बदलते परिवेश में ज्ञान का उत्तम स्रोत है ऑनलाइन शिक्षा बदलते परिवेश में ज्ञान का उत्तम स्रोत है ऑनलाइन शिक्षा
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बदलते परिवेश में ज्ञान का उत्तम स्रोत है ऑनलाइन शिक्षा
ऑनलाइन शिक्षा ने स्कूल-कॉलेजों में खत्म किया सेशन जीरो की संभावना : रासबिहारी
नालंदा कॉलेज में ‘ऑनलाइन शिक्षा का महत्व पर वेबिनार में बोले शिक्षाविद
फोटो:
नालंदा कॉलेज: ‘ऑनलाइन शिक्षा का महत्व विषय पर वेबिनार में विचार देते नालंदा कॉलेज के शिक्षाविद व नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रासबिहारी सिंह।
बिहारशरीफ। निज संवाददाता
ज्ञान हमारी वो पूंजी है, जो हमें हर संकट से बचाता है। मुश्किलों में भी नयी राह दिखाता है। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग, पाठशाला जहां भी जाएं, हमें गुरु अपने ज्ञान से प्रकाशित करते हैं। कोरोना संकट में ये सब बंद हो चुके हैं। लेकिन, बदलते परिवेश में ज्ञान का उत्तम सोर्स ऑनलाइन शिक्षा है। इसे हम घरों में रहकर भी पूरा कर सकते हैं। नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रासबिहारी सिंह ने बुधवार को नालंदा कॉलेज द्वारा आयोजित ‘ऑनलाइन शिक्षा का महत्व विषय पर वेबिनार में कहा कि इस ऑनलाइन शिक्षा ने स्कूल-कॉलेज में सेशन जीरो (संस्थानों में पढ़ाई होना) की संभावना खत्म किया है।
प्रो. सिंह ने कहा है कि कोरोना काल में पढ़ाई को सामान्य बनाए रखने में ऑनलाइन एडुकेशन काफी सफल रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में एक नया बदलाव आया है। सामान्य परिस्थितियों में आने में शायद वर्षों का समय लग जाता। लेकिन, कोरोना संकट के कारण यह जल्द आ गया। इसने यह साबित कर दिया है कि ज्ञान की धारा को रोका नहीं जा सकता। ऑनलाइन एडुकेशन बदलते समय की मांग भी है। क्योंकि, हम डिजिटल की दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं। जहां सेकंड भर में मन के विचारों को, अपनी समस्या को, अपने हुनर को दुनिया के सामने लाया जा सकता है। 21वीं शदी ज्ञान क्रांति यानि नॉलेज रिवॉल्यूशन के नाम ही रहने वाला है। आज के दौर में या शिक्षा को जारी रखने का यह सशक्त व सरल माध्यम है।
प्राचार्य प्रो. श्यामा राय ने कहा कि ऑनलाइन एडुकेशन एक बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है। इसका लाभ शिक्षकों व छात्रों को लेनी चाहिए। इसे चुनौती के तौर पर स्वीकार कर इसे अवसर में बदलना चाहिए। क्योंकि, जो मुश्किलों से बाहर निकलता है। वही विजेता कहलाता है। हम नाकामियों का रोना नहीं रो सकते। अगर रोते रहे तो पिछड़ जाएंगे। हमारे युवाओं में वो क्षमता है। उन्हें बस तराशने और निखारने की आवश्यकता है।
बीएड के विभागध्यक्ष डॉ. ध्रुव कुमार ने कहा कि इस संकट में ऑनलाइन शिक्षा ने अध्ययन शैली में एक नया आयाम जोड़ दिया है। इससे जुड़कर हम अपने अध्ययन को आसानी से जारी रख सकते हैं। अब तो हम अपनी सारी तैयारी डिजिटल तरीके से कर सकते हैं। कई प्रतियोगिताएं तो ऑनलाइन पहले ही शुरू हो चुकी हैं। इससे हमारे छात्र और निखरेंगे।
मुख्य वक्ता प्रो. पुरूषोत्तम कुमार ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) के माध्यम से ऑनलाइन लर्निंग, डिस्टेंस लर्निंग, ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग के लिए साईट और उपयोगी पाठ्य सामग्री की उपलब्धता पर चर्चा की। कहा कि सभी विषयों और कोर्स की पाठ्य सामग्री भारत सरकार और राज्य सरकार ने निशुल्क उपलब्ध कराया है। इसका लाभ छात्र और शिक्षक दोनो ले सकते हैं। डॉ. राजेश कुमार ने ऑनलाइन शिक्षा को चुनौती के रूप में स्वीकार करने की अपील की। वेबिनार में डॉ. रंजन कुमार, सहायक प्राध्यापक पिंकी कुमारी, कृति स्वराज, अर्पणा कुमारी, इशिता कुमारी, उषा कुमारी, प्रशांत कुमार, संगीता कुमारी, दिलीप कुमार पटेल व अन्य ने अपनी बातें कहीं और इस संकटकाल में इसे उपयोगी बताया।
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