प्राकृतिक की खूबसूरत वादियों के बीच राजगीर नगर परिषद ने बनाया कचड़ा डंपिंग यार्ड
प्राकृतिक की खूबसूरत वादियों के बीच राजगीर नगर परिषद ने बनाया कचड़ा डंपिंग यार्डप्राकृतिक की खूबसूरत वादियों के बीच राजगीर नगर परिषद ने बनाया कचड़ा डंपिंग यार्डप्राकृतिक की खूबसूरत वादियों के बीच...
प्राकृतिक की खूबसूरत वादियों के बीच राजगीर नगर परिषद ने बनाया कचड़ा डंपिंग यार्ड सीआरपीएफ प्रमुख ने डीएम को लिखा पत्र, कचड़ा प्रबंधन स्थल परिवर्तित करने की मांग रखी वन विभाग के अधिकारियों से भी कचड़ा प्रबंधन यार्ड बनाने का नहीं लिया गया अनापति प्रमाण पत्र फोटो: डम्पिंग यार्ड : राजगृह सीआरपीएफ रोड में वादियों के बीच सड़क किनारे बनाया गया कचड़ा प्रबंधन यार्ड। राजगीर, निज संवाददाता। प्राकृतिक सौंदर्य की खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध राजगीर की पंच पहाड़ियां और वादियां सैलानियों को आकर्षित करती हैं। इसे और खूबसूरत बनाने की जिम्मेवार नगर पंचायत यहां कूड़ा प्रबंधन यार्ड बना दिया है। यही कारण है कि सीआरपीएफ कैम्प ने प्रमुख बालकृष्णन णे डीएम शशांक शुभनकर को पत्र लिखकर इससे निजात दिलाने की गुहार लगायी है। हद तो यह कि यार्ड बनाने के पहले नगर पंचायत ने वन विभाग से ही अनुमति नहीं ली है। ऐसे में वन विभाग ने भी पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर की है। एक तरफ पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा राजगीर की हरियाली और स्वच्छता को बढ़ाने के लिए नित्य नये ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राजगीर नगर परिषद कार्यालय द्वारा वीरायतन से सीआरपीएफ कैंप जाने वाली मुख्य सड़क पर ही कचड़ा डंपिंग यार्ड का निर्माण कर दिया गया है। हरे-भरे पेड़-पौधों और मनमोहक वादियों में इसके निर्माण के बाद आस-पास दुर्गंध, मक्खी, मच्छड़ की संख्या में बेहताशा वृद्धि हुई है। सीआरपीएफ कैंप और आस-पास के गांवों में जाने वाले लोगों को अभी से ही प्रदूषण का खतरा मंडराने लगा है। आस-पास के क्षेत्रों में दुर्गंध से वातावरण खराब हो रहा है। आनन फानन में नगर परिषद ने कराया काम: कचड़ा डंपिंग यार्ड निर्माण के लिए नगर परिषद की सशक्त कमेटी ने वार्ड संख्या-16 में सीआरपीएफ जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे वन विभाग की अनापत्ति बिना ही कचड़ा प्रबंधन कार्य शुरू कर दिया गया। नगर परिषद के सूत्र बताते हैं कि कचड़ा प्रबंधन यार्ड की घेराबंदी के कार्य का भुगतान आंतरिक मद से करने का प्रस्ताव सशक्त कमेटी ने पास की थी। जबकि, नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 75 में प्रावधान है कि बिना बजट अनुदान में शामिल हुए राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता है। सशक्त कमेटी द्वारा इसके निर्माण के लिए दो योजनाओं के माध्यम से कुल 29 लाख 95 हजार के खर्च का हिसाब लगाया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना: वन संपोषित क्षेत्र में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश व वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार वानिकी से अन्यथा कार्यों के लिए सरकार से अनापत्ति लेना अनिवार्य है। पहाड़ों और जंगली वादियों से सटे कचड़ा डंपिंग को हटाने के लिए वन पर्यावरण विभाग के अधिकारियों द्वारा भी जिला प्रशासन से पत्राचार किया गया है। आम लोगों ने भी किया विरोध: सीआरपीएफ जाने वाली मुख्य सड़क पर कचड़ा प्रबंधन यार्ड निर्माण का आम लोग भी विरोध कर रहे हैं। नगर परिषद कार्यालय में लिखित आवेदन देने की बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। पीड़ित बाल विनोद प्रसाद ने बताया कि उन्होंने लिखित आवेदन देकर कार्य रोकने का अनुरोध किया था। लेकिन, उनके आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और रातोंरात आनन-फानन में काम करा दिया गया। सीआरपीएफ कैम्प ने कहा: सीआरपीएफ कैम्प के प्रमुख बालकृष्णन ने बताया कि उनके यहां हर साल तीन से चार हजार प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा 500 से अधिक अधिकारियों व कर्मियों के साथ ही 200 कार्मियों के परिवार कैम्प में रहते हैं। यार्ड कैम्प से महज 500 मीटर की दूरी पर बनाया गया है। इसके कारण आस-पास के क्षेत्रों में दुर्गंध फैली रहती है। अधिकारी बोले : नगर विकास एवं आवास विभाग के विशेषज्ञों की टीम के निरीक्षण के बाद ही यार्ड का निर्माण किया जा रहा है। यहां उन संयंत्रों का उपयोग किया जाएगा कि दुर्गंध नहीं फैलेगी। सभी लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए आगे का काम किया जाना है। सुनील कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, राजगीर
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