ने घटना की मुख्य वजह सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखना बताया था। जबकि, 2018 में सोहसराय के खासगंज मोहल्ले की अवैध पटाखा फैक्ट्री में भारी बिस्फोट हुआ था। हादसे में छह छह लोगों की मौत हो गयी थी। जबकि, चार लोग इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। सरफराज अपने घर में अवैध रूप से पटाखा फैक्ट्री चला रहा था। बावजूद, पुरानी घटनाओं से प्रशासन सबक नहीं लिया है। आग से बचाव के लिए दुकान में होना चाहिए 1. कम से कम दो अग्निशमन यंत्र 2. बालू ड्टारी चार बाल्टी या बोरी 3. पान से भरे दो ड्रॉम और जग 4. दुकान के पास किसी को पटाखा फोड़ने न दें। बरतें सावधानी तो नहीं होगा हादसा 1. पटाखा दुकान में ज्वलनशील पदार्थ न रखें। 2. दुकान में बिजली के कटिंग वायर को न लगाएं। 3. पटाखों को एक साथ न रख, अलग-अलग रखें। 4. बिजली के जलते बल्ब को पटाखा से दूर रखें। 5. दुकान में धूम्रपान करने से बिल्कुल बचें। 6. आग से बचाव के सामान दुकानदार अपने बैठने की जगह के पास ही रखें पटाखा फोड़ते समय बरतें सावधानी बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान टीम। दीपोत्सव में दीये जलाने की बहुत पुरानी परंपरा है। युवा वर्ग इस दिन आतिशबाजी ड्टाी करते हैं। वैसे तेज आवाज वाले पटाखों से बचना चाहिए। पटाखे फोड़ते समय विशेष सावधानी बरतने की ड्टाी जरूरत है। थोड़ी से लापरवाही किसी हादसे की वजह बन सकती है। खासकर बच्चों पर विशेष नजर रखनी चाहिए। जिला अग्निशमन पदाधिकारी ललन रजक बताते हैं कि कोशिश यह हो कि आवाजरहित पटाखे का इस्तेमाल किया जाए। छोटे बच्चे फुलझड़ी छोड़कर दीपोत्सव की खुशी मना सकते हैं। इस बात का विशेष ख्याल अड्टिाड्टाावक रखें, कि वे अपनी देखरेख में ही बच्चों को पटाखे फोड़ने दें। वैसे जितना कम पटाखों का इस्तेमाल हो, वह पर्यावरण के लिए बेहतर होगा। इन बातों का रखें ख्याल 1. अधजले पटाखा को दोबारा न जलाएं। 2. घर में पटाखा बिल्कुल न फोड़ें। 3. घर की दीवार पर रखकर तेज आवाज का पटाखा न फोड़ें। 4. बंद डब्बे में पटाखा फोड़ने से बचें। 5. खुले स्थान पर पटाखा फोड़ना बेहतर होगा। 6. संकीर्ण जगह पर रॉकेट न छोड़ें।
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