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नूरसराय में खुला राज्य का तीसरा और जिले का पहला किसान पुस्तकालय

नूरसराय में खुला राज्य का तीसरा और जिले का पहला किसान पुस्तकालयनूरसराय में खुला राज्य का तीसरा और जिले का पहला किसान पुस्तकालयनूरसराय में खुला राज्य का तीसरा और जिले का पहला किसान पुस्तकालय

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफTue, 4 March 2025 11:21 PM
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नूरसराय में खुला राज्य का तीसरा और जिले का पहला किसान पुस्तकालय

नूरसराय में खुला राज्य का तीसरा और जिले का पहला किसान पुस्तकालय पुस्तकालय से मिलेंगी आधुनिक खेती की नई तकनीकों की जानकारियां सोशल मीडिया की भ्रामक जानकारियों से बचेंगे किसान, सही ज्ञान लेकर खेती को बनाएंगे लाभकर किसानों के लिए वरदान साबित होगा पुस्तकालय, गांव में ही मिलेगा शोध आधारित ज्ञान फोटो: 4 नूरसराय 01: नूरसराय के धरमपुर में मंगलवार को किसान पुस्तकालय का उद्घाटन करते डॉ. शंकर कुमार सन्याल व अन्य। नूरसराय, निज प्रतिनिधि। प्रखंड के धरमपुर गांव में राज्य का तीसरा और जिले का पहला किसान पुस्तकालय खुला। उद्घाटन हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार सन्याल ने किया। पुस्तकालय शुरू होने से किसानों के चेहरों पर खुशी छा गई। डॉ. शंकर सन्याल ने कहा कि डिजिटल युग में किताबों से दूरी बढ़ती जा रही है। इसका सबसे बड़ा नुकसान किसानों को हो रहा है। सोशल मीडिया पर खेती की गलत जानकारी से कई बार उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए पुस्तकालय की शुरुआत की गयी है। ताकि, किसानों को विज्ञान आधारित, प्रामाणिक और नवीनतम कृषि जानकारी उपलब्ध करायी जा सके। इसके कारण वे सही ज्ञान लेकर जागरूक होकर खेती कर सकेंगे। घटेगी लागत : राजस्थान की कोटा यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. बीएम शर्मा ने कहा कि आज खेती, पशुपालन और इससे जुड़े विषयों पर ढेर सारी किताबें और पत्रिकाएं छप रही हैं, जो किसानों के लिए बहुत उपयोगी हैं। लेकिन, ग्रामीण इलाकों में ये किताबें आसानी से नहीं मिलतीं। इसी को ध्यान में रखते हुए नालंदा उद्यान महाविद्यालय नूरसराय के कृषि वैज्ञानिकों की मदद से इस पुस्तकालय की स्थापना की गई है। इससे किसानों को फायदा होगा। यह खेती की लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा। ज्ञान का भंडार : नालंदा उद्यान महाविद्यालय नूरसराय के वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि यह पुस्तकालय किसानों के लिए ज्ञान का भंडार साबित होगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने अभी 36 किताबें दी हैं। भविष्य में यहां कृषि, जैविक खेती, आधुनिक तकनीकों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर आधारित और भी किताबें जोड़ी जाएंगी। किसानों को खेती से जुड़ी किसी भी समस्या के समाधान के लिए यह पुस्तकालय मददगार होगा। गांव में ही मिलेगी कृषि अनुसंधान की जानकारी: पुस्तकालय संचालक आशुतोष कुमार सुधांशु ने कहा कि भविष्य में यहां देशभर के कृषि अनुसंधानों द्वारा प्रकाशित महत्वपूर्ण पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी। इनसे किसानों को गांव में ही आधुनिक कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलेगी। खासकर बारखुर्द जैविक प्रोड्यूसर धरमपुर के 104 किसानों को इसका बड़ा फायदा होगा। ये लोग 100 एकड़ में जैविक खेती करते हैं। ज्ञान का खजाना: यह पुस्तकालय सिर्फ किताबों का भंडार नहीं, बल्कि किसानों के लिए ज्ञान का खजाना है। सही जानकारी से लैस होकर वे बेहतर खेती कर सकेंगे, नवीनतम तकनीकों को अपना सकेंगे और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्क रह पाएंगे। इससे कृषि क्षेत्र में नवाचार और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, जिससे राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी मौके पर डॉ. सीमा कुमारी, डॉ. सीएस आजाद, डॉ. आलोक कुमार, लक्ष्मी दास, नरेश यादव, दीपक साह राय, उर्मिला श्रीवास्तव, संजय राय, राजू भाई परमार, डॉ. प्रेमा करिअप्पा, मोहन जोशी, कुंवर शेखर विजेंद्र, जयेश भाई पटेल, पी. मारुति, देवराज सिंह, सुधींद्र कुलकर्णी, विष्णु प्रसाद, आनंद शंकर सिंह, डॉ. रजनीश कुमार आदि मौजूद थे।

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