एमडीएम प्रभारी हेमचंद्र अध्यक्ष तो भारतेंदु बने सचिव
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एमडीएम प्रभारी हेमचंद्र अध्यक्ष तो भारतेंदु बने सचिव
अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ का चुनाव संपन्न
फोटो:
संघ : कार्यक्रम में एमडीएम प्रभारी हेमचंद्र व संघ के लोग।
बिहारशरीफ। निज प्रतिनिधि
बिहार अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ नालंदा इकाई का रविवार को चुनाव कराया गया। अध्यक्षीय मंडल में रमेश पासवान व भोला पासवान की अध्यक्षता में चुनाव कराया गया। चुनाव में पर्यवेक्षक के तौर पर पूर्व सचिव हरेन्द्र चौधरी रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। अनुसूचित जाति-जन जाति कर्मचारी संघ नालंदा के अध्यक्ष एमडीएम प्रभारी हेमचंद को बनाया गया।
शिक्षक भारतेन्दु कुमार को सचिव तो उपाध्यक्ष के पद पर रमेश पासवान, भोला पासवान व दयानंद रविदास तो संयुक्त सचिव कृष्णदेव चौधरी को बनाया गया। इसी प्रकार, अनिल पासवान कोषाध्यक्ष, अंकेक्षक ओम कुमार पासवान, कार्यालय सचिव अवधेश चौधरी, प्रचार सचिव के पद पर प्रभु रविदास व बिरजु लाल को मनोनीत किया गया है। इसके अलावा 11 सदस्यीय कार्यकारिणी का भी गठन किया गया।
सर्वसम्मति से पूर्व सचिव हरेन्द्र चौधरी को संगठन का संरक्षक घोषित किया गया। लोगों ने कहा कि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण दिया गया। इसे हम लोग अपनी चट्टानी एकता से हर हाल में सुरक्षित रखेंगे तभी भारतीय कानून का सम्मान होगा। अराजपत्रित प्रारंभ्भिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा के अलावा शिशिर कुमार सिन्हा, विवेकानंद सविता, डॉ. रामाधीन सिंह, सुधीर प्रसाद ने नये अध्यक्ष हेमचंद समेत अन्य संघ पदाधिकारयों को बधाई दी है।
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संघ के आदेश के खिलाफ चुनाव करवाया:
बिहारशरीफ। अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सह जिला भविष्य निधि पदाधिकारी विजय कुमार रजक, सचिव हेमंत कुमार, अपर नगर आयुक्त विनोद कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी उमेश रंजन, पीएबी के अधिकारी उमाशंकर पासवान, डीबीजीबी के धनंजय कुमार, डॉ रामेंद्र कुमार, सत्येंद्र कुमार भारती, विनोद कुमार ने बयान जारी कर कहा है कि संघ के आदेश एवं स्थापना आदेश के खिलाफ संघ के बैनर तले अवैध रूप से चुनाव करवाया गया है।
राज्य संघ के कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए। चुनाव समिति का गठन नहीं किया गया। सभा में आए लोगों से अध्यक्ष समेत अन्य पदों के लिए सहमति तक नहीं ली गई। एक बार भी सभा के लोगों से पूछा तक नहीं गया कि और भी कोई उम्मीदवार हैं या नहीं। सीधे घर से बनाकर लाई गई सूची को पढ़कर सुना दिया गया। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। सभी विभागों का प्रतिनिधित्व नहीं था।
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