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बोले बिहारशरीफ : फुटपाथी फल विक्रेताओं को अब तक नहीं मिल सकी स्थायी जगह

फुटपाथ पर फल बेचने वाले विक्रेताओं की जिंदगी कठिनाइयों से भरी है। प्रशासन की सख्ती, महंगाई, और कर्ज के बोझ ने उनकी रोजी-रोटी को संकट में डाल दिया है। ये विक्रेता स्थायी दुकान के लिए स्थान की मांग कर...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफThu, 20 Feb 2025 05:37 PM
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बोले बिहारशरीफ : फुटपाथी फल विक्रेताओं को अब तक नहीं मिल सकी स्थायी जगह

फुटपाथ पर फेल बेचने वालों की जिंदगी दुश्वारियों से भरी है। हर दिन एक नया संघर्ष उनके सामने खड़ा हो जाता है। प्रशासन की सख्ती, कर्ज का बोझ, बढ़ती महंगाई और ग्राहकों की घटती संख्या उनके जीवन को कठिन बना रही है। कम ब्याज दर पर उन्हें लोन मिले, तभी महाजनों से छुटकारा मिलेगा। बिहारशरीफ शहर में कहीं भी फुटपाथ लगाने के लिए स्थाई जगह नहीं है। इस कारण सड़कों व चौक- चौराहों पर ठेला लगाने की मजबूरी बनी हुई है। फल हमारे जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है। हम बीमार हो या सुबह का नाश्ता करना हो, फल चाहिए। हम तक आसानी से फल पहुंचाने में फल विक्रेताओं की बहुत अहम भूमिका होती है। चाहे मौसम कितना ही खराब क्यों न हो, ठेला पर ताजे फलों को लेकर ये दुकानदार रोज हमारे घरों तक इसे पहुंचाते हैं। लेकिन, इस दौरान वे कई स्तर पर जीवन के संघर्ष से जुझते हैं। फुटपाथ पर फल बेचने वाले छोटे विक्रेता अपनी रोजी-रोटी के लिए रोज इस तरह के संघर्ष कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा बार-बार हटाए जाने, जगह की कमी और महंगाई की मार ने इन विक्रेताओं को आर्थिक रूप से काफी कमजोर बना दिया है। फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले इन लोगों का कहना है कि वे रोज मेहनत कर अपने परिवार का पेट भरते हैं। लेकिन, आए दिन उन्हें अपनी दुकान हटाने के लिए कहा जाता है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। आपके अपने दैनिक अखबार हिन्दुस्तान के बोले बिहारशरीफ संवाद कार्यक्रम में फल विक्रेताओं ने अपनी समस्याओं पर चर्चा के दौरान कई सुझाव दिए।

फल विक्रेता प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि उन्हें स्थायी रूप से व्यापार करने के लिए एक निश्चित स्थान उपलब्ध कराया जाए। वे कहते हैं कि बारिश हो या धूप हर स्थिति में वे ग्राहकों की सेवा करते हैं। लेकिन, बदले में उन्हें केवल अस्थिरता और परेशानी ही मिलती है। फुटपाथ पर फल बेचने वाले ज्यादातर लोग गरीब परिवारों से आते हैं। उनके पास इतनी पूंजी नहीं होती कि वे बड़े स्तर पर व्यापार कर सकें। यही कारण है कि उन्हें अपने ठेले और फलों की खरीद के लिए अक्सर अधिक ब्याज दर पर महाजनों से कर्ज लेना पड़ता है। पिछले 15 साल से फल बेच रहे महेंद्र प्रसाद बताते हैं कि हम बैंक से लोन नहीं ले सकते, क्योंकि हमारे पास जरूरी कागजात नहीं होते। मजबूरी में हमें साहुकारों से कर्ज लेना पड़ता है। इनका ब्याज बहुत ज्यादा होता है। कई बार ऐसा होता है कि हम कर्ज और ब्याज चुकाने के चक्कर में ही फंस जाते हैं। घर परिवार के लिए कुछ भी बचत नहीं कर पाते हैं। फल एक ऐसा सामान है जो जल्दी खराब हो जाता है। गर्मी और नमी के कारण फल सड़ जाते हैं। इससे विक्रेताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। अजय कुमार कहते हैं कि वे हर दिन ठेले पर फल बेचते हैं। अगर दो-तीन दिन में फल नहीं बिके, तो हमें उन्हें फेंकना पड़ता है। यह सबसे बड़ा घाटा है, क्योंकि फल खराब होने के बाद हम उन्हें नहीं बेच सकते।

