रिवाइज : सूर्य महोत्सव : सौ पर भारी एक हम धरती पुत्र बिहारी हैं...
सूर्य महोत्सव : सौ पर भारी एक हम धरती पुत्र बिहारी हैं...सूर्य महोत्सव : सौ पर भारी एक हम धरती पुत्र बिहारी हैं...सूर्य महोत्सव : सौ पर भारी एक हम धरती पुत्र बिहारी हैं...सूर्य महोत्सव : सौ पर भारी एक...
सूर्य महोत्सव : सौ पर भारी एक हम धरती पुत्र बिहारी हैं... लोक परंपराओं के बीच छठ की महिमा का कवियों ने किया बखान मंच पर बिखरी बिहारी माटी की सोंधी खुशबु बड़गांव राजकीय महोत्सव में बही सुर सरिता की धार कवियों की रचनाओं पर लोगों ने लगाए ठहाके लोक परंपराओं की सोंधी महक से महका बड़गांव फोटो : बड़गांव प्रोग्राम : बड़ागांव छठ महोत्सव में भक्ति कार्यक्रम में शामिल सूर्यनारायण जागृति मंच के सदस्य। नालंदा, निज संवाददाता। हम श्रम नायक हैं भारत के और मेधा के अवतारी हैं, हम सौ पर भारी एक पड़े, हम धरती पुत्र बिहारी हैं... कविता से रचनाकारों ने बिहारी अस्मिता का बखान किया। प्रसिद्ध हास्य कवि शम्भू शिखर ने इस कविता को सुनाकर भक्तों व दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बडगांव राजकीय महोत्सव में सूर्यनारायण जागृति मंच के कवियों व कलाकारों ने लोक परंपराओं के बीच छठ की महिमा का बखुबी बखान किया। मंच पर से यहां बिहारी माटी की सोंधी खुशबु बिखरी। बड़गांव राजकीय महोत्सव में गुरुवार की रात सुर सरिता की धार बही। इसमें लोगों ने रातभर डुबकी लगायी। कवियों की रचनाओं पर लोगों ने जमकर ठहाके लगाए। लोक परंपराओं की सोंधी महक से पूरा बड़गांव महक उठा। दरभंगा की कवयित्री डॉ. तिष्या श्री ने सरस्वती वंदना से भक्ति कार्यक्रम की शुरुआत की। पटना के युवा शायर विकास राज ने 'जहां पवित्र हर एक सुबह है और पावन हर शाम है, जो स्वयं सूर्य की नगरी है और छठी मैया का धाम है, जिस मिट्टी ने नारायण के पुत्र को आशीर्वाद दिया, उस सूर्य नगरी बडगांव को मेरा बारम्बार प्रणाम है... गीत सुनाकर लोगों का मन मोह लिया। साथ ही बड़गांव की धरती का महिमा बखान किया। नालंदा क प्यारेपुर गांव की कवयित्री अनमोल सिंह ने मगही में जहां दुनिया पकड़े लगहर गाय हमनी बुढियो के चारा देवो हिये, उगता सूरज के सभे पुजारी हमनी ढलता सूरज के सेवो हिये... कविता सुनाया। रांची के हास्य कवि कुमार संजय ने अपने हास्य फुलझड़ियों से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। नवादा के कवि ओमकार शर्मा कश्यप ने ये तीज त्यौहार व्रत, यहां जो धूमधाम है, रोजगार का पर्याय, सिद्ध है, प्रमाण है, सिर्फ धूप दीप नहीं, चूल्हे भी जलाते हम, हमारा लोक पर्व, रोटियों का इंतजाम है... कविता पाठ किया। खुद को बिहारी रखिए... युवा कवि प्रशांत बजरंगी बहुत ही अच्छा पाठ किया। हम स्वयं संताप लिखते आ रहे हैं, पाप का परिताप लिखते आ रहे हैं, जिन्हें भी लिखना है लिखे वह प्रेम धुन, हम समय का ताप लिखते आ रहें हैं... तो पटना के कवि चन्दन द्विवेदी ने चौका-छक्का जारी रखिए, खुद को सब पर भारी रखिए, दिल्ली रहिए, लंदन रहिए, खुद को मगर बिहारी रखिए... गीत सुनाया। मंच के मार्गदर्शक सह युवा गीतकार संजीव कुमार मुकेश ने गांव का लड़का और गांव की लड़की पढ़कर गांव की महत्ता को युवाओं तक पहुंचाया। उन्होंने काव्य पंक्तियों में कहा बहुत जटिल को और सरल कर देती है, कुटिया को भी राज महल कर देती है, जीवन के हर टेढ़े-मेढ़े प्रश्नों का, गांव की लड़की झट-पट हल कर देती है...। मां मालती देवी स्मृति न्यास द्वारा इस कार्यक्रम में कवियों को मां मालती देवी स्मृति सम्मान 2024 से वरिष्ठ कवि उमेश प्रसाद उमेश, अंतर्राष्ट्रीय कवि शम्भू शिखर व संयोजक संजीव मुकेश ने सम्मानित किया। कार्यक्रम में शामिल सभी कवियों व रचनाकारों को भी मोमेंटो देकर सम्मनित किया गया। कार्यक्रम में मंच के अध्यक्ष अखिलेश कुमार, सचिव पंकज कुमार, उपाध्यक्ष बबलू सिंह, सुधीर सिंह, गायक सागर, दीपिका, पर्यटन विभाग के जनसूचना अधिकारी रवि शंकर उपाध्याय, समाजसेवी रघुवंश कुमार, रोहित धन्नो, अमित, आर्यन, छोटे मुखिया, सिद्धार्थ राज, अमृत राज, विद्या भरत, ज्ञान भरत, पप्पी समेत अन्य ने अपनी रचनाएं सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
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