बस के चलने से लोगों को हो रही सहूलियत :
कोरोना की दूसरी लहर ने जहां अब गांवों में भी अपना आशियाना बनाना शुरू किया है, वहीं लोग धीरे-धीरे लापरवाह भी होते जा रहे हैं। इन दिनों शादी-विवाह को लेकर शहर से लेकर गांव तक के बाजारों में खासकर सुबह...
बस के चलने से लोगों को हो रही सहूलियत :
सुबह में शहर से गांव तक के बाजार में लगती है भीड़ :
फोटो :
14राजगीर01-राजगीर से बिहारशरीफ के लिए जाती बस
14राजगीर02-छबिलापुर चौराहे के पास सुबह में लगी भीड़
राजगीर। निज संवाददाता
कोरोना की दूसरी लहर ने जहां अब गांवों में भी अपना आशियाना बनाना शुरू किया है, वहीं लोग धीरे-धीरे लापरवाह भी होते जा रहे हैं। इन दिनों शादी-विवाह को लेकर शहर से लेकर गांव तक के बाजारों में खासकर सुबह के समय काफी भीड़ होती है। लगता ही नहीं हो कि लॉकडाउन लगा हुआ हो। वहीं लोगों को घर से बाजार आने-जाने में इन दिनों दोगुना भाड़ा भी देना पड़ रहा है। राजगीर से बिहारशरीफ, नारदीगंज, हिसुआ, छबिलापुर, इस्लामपुर, गिरियक सहित अन्य जगहों के लिए ई-रिक्शा सवारी लेकर जा रहे हैं। हालांकि लोगों के लिए एक राहत भरी बात यह है कि राजगीर से बिहारशरीफ के लिए सुबह से लेकर दोपहर तक काफी संख्या में बसें चलने लगी है। हालांकि इन पर सवारी बैठाते समय बस के लोग कोरोना गाइडलाइन का भले ही पालन नहीं कर रहे हों। वहीं लोगों को अधिक भाड़ा देना पड़ रहा है। इसके बाद भी लोगों को यह रात्हत देता है कि कम से कम समय पर अपने गंतव्य तक जा पा रहे हैं। बस वाले न तो सेनेटाइज करते हैं और न ही किसी को सेनेटाइजर देते हैं। इसके अलावा सीटिंग वाले नियम का भी कहीं से पालन होता नहीं दिख रहा है। इस पर प्रशासन ने मानों अपनी मुहर लगा दी है कि चाहे आप जैसे यात्री बैठाएं उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा शहर से लेकर गांव तक की बाजारों में धड़ल्ले से सभी दुकानें खुल रही है। सुबह के 11 बजे तक दुकानदार अपनी दुकान के आगे बैठकर ग्राहक को बुलाते हैं। उन्हें शटर उठाकर अंदर करते हैं और सामान देकर फिर बाहर निकालते हैं। शहर के हर क्षेत्र में आवश्यक सामानों से लेकर अन्य वैसी दुकानें जिन्हें खोलने की अनुमति नहीं है वे भी धड़ल्ले से सरेआम मुख्य सड़क पर ही अपना शटर उठाकर सामान बेचते नजर आते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी दुकानदार हैं जो 11 बजे के बाद भी पूरे दिन अपनी दुकानें खोलकर ग्राहकों को सामान देते रहते हैं। उन्हें कोरोना संक्रमण का तनिक भी भय नहीं है। वे यह भी नहीं सोचते कि शटर के अंदर बैठाकर ग्राहकों को सामान देने से उन्हें भी इस संक्रमण का शिकार होना पड़ सकता है। हालांकि दुकानदारों के सामाने भी काफी विवशता है। उन्हें भी किराया से लेकर बिजली बिल का भुगतान करना पड़ता है। इसके पहले के साल में भी पूरे साल बंद ही रहा था। अब जब एक बार दोबारा से चलने ही लगा था कि कोरोना ने दोबारा से कहर बरपा दिया। दुकानदार करें तो क्या। दुकानदारों का कहना है कि इससे अच्छा तो होता कि सभी दुकानों को खोल दिया जाता और वाहनों पर पाबंदी लगा दी जाती। कम से कम बंद कर पूरे दिन तक शटर के पास बैठकर बीताना तो नहीं पड़ता।
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