नगर निगम की कार्रवाई और रोजी-रोटी का संकट :

नगर निगम और पुलिस प्रशासन समय-समय पर फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हैं। इन कार्रवाइयों के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान छोटे विक्रेताओं को होता है। खासकर चौक चौराहों के पास ठेला पर बेचने वाले फल विक्रेता हरदम डरे सहमे रहते हैं। फुटपाथ विक्रेता संगठन के अध्यक्ष रामदेव चौधरी कहते हैं कि ये लोग मेहनत से अपना पेट पाल रहे हैं। लेकिन जब-तब प्रशासन आकर इनकी दुकानें हटा देता है, कभी ठेले तोड़ दिए जाते हैं, कभी फल सड़क पर बिखेर दिया जाता है। इससे बहुत आर्थिक नुकसान होता है। पूंजी भी चली जाती है। यह उनके साथ नाइंसाफी है। बिहारशरीफ के अस्पताल चौराहा पर 20 साल से फल बेच रहे योगेंद्र कुमार बताते हैं कि हमारा ठेला कई बार तोड़ा गया।

कार्रवाई के दौरान हमारे फल सड़क पर बिखर जाते हैं। हमारा सामान भी बर्बाद हो जाता है और हमारी मेहनत भी मिट्टी में मिल जाती है। लेकिन, हमारे पास कोई विकल्प भी नहीं है। क्योंकि, यही हमारी कमाई का एकमात्र जरिया है। फल विक्रेताओं के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर उनकी दुकान एक दिन के लिए भी बंद हो जाए, तो उनके परिवार को भूखा रहना पड़ता है। मो. नसर 12 साल से फल बेच रहे हैं। फुटपाथ पर फल बेचते हैं। समय समय पर गलियों में भी जाकर फलों को बेचते हैं। ताकि, शाम तक कुछ पैसे कमा सकें। उन्होंने बताया अगर हमें हटा दिया जाता है, तो हम कमाएंगे कैसे? हमारे घर में खाने के लिए कुछ नहीं बचता। प्रशासन को हमारे बारे में भी सोचना चाहिए। कम से कम स्थाई जगह हमें उपलब्ध कराया जाय। फल विक्रेताओं की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास स्थायी रूप से दुकान लगाने की कोई जगह नहीं होती।

हमें भी सम्मान से जीने का हक मिलना चाहिये

फुटपाथ पर फल बेचने वाले विक्रेताओं की समस्याएं बहुत बड़ी हैं। लेकिन, अगर सरकार और प्रशासन उनके लिए कुछ ठोस कदम उठाए, तो उनका जीवन आसान हो सकता है। वे मेहनत से काम करने वाले लोग हैं, जो सिर्फ अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी कमाना चाहते हैं। इनका समर्थन करना समाज की भी जिम्मेदारी है। क्योंकि ये हमें ताजे और सस्ते फल उपलब्ध कराते हैं। जो हमारी सेहत के लिए आवश्यक है। लेकिन, अक्सर उनके साथ सख्ती की जाती है। कभी कभार तो अपराधियों की तरह उनके साथ व्यवहार किया जाता है। उन लोगों का कहना है कि कम से कम हम कमा कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं। हमारे साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। हमें भी सम्मान के साथ जीने का पूरा हक है। आठ साल से इस कारोबार से जुड़े राकेश कुमार कहते हैं कि हम कोई अपराधी नहीं हैं, हम मेहनत से कमाते हैं। हम बस चाहते हैं कि हमें सम्मान से जीने का हक मिले। अगर इन विक्रेताओं को उचित सुविधाएं और स्थाई जगह मिले, तो वे न केवल अपनी आजीविका अच्छे से चला सकेंगे, बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे सकेंगे।

सुझाव

1. नगर निगम को फुटपाथ विक्रेताओं के लिए एक निश्चित स्थान देना चाहिए। ताकि, वे वहां निडर होकर अपना कारोबार कर सकें।

