पावापुरी का प्रसिद्ध तिलकुट : 25 सालों की परंपरा और स्वाद का सफर
पावापुरी का प्रसिद्ध तिलकुट : 25 सालों की परंपरा और स्वाद का सफरपावापुरी का प्रसिद्ध तिलकुट : 25 सालों की परंपरा और स्वाद का सफरपावापुरी का प्रसिद्ध तिलकुट : 25 सालों की परंपरा और स्वाद का सफरपावापुरी...
पावापुरी का प्रसिद्ध तिलकुट : 25 सालों की परंपरा और स्वाद का सफर यहां का तिलकुट स्वाद और गुणवत्ता के लिए लोगों में खास लोकप्रिय फोटो : तिलकुट : पावापुरी में तिलकुट बना रहे कारीगर। पावापुरी, निज संवाददाता। नालंदा जिले का पावापुरी न केवल अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां का तिलकुट भी एक खास पहचान रखता है। 25 सालों से पावापुरी में बनने वाला तिलकुट अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण आज लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुका है। निरंतर यहां की तिलकुट की मांग बाजार में बढ़ती जा रही है। पावापुरी में तिलकुट बनाने की यह परंपरा लगभग ढाई दशक से भी ज्यादा पुरानी है। स्थानीय कारीगरों द्वारा तिल और गुड़ की शुद्धता और मेहनत से बनाए गए इस तिलकुट ने न केवल पावापुरी, बल्कि बिहार और देश के अन्य हिस्सों में भी अपनी खास जगह बनाई है। स्वाद व शुद्धता की पहचान : तिलकुट व्यवसायी शंकर राउत ने बताया कि हमारे यहां का तिलकुट अपनी विशिष्ट बनावट और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसे बनाने में स्थानीय रूप से उपलब्ध तिल और उच्च गुणवत्ता वाले गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक तरीके से तैयार किए गए इस तिलकुट में शुद्धता और देसी स्वाद झलकता है। शुद्धता व स्वाद ही इसे खास बनाता है। सभी बाजारों में इसकी पहुंच : पावापुरी में तैयार होने वाला तिलकुट केवल स्थानीय बाजारों में ही नहीं, बल्कि अन्य शहरों में भी भेजा जाता है। सर्दियों के मौसम में इसकी मांग और भी बढ़ जाती है। लोग इसे ऊर्जा और स्वाद के लिए खाना पसंद करते हैं। पावापुरी में तिलकुट बनाने वाले कारीगर अपनी मेहनत और परंपरागत कौशल से इसे तैयार करते हैं। उनके लिए यह न केवल एक व्यवसाय है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का माध्यम और आय का जरिया भी है। आर्थिक समृद्धि का स्रोत : तिलकुट का यह व्यवसाय पावापुरी और आसपास के क्षेत्रों में कई परिवारों के लिए रोजगार का साधन बना हुआ है। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलता है, बल्कि यहां के कारीगरों को उनकी कला के लिए पहचान भी मिलती है। पावापुरी का तिलकुट स्वाद और परंपरा का संगम है। इसकी 25 साल की यात्रा न केवल इस मिठाई के महत्व को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि शुद्धता और गुणवत्ता के साथ बनाई गई चीजें राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकती है। तिलकुट का बाजार भाव : चीनी का तिलकुट : 220 रुपए प्रति किलो गुड़ का तिलकुट : 300 रुपए प्रति किलो तिल पापड़ी : 300 रुपए प्रति किलो तिलवा चीनी : 100 रुपए प्रति किलो तिलवा गुड़ : 120 रुपए प्रति किलो भूरा : 60 रुपए प्रति किलो
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।