फुटबॉल से मिलता-जुलता खेल है हॉकी, इसमें भी 11 खिलाड़ी
फुटबॉल से मिलता-जुलता खेल है हॉकी, इसमें भी 11 खिलाड़ीफुटबॉल से मिलता-जुलता खेल है हॉकी, इसमें भी 11 खिलाड़ीफुटबॉल से मिलता-जुलता खेल है हॉकी, इसमें भी 11 खिलाड़ीफुटबॉल से मिलता-जुलता खेल है हॉकी,...
फुटबॉल से मिलता-जुलता खेल है हॉकी, इसमें भी 11 खिलाड़ी क्रिकेट व अन्य खेलों की तरह टॉस से होती है शिरुआत फुटबॉल में पैरों, तो हॉकी में घुमावदार स्टिक के सहारे गोल तक ले जाते हैं गेंद फोटो : हॉकी : राजगीर में हॉकी का अभ्यास करतीं भारतीय महिला टीम की खिलाड़ी। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। क्रिकेट सहित अन्य खेलों की तरह हॉकी की शुरुआत भी टॉस के साथ होती है। टॉस जीतने वाली टीम के पास पहले दो क्वार्टर में गोल करने या सेंटर पास के साथ मैच शुरू करने का एक विकल्प होता है। एक टीम दूसरी टीम के गोलपोस्ट में हिट करने के लिए घुमावदार स्टिक का इस्तेमाल करती है। खिलाड़ी गेंद को हिट करते हुए गोलपोस्ट के अंदर पहुंचा देता है तो स्कोर गोल करने वाली टीम का होता है। मैच के दौरान गोलकीपर को छोड़कर किसी भी खिलाड़ी को स्टिक के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से से गेंद छूने की अनुमति नहीं होती है। किसी भी टीम के लिए पेनाल्टी कॉर्नर और पेनाल्टी स्ट्रोक को गोल में तब्दील करने का एक बेहतरीन मौका होता है। ये पेनाल्टी तब दी जाती है, जब विपक्षी टीम का कोई खिलाड़ी फाउल करता है। फील्ड हॉकी खेलने की अवधि : फील्ड हॉकी मैच खेलने की अवधि 60 मिनट होती है, जिसे चार क्वार्टर में खेला जाता है। इस दौरान पहले और तीसरे क्वार्टर के बाद दोनों टीमों को दो मिनट का ब्रेक मिलता है। हालांकि, हाफ टाइम के बाद 15 मिनट का अंतराल भी होता है। इसके साथ ही इंज्यूरी और पेनाल्टी कॉर्नर देने से लेने तक का समय शामिल नहीं किया जाता है। वर्ष 2019 से पहले यह मुकाबला 70 मिनट का होता था। इसमें 35 मिनट के बाद पांच मिनट का हाफटाइम ब्रेक होता था। वहीं, अंपायर यह सुनिश्चित करते हैं कि हॉकी मैच के दौरान किसी भी प्रकार का समय बर्बाद न हो। हॉकी खेल में येलो और रेड कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर येलो कार्ड को चेतावनी के तौर पर खिलाड़ी को दिखाया जाता है। वहीं, रेड कार्ड मिलने पर खिलाड़ी को मैदान के बाहर भेज दिया जाता है। हॉकी में पेनाल्टी कॉर्नर: मैच के दौरान स्ट्राइकिंग सर्किल के अंदर विपक्षी टीम का कोई खिलाड़ी फाउल करता है तो सामने वाली टीम को पेनाल्टी कॉर्नर मिलता है। हालांकि, आमतौर पर सर्किल के अंदर जब गेंद खिलाड़ी के पैर से छू जाती है तो पेनाल्टी कॉर्नर मिलता है। यदि स्ट्राइकिंग सर्किल के बाहर कोई गलती होती है, लेकिन 23 मीटर क्षेत्र के अंदर तो अंपायर पेनाल्टी कॉर्नर दे सकता है। पेनाल्टी कॉर्नर के दौरान गेंद को बैकलाइन पर रखना होता है, जो गोलपोस्ट से 10 मीटर की दूरी पर रखा जाता है। इसके बाद खिलाड़ी गेंद को हिट करता है। लेकिन, इस दौरान अटैक करने वाली टीम डी बॉक्स के अंदर नहीं हो सकती है। पेनाल्टी कॉर्नर से गोल करने के लिए कई रणनीतियां होती हैं। टीमें एक ड्रैग-फ्लिक स्टाइल का इस्तेमाल करती हैं। वहां टीम का एक खिलाड़ी गोल को डिफेंड करने वाली टीम को चकमा देने का प्रयास करता है। पेनाल्टी कॉर्नर को शॉर्ट कॉर्नर भी कहा जाता है। इस दौरान गोलकीपर सहित पांच से अधिक खिलाड़ी गोल को डिफेंड नहीं कर सकते हैं। हॉकी में पेनाल्टी स्ट्रोक: पेनाल्टी स्ट्रोक या पेनाल्टी फ्लिक तब दिया जाता है, जब गोल करने के मौके को रोकने के लिए सर्किल के अंदर फाउल होता है। पेनाल्टी कॉर्नर के विपरीत पेनाल्टी स्ट्रोक होता है, जहां गेंद को पेनाल्टी स्पॉट पर रखा जाता है। यह गोल लाइन से 6.475 मीटर की दूरी पर होती है। अटैक