2. सरकार को छोटे व्यापारियों के लिए ऐसी योजना बनानी चाहिए, जिससे वे बिना ज्यादा कागजी प्रक्रिया के आसानी से बैंक से सस्ता लोन ले सकें।

3. सरकार को छोटे विक्रेताओं के लिए सस्ते दामों पर शीतगृह में भंडारण की सुविधा देनी चाहिए, ताकि फल जल्दी खराब न हों और नुकसान कम से कम हो।

4. अगर सरकार हमें लाइसेंस जारी कर दे, तो हमें नगर निगम की कार्रवाई से डरने की जरूरत नहीं होगी।

5. यदि सरकार किसानों और फुटपाथ विक्रेताओं के बीच सीधा संपर्क कराए और थोक बाजार में सस्ते दामों पर फल उपलब्ध कराए, तो विक्रेता ग्राहकों को भी सस्ते दामों पर फल बेच सकेंगे।

6. इस कारोबार से जुड़े लोगों के परिवार के सभी सदस्यों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाय।

शिकायतें

1. नगर निगम बार-बार हमारे ठेलों को हटा देता है। इससे हमारा व्यापार प्रभावित होता है। हमें ठेला लगाने के लिए स्थायी स्थान नहीं दिया जाता।

2. बैंकों से लोन नहीं मिलने के कारण हमें महाजनों से उच्च ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ता है। इससे हमारी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है।

3. फलों को सुरक्षित रखने के लिए शीतगृह जैसी भंडारण की सुविधा नहीं है। इस कारण गर्मी और नमी में फल जल्दी सड़ जाते हैं।

4. बढ़ती महंगाई के कारण ग्राहक कम फल खरीद रहे हैं। लेकिन, फलों की थोक कीमतें लगातार बढ़ रही है। इससे हमें घाटा हो रहा है।

5. पहले की अपेक्षा फल अब महंगे हो गए। इस कारण ज्यादा बिक्री नहीं होती है।

छलका दर्द

अब लोग फल खरीदने में भी मोलभाव करने लगे हैं। पहले जहां ग्राहक आसानी से दो से तीन किलो खरीद लेते थे। अब वे आधा या एक किलो ही ले रहे हैं। -अमित कुमार

फुटपाथी विक्रेताओं से आम जनता को ताजे फल मिलते हैं। अगर फुटपाथ से फल बिकना बंद हो जाएगा, तो गरीब तबका महंगे स्टोर से फल नहीं खरीद पाएगा। -अजय कुमार

प्रशासन नियम-कायदे तो बनाता है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकालता। कोई यह नहीं बताता कि हमें दुकान लगाने के लिए कहां जाना चाहिए। -किशोरी गोस्वामी

हर बार हमें बस यह कहा जाता है कि हटो, लेकिन हमें कहीं और बसाने की कोई योजना नहीं है। हम कोई अपराधी नहीं हैं, हम मेहनत करके अपना पेट पाल रहे हैं। -मो. नसर

हर शहर में फुटपाथ विक्रेताओं के लिए अलग से बाजार बनाए जा रहे हैं। फिर बिहारशरीफ में क्यों नहीं? हमारी समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाए। -सुनील रविदास

हम गरीब परिवारों से आते हैं। यही आजीविका का एक मात्र जरिया है। घर में कमाने वाले सिर्फ हम हैं। अगर हमें यहां से हटा दिया गया, तो भूखे मर जाएगें। -सुरेन्द्र कुमार

हम सुबह से शाम तक मेहनत करते हैं। लेकिन, जब दुकान हटाने का आदेश आता है, तो सबकुछ बर्बाद हो जाता है। निश्चित स्थान मिला तो हटने का डर नहीं रहेगा। -मो. टूंटू

हम अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा बार-बार हटाए जाने, जगह की कमी और महंगाई की मार ने आर्थिक रूप से हमें कमजोर बना दिया है। -अजय पंडित

हम हर दिन इस डर में जीते हैं कि कब हमारी दुकान हटा दी जाएगी। अगर सरकार कोई योजना बनाए, तो हम भी बेहतर जीवन जी सकते हैं। -योगेंद्र कुमार

हम सरकार से भीख नहीं मांग रहे। हम बस इतना चाहते हैं हमें व्यापार करने को निश्चित स्थान मिले। हमारे लिए कोई स्थाई बाजार की व्यवस्था की जाए। -दीपक कुमार

