लक्ष्य तय, नालंदा में 12 हजार तो शेखपुरा में 3371 बनेंगे मृदा स्वास्थ्य कार्ड
लक्ष्य तय, नालंदा में 12 हजार तो शेखपुरा में 3371 बनेंगे मृदा स्वास्थ्य कार्डलक्ष्य तय, नालंदा में 12 हजार तो शेखपुरा में 3371 बनेंगे मृदा स्वास्थ्य कार्डलक्ष्य तय, नालंदा में 12 हजार तो शेखपुरा में...

लक्ष्य तय, नालंदा में 12 हजार तो शेखपुरा में 3371 बनेंगे मृदा स्वास्थ्य कार्ड एप में हो रहा सुधार, इसबार किसानों के व्हाट्सएप नंबर भी भेजे जाएंगे कार्ड जल्द शुरू होगा पंचायतवार मिट्टी के नमूनों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया फोटो मिट्टी जांच : जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला,जहां नमूनों की होती है जांच। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। लक्ष्य तय कर दिया गया है। इस साल नालंदा में 12 हजार 236 तो शेखपुरा जिले में 3371 मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाये जाएंगे। खास यह भी कि एप को अपटेड किया जा रहा है। किसानों को हाथों हाथ कार्ड मिलेगा। साथ ही व्हाट्एसएप पर भी मिट्टी हेल्थ कार्ड भेजा जाएगा। प्रखंड व पंचायतवार मिट्टी के नमूनों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। किसान सलाहकार, किसान समन्वयक, बीटीएम (प्रखंड तकनीकी प्रबंधक) और एटीएम (सहायक तकनीकी प्रबंधक) को चयनित पंचायत और गांवों से मिट्टी के नमूने जुटाने की जिम्मेवारी दी गयी है। इसी के आधार ग्रिड के दायरे में आने वाले किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बनाकर मुहैया कराया जाएगा। पिछले साल 13 हजार 700 कार्ड बनाये गये थे जो तय लक्ष्य के अनुसार शतप्रतिशत है। स्वाइल हेल्थ कार्ड के फायदें: स्वाइल हेल्थ कार्ड के आधार पर किसान अपने खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति व मिट्टी में मौजूद प्रमुख पोषक तत्वों के बारे में जानकारी पाते हैं। मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी या अधिकता है और किस फसल के लिए खेत की मिट्टी उपर्युक्त है, इसके बारे में भी पता चलता है। खेती में रासायनिक खादों का किस अनुपात में प्रयोग करना है, इसका भी सुझाव दिया जाता है। 12 पारामीटर की होती है जांच : जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला में मिट्टी में पाये जाने वाले 12 पारामीटर की जांच की जाती है। एएएस(ऑटोमेटिक ऑब्जरपशन स्पेक्ट्रोमीटर) मशीन से चार सूक्ष्म पोषक तत्वों (जिंक, आयरन, मैगनीज व कॉपर) की जांच होती है। जबकि, अन्य मशीनों से पीएच, ईसी, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर और बोरोन की जांच की जाती है। क्या कहते हैं अधिकारी : मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने का लक्ष्य तय कर दिया गया है। जल्द ही कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उसके बाद पंचायतवार नमूना संग्रह करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। खास यह कि इसबार किसानों के व्हाट्सएप नंबर भी लिये जाएंगे। ताकि, व्हाट्एप के माध्यम से भी कार्ड भेजा जा सके। दुर्गा रंजन, इंचार्य, जिला मिट्टी जांच केंद्र बॉक्स राजगीर : डेढ़ माह पहले उद्घाटन,अबतक नमूनों की जांच शुरू नहीं कर्मियों की तैनाती नहीं होने से जांच की प्रक्रिया अबतक ठप बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। जिले की दूसरी मिट्टी जांच प्रयोगशाला राजगीर में खुली है। 17 फरवरी को काफी तामझाम के साथ इसका उद्घाटन किया गया था। विडंबना यह कि कर्मियों की कमी के कारण अबतक मिट्टी के नमूनों की जांच यहां शुरू नहीं हुई है। नतीजा, जिस उद्देश्य से इसकी स्थापना की गयी है, वह पूरी नहीं हो रही है। प्रयोगशाला में करीब 75 लाख की लागत से 12 पारामीटरों की जांच के लिए आधुनिक मशीनें लगायी हैं। इसकी क्षमता सालाना 10 हजार नमूनों की जांच कर स्वाइल कार्ड बनाने की है। वर्तमान में महज एक कर्मी यहां प्रतिनियुक्त हैं, जो प्रयोगशाला की देखरेख कर रहे हैं। नियमत: प्रयोगशाला के संचालन के लिए चार कृषि अनुसंधान पदाधिकारी, दो लैब टेक्निशयन, एक ऑपरेटर और दो परिचारी की आवश्यकता है। जिला से कर्मियों की तैनाती के लिए मुख्यालय को पत्राचार किया जा चुका है। परंतु, अबतक कर्मियों की तैनाती नहीं की गयी है।
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