करने वाला खिलाड़ी गेंद को गोल में हिट करने का प्रयास करता है। जबकि, गोलकीपर गेंद को गोल रेखा को पार होने से रोकने के लिए अपनी स्टिक और शरीर का इस्तेमाल करता है। फ्री हिट: विपक्षी टीम का कोई भी खिलाड़ी फाउल करता है तो दूसरी टीम को फ्री हिट दिया जाता है। फ्री हिट के दौरान गेंद एक जगह पर स्थिर होनी चाहिए। इसके साथ ही, विपक्षी टीम के खिलाड़ी गेंद से कम से कम पांच मीटर की दूर पर खड़े होने चाहिए। लॉन्ग कॉर्नर: जब डिफेंडर द्वारा गेंद खेले जाने के बाद बैकलाइन पर चली जाती है, तब लॉन्ग कॉर्नर दिया जाता है। कॉर्नर में गेंद को साइड रेखा और गोल को मिलाने वाले कॉर्नर पर रखकर हिट किया जाता है। हॉकी में कितने खिलाड़ी होते हैं : हॉकी खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है। हर टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं। इनमें से एक गोलकीपर, चार डिफेंडर, तीन मिडफील्डर और तीन अटैकर होते हैं। इसके साथ ही, पांच खिलाड़ी सबस्टीट्यूट के तौर पर बाहर होते हैं। कोच किसी भी खिलाड़ी को कितनी बार सबस्टीट्यूट के तौर पर भेज सकता है। इसे आमतौर पर रोलिंग सबस्टीट्यूट के रूप में जाना जाता है। फुलबैक, विंगबैक, सेंटरबैक और स्वीपर एक टीम की डिफेंसिव यूनिट बनाते हैं। इनकी मुख्य जिम्मेदारी प्रतिद्वंद्वी टीम को गोल करने से रोकना होता है। दूसरी ओर, फॉरवर्ड, इनसाइड फॉरवर्ड, विंगर्स और सेंटर फॉरवर्ड से बने होते हैं और उनकी मुख्य भूमिका गोल करना होता है। इस बीच, मिडफील्डर, फॉरवर्ड और डिफेंडर के बीच एक सेतु का काम करते हैं और डिफेंस के साथ-साथ गोल रोकने में मदद करते हैं। वहीं, गोलकीपर एकमात्र ऐसा खिलाड़ी है, जिसे अपने शरीर के किसी भी हिस्से से गेंद को छूने की अनुमति है। गोलकीपर हर समय हेलमेट, गले का कॉलर, बॉडी आर्मर, किकर और लेग गार्ड जैसे सुरक्षात्मक उपकरण पहनता है और एक अलग रंग की जर्सी भी पहनता है। हॉकी खेल का मैदान और साइज : हॉकी खेल आयाताकार मैदान पर खेला जाता है। उसकी लंबाई 91.40 मीटर और चौड़ाई 55 मीटर होती है। यह आमतौर पर सिंथेटिक घास से ढंका होता है। मैदान को एक मिडलाइन द्वारा दो बराबर हिस्सों में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक हाफ 23 मीटर लाइन से विभाजित होता है। वहीं, दोनों गोलपोस्ट के आस-पास सेमी-सर्किल होता है। इसका व्यास 14.63 मीटर होता है। गोल केवल स्ट्राइकिंग सर्किल के अंदर से किये जा सकते हैं और सर्किल के बाहर से गोल में जाने वाली किसी भी गेंद को गोल में शामिल नहीं किया जाता है। इसके साथ ही, गोलपोस्ट की चौड़ाई 3.66 मीटर होती है। क्रॉसबार की ऊंचाई 2.14 मीटर होती है। हॉकी स्टिक की लंबाई और वजन: हॉकी स्टिक की लंबाई 105 सेमी तक होती है। इसका वजन 737 ग्राम से अधिक नहीं हो सकता है। हॉकी गेंद सफेद रंग की होती है। इसका वजन 156 ग्राम से 163 ग्राम तक हो सकता है। इसकी परिधि 22.4 से 23.5 सेमी तक होती है। हॉकी स्टिक लकड़ी की बनी होती है। इसका निचला हिस्सा घुमावदार होता है, जो बाईं ओर सपाट होता है। मैच के दौरान खिलाड़ियों को गेंद छूने या हिट करने के लिए केवल स्टिक के सपाट हिस्से को इस्तेमाल करने की अनुमति होती है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो फाउल (बैकस्टिक) हो जाता है और गेंद विपक्षी टीम को दे दी जाती है। टर्फ : एस्ट्रोटर्फ हॉकी के लिए कृत्रिम टर्फ या एस्ट्रो टर्फ का निर्माता है। वे यूएसए फील्ड हॉकी और एनएफएचसीए के लिए आधिकारिक टर्फ आपूर्तिकर्ता हैं, और वर्ष 1976 के मॉण्ट्रियल ओलंपिक के बाद से शीर्ष स्तर के हॉकी मैचों में इसका उपयोग किया गया है। एस्ट्रोटर्फ के उत्पाद तेजी से चलने वाले, गैर-दिशात्मक और एक समान होने के लिए डिज़ाइन की गयी है।
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