समस्या का हल जरूरी है। सरकार अगर हमें उचित जगह दे दे, तो ट्रैफिक की समस्या भी हल होगी और हमारा रोजगार भी बच जाएगा। -अनिल कुमार

हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह जल्द ही हमारे लिए कोई ठोस कदम उठाएगी। इससे हम अपने परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर सकेंगे। -राकेश कुमार

बारिश हो या धूप, हर स्थिति में वे काम करते हैं। लेकिन, बदले में उन्हें केवल परेशानी ही मिलती है। हर बार आश्वासन ही मिलता है, लेकिन अब तक समाधान नहीं हुआ। -अवधेश गिरि

अगर सरकार और प्रशासन हमारी बात सुन ले, तो हमारी समस्या हल हो सकती है। हम बस सम्मानजनक जीवन जीना चाहते हैं। -जय प्रकाश

रोज मेहनत कर अपने परिवार का पेट भरते हैं। लेकिन, आए दिन उन्हें दुकान हटाने के लिए कहा जाता है। इससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। -विक्रांत कुमार

बोले जिम्मेदार

हर कुछ दिन में इनलोगों की दुकानें हटा दी जाती हैं। कभी अतिक्रमण के नाम पर, तो कभी ट्रैफिक जाम के कारण। ये लोग मेहनत करते हैं, लेकिन अगर इन्हें रोज बेघर कर दिया जाए, तो कमाई कैसे होगी? अगर प्रशासन इनके लिए एक स्थायी बाजार या वैकल्पिक व्यवस्था करता है, तो न सिर्फ इनका रोजगार बढ़ेगा, बल्कि शहर की सूरत भी बेहतर होगी। इनकी सुविधा को देखते हुए सरकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि, वे आराम से अपना कारोबार कर सकें। साथ ही परिवार के सदस्यों का भरण पोषण भी हो सके।

-महेंद्र प्रसाद, फल विक्रेता संघ, सदस्य

फल विक्रेताओं में महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है। वे घर और दुकान दोनों संभालती हैं। लेकिन, बार-बार उजाड़े जाने के कारण उनका भी जीवन कठिन हो गया है। हम औरतों के लिए तो यह काम और भी कठिन हो जाता है। हमें बच्चों को भी देखना होता है और रोजी-रोटी भी कमानी होती है। लेकिन, जब भी हमें हटाया जाता है, हमें समझ नहीं आता कि हम क्या करें, कहां जाएं। गांवों से कमाने के लिए ही यहां आए हैं। ताकि, बाल बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकें। लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

-सोना देवी, फल विक्रेता संघ, कोषाध्यक्ष

महंगाई बढ़ने से उनकी लागत बढ़ गई है। लेकिन, ग्राहक पहले की तरह नहीं आते। पहले ग्राहक आराम से फल खरीदते थे। अब महंगाई के कारण लोग कम मात्रा में ही खरीद रहे हैं। हमारी बिक्री घट गई है, लेकिन फल का दाम रोज बढ़ता जा रहा है। इससे घाटा भी बढ़ता जा रहा है। बैंको से भी हमें लोन नहीं मिल पाता है। लोगों के पास किसी तरह का कोई पहचान पत्र तक नहीं है। वैसे लोगों को संगठन की तरफ से परिचय पत्र मुहैया कराया जा रहा है। समय समय पर बैठक के माध्यम से लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाती है।

-अमित कुमार, फल विक्रेता संघ, सदस्य

ये लोग फल बेचकर अपना परिवार चलाते हैं। फुटपाथ पर दुकान लगाने के अलावा इनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। लेकिन जब-तब प्रशासन इन्हें हटाने आ जाता है। हम चाहते हैं कि सरकार इनलोगों को एक निश्चित स्थान दे। ताकि वे वहां निडर होकर अपना रोजगार कर सकें। दुकान चलेगी तभी उनकी आमदनी होगी। फल विक्रेताओं की यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है। नगर निगम के अधिकारियों व मेयर से इस संबंध में बात जारी है। वेंडिंग जोन बनाकर उन्हें उसमें जगह देने का प्रयास किया जा रहा है।

-रामदेव चौधरी, फल विक्रेता संघ, अध्यक्ष

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