नालंदा सिर्फ स्थान नहीं, परंपरा है जो भारत को बनाएगा विकसित राष्ट्र : राज्यपाल
नालंदा सिर्फ स्थान नहीं, परंपरा है जो भारत को बनाएगा विकसित राष्ट्र : राज्यपालनालंदा सिर्फ स्थान नहीं, परंपरा है जो भारत को बनाएगा विकसित राष्ट्र : राज्यपालनालंदा सिर्फ स्थान नहीं, परंपरा है जो भारत...
नालंदा सिर्फ स्थान नहीं, परंपरा है जो भारत को बनाएगा विकसित राष्ट्र : राज्यपाल नालंदा विवि में नालंदा ज्ञान कुम्भ का राज्यपाल ने किया विधिवत उद्घाटन कहा-स्व भाषा, स्व संस्कृति व स्व परंपरा को जागृत कर भारत को विकसित बनाया जा सकता फोटो : नालंदा विवि 01 : अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय में रविवार को नालंदा ज्ञान कुम्भ कार्यक्रम का उद्घाटन करते राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह, ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार, पूर्व कुलपति सह कुंभ के अध्यक्ष प्रो. केसी सिन्हा व अन्य। राजगीर, निज संवाददाता। राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रविवार को कहा कि नालंदा सिर्फ एक स्थान नहीं, परंपरा है। इस परंपरा के बूते हमार देश विश्वगुरु बना था। नालंदा ज्ञान कुम्भ में आये प्रतिनिधि, शोधार्थी व शिक्षाविद प्राचीन ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। भारतीय ज्ञान परंपरा किसी खास विषय पर ध्यान केन्द्रीत न कर सभी विषयों का समागमी माहौल बनाती है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने में हम सभी इस परंपरा की भूमिका को आगे बढ़ाएंगे। ये बातें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से आयोजित नालंदा ज्ञान कुम्भ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। ‘विकसित भारत @ 2047 : भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि वर्तमान समय ‘स्व के जागरण का समय है। इसमें स्व भाषा, स्व संस्कृति, स्व परंपरा को जागृत कर भारत को विकसित बनाया जा सकता है। विकसित भारत का सपना केवल भौतिक विकास नहीं, बल्कि स्व का आग्रह है। सोने का शेर बनेगा भारत : हमें सबसे पहले अपने भारतीय उत्पादों को सुरक्षित करने के साथ उन्हें खरीदना होगा, तभी भारत का स्व जागरण शुरू होगा। अपनी मातृभाषा का उपयोग करने पर बल दिया। स्व शिक्षा पर राज्यपाल ने कहा कि हमें अंग्रेजी नहीं, बल्कि स्व भाषा को शिक्षा का सौ फीसदी माध्यम बनाने की जरूरत है। भारत सोने की चिड़िया नहीं, बल्कि सोने का शेर बनेगा। इसके पहले कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह, ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार, पूर्व कुलपति सह कुंभ के अध्यक्ष प्रो. केसी सिन्हा ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया। अतिथियों का स्वागत नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने किया। मंच का संचालन सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विजय सिंह और धन्यवाद ज्ञापन पूर्व कुलपति प्रो. के सी सिन्हा ने किया। 2047 तक विकसित भारत बनाने में देशवासियों की अहम भूमिका : पूर्व राज्यपाल नालंदा की प्राचीन शिक्षा पद्धति व ज्ञान परंपरा को लौटाने पर बल देने की जरूरत राजगीर, निज संवाददाता। नालंदा ज्ञान कुम्भ में रविवार को सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि भारत कई सौ वर्ष गुलाम रहा। इस दौरान यहां की संस्कृति व भाषा पर हमले किये गये। हमारी संस्कृति और भाषा को नष्ट करने का प्रयास किया गया। लेकिन, अब वर्ष 2047 में भारत विकसित और आत्मनिर्भर बने, इसके लिए हम सभी को कार्य करना पड़ेगा। हम फिर से नालंदा की प्राचीन शिक्षा पद्धति और ज्ञान परंपरा को लौटाने पर बल देना चाहिए। विद्यार्थी आत्मनिर्भर बनाना शिक्षा का लक्ष्य होना चाहिए। मनुष्य, मनुष्य बन सकें, इस पर हम सभी को विचार करना होगा। भारत ही एक ऐसा देश है, जो शांति का संदेश देता रहा है। अब भी दे रहा है। और, आगे भी देता रहेगा। शांति, भाईचारगी व मेल-जोल हमारी रग-रग में बसा है। भारतीय ज्ञान परंपरा में पहले व्यवहार की बात होती है फिर सिद्धांत की। यही नई शिक्षा नीति में समाहित है। दुनिाभर में बढ़ा देश का मान : सम्राट : उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि दुनियाभर के लोग नालंदा ज्ञान अर्जित करने के लिए आते थे। इसलिए वर्ष 2006 में नालंदा विश्वविद्यालय बनाने की परिकल्पना तय की गई और वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर में लोकप्रिय हुए हैं, जो भारत की एक नई तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है। बिहार की स्थानीय भाषा में भी पढ़ाई हो, इसके हम सब सरकार की तरफ से संकल्पित हैं। प्रयागराज में महाज्ञान कुम्भ का होगा आयोजन : ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार ने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने शिक्षा में भारतीयता को लेकर कार्य किया है। भारतीय ज्ञान परंपरा में सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों को शामिल किया गया है। जिन चार जगहों पर न्यास की ओर से ज्ञान कुंभ हो रहा है, वे सभी ज्ञान के स्थल रहे हैं। चारों ज्ञान कुंभों के आयोजन के बाद प्रयागराज में महाज्ञान कुंभ लगेगा। जिस प्रकार आदिगुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की है, उसी प्रकार यह ज्ञान कुंभ भी भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की एक कड़ी है, जो ऐतिहासिक होने वाली है। एनईपी से बदलेगी व्यवस्था : कोठारी : मुख्य वक्ता व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि प्राचीन नालंदा के अवशेष बताते हैं कि कई देशों से शिक्षार्थी यहां पढ़ने के लिए आते थे। लेकिन, आज स्थिति इसके विपरीत है। लोग विदेशों में पढ़ने जा रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से देश की शिक्षा बदलेगी। आज गांवों तक अंग्रेजी फैलती जा रही है, जिसे हम सभी को समझकर अपनी मातृभाषा आधारित शिक्षा पर विचार की आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा में कोई फुल स्टॉप नहीं है। यह एकत्व का संदेश देती है। क्योंकि, दुनिया में भारत ही ‘वसुधैव कुटुंबकम् का विचार हमेशा देता रहा है। कार्यक्रम में ये भी रहे मौजूद : कार्यक्रम में बिहार के अलावा 13 राज्यों के शिक्षाविद, शोधार्थी व विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। बिहार के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे। इसमें न्यास के राष्ट्रीय संयोजक ए. विनोद, सुरेश गुप्ता, संजय स्वामी, प्रो. आलोक चक्रवाल, प्रो. नीलांबरी दवे, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी, जेपी विवि के कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार वाजपेयी, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो, संजय कुमार, कुलपति प्रो. जवाहर लाल, नालनदा विवि के कुलसचिव प्रो. रमेश प्रताप सिंह परिहार, डॉ. रणविजय कुमार, डॉ. आलोक सिंह, अजय यादव, दयानंद मेहता, प्रांत संयोजक डॉ. संदीप सागर, आशुतोष कुमार सिंह, प्रो शंभुशरण शर्मा, डॉ. बेंकटेश्वर चौधरी, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. आदित्य कुमार आनंद सहित कई लोग उपस्थित थे। दूसरे दिन चार सत्र: नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित तीन दिवसीय नालंदा ज्ञान कुंभ के दूसरे दिन उद्घाटन सत्र के बाद कुल चार सत्र के कार्यक्रम हुए। वैचारिक सत्र के प्रथम वक्ता प्रो. दिनेश चन्द्र राय ने कहा कि प्राचीन काल से भारत ज्ञान का विशाल केंद्र रहा है। भारत की उसी शक्ति को हम सभी को मिल कर पुनर्जीवित करने का प्रयास करना होगा। तभी भारत फिर से विश्वगुरु बन पाएगा l दूसरे वक्ता प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि भारत तब विश्वगुरु था, जब भारत के पास नालन्दा व तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय बड़े ज्ञान के केंद्र थे। उन्होंने तत्कालीन समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने पर जोर दिया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए पूर्व केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री डॉ. संजय पासवान ने कहा कि भारत को अपने भीतर छिपी हुई शक्ति को फिर से पहचानने की जरूरत है। भारतीय जान परंपरा न केवल भारत, अपितु विश्व की ज्ञान परंपरा में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह परंपरा सनातनी परंपरा पर आधारित है। साथ ही, उन्होंने अपनी पूर्व के वक्ताओं द्वारा कही गई बातों का भी समर्थन किया। मंच पर पाटलिपुत्र विश्विद्यालय के डीन डॉ. अरुण भी मौजूद थे। संचालन झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ .पीयूष रंजन जी ने किया।
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