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भारत बोध पर नालंदा खुला विश्वविद्यालय में राष्ट्रव्यापी विमर्श

महाभारत, रामायण, वेदों में रचा-बसा है भारतवर्ष: डॉ. बालमुकुंद पांडेय महाभारत, रामायण, वेदों में रचा-बसा है भारतवर्ष: डॉ. बालमुकुंद पांडेय

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSat, 10 May 2025 10:50 PM
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भारत बोध पर नालंदा खुला विश्वविद्यालय में राष्ट्रव्यापी विमर्श

महाभारत, रामायण, वेदों में रचा-बसा है भारतवर्ष: डॉ. बालमुकुंद पांडेय भारत बोध पर नालंदा खुला विश्वविद्यालय में राष्ट्रव्यापी विमर्श भारतीय इतिहास को भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की वकालत प्राचीन भारत की अवधारणा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने पर जोर 500 से अधिक प्रतिभागियों ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में लिया भाग प्राचीन भारत की अवधारणा, नई शिक्षा नीति और भारतवर्ष के भूगोल पर विद्वानों ने की चर्चा फोटो: सेमीनार: नालंदा खुला विश्वविद्यालय में शनिवार में भारत बोध विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल बिहार राज्य विश्वविधालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार व अन्य नालंदा, निज संवाददाता। नालंदा खुला विश्वविद्यालय परिसर में शनिवार से शुरू हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में भारतीय शिक्षा, इतिहास और सांस्कृतिक चेतना को लेकर गहन विमर्श हुआ।

‘भारत बोध: एक परिचर्या विषय पर सेमिनार में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित देशभर से आए 500 से अधिक शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों ने भाग लिया। मुख्य वक्ता अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय ने कहा कि महाभारत, रामायण और वेदों में वर्णित भारतवर्ष की अवधारणा आज के नक्शे तक सीमित नहीं थी, यह भूगोल पूर्व-मध्य एशिया तक फैला था। उन्होंने बताया कि मैकाले की शिक्षा प्रणाली के विपरीत, नई शिक्षा नीति भारत की ज्ञान परंपरा और भाषायी विविधता को महत्व देती है। इतिहास अब भारतीयों की भाषा में: प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि नई शिक्षा नीति से छात्र अब मेजर, माइनर और मल्टीडिसिप्लिनरी कोर्स के माध्यम से रुचि आधारित अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास केवल हजारों नहीं, बल्कि लाखों वर्षों पुराना है। दक्षिण भारत के नाड़ी ज्योतिष केंद्रों में अंगूठे के आधार पर जीवनचर्या की जानकारी मिलती है, यह शोध का विषय है। वसुधैव कुटुंबकम से लेकर हर नागरिक एक इतिहासकार प्रो. राजीव रंजन ने कहा कि अब इतिहास को नौ खंडों में विभाजित कर पढ़ाया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों को विविध दृष्टिकोण मिलेंगे। उन्होंने कहा कि अब भारतीय इतिहास को भारतीय लोगों की भाषा में प्रस्तुत किया जा रहा है। हर नागरिक एक प्रकार से इतिहासकार है, क्योंकि वह अपने अनुभवों से समाज की कहानी कहता है। गांव की महिलाओं में बसता है भारत: गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि भारत की पहचान सिर्फ राम-कृष्ण से नहीं, बल्कि उनके गुरुओं और लोकजीवन से भी है। उन्होंने कहा कि अगर भारत को समझना है, तो गांव की महिलाओं के जीवन को समझना होगा, वहीं असली परंपरा जीवित है। सेमिनार का संचालन प्रो. अनीता कुमारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव समीर कुमार शर्मा ने किया। आयोजन समिति के उपाध्यक्ष शैलेश कुमार ने बताया कि यह सेमिनार रविवार और सोमवार को भी जारी रहेगा। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया। जिसे बिहार इतिहास संकलन समिति ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय और नालंदा कॉलेज, बिहारशरीफ के साथ मिलकर आयोजित किया। अध्यक्षता गोपाल नारायण विश्वविद्यालय, जमुहार के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने की। जबकि, मुख्य अतिथि के रूप में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रवींद्र कुमार ने शिरकत